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सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से खुश हैं हिन्दू लेकिन दुखाना नहीं चाहते मुसलमानों का दिल

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  सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से खुश हैं हिन्दू लेकिन दुखाना नहीं चाहते मुसलमानों का दिल 

सिटी पोस्ट लाइव : अयोध्या राम मंदिर (ayodhya ram temple) बाबरी मस्जिद विवाद ( babari masjid issue) पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद हिन्दुओं ( hindus) ने  जश्न मनाया लेकिन बहुत संयमित होकर जैसे वो बताना चाहते हों कि वो अपने मुसलमान पड़ोसियों (muslims ) की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाना चाहते हों. कहीं कोई उन्माद या आतंक और भय का माहौल नहीं दिखा. अयोध्या की तंग सड़कों पर जय श्रीराम के नारे कुच्छ देर के लिए गूंजने लगे. छोटे-छोटे समूहों में मौजूद लोगों की मुठ्ठियां ख़ुशी में हवा में लहराने लगीं. सबके चेहरे पर चमक आ गई. लेकिन जश्न का कोई भोंड़ा प्रदर्शन नहीं हुआ जो कि अनियंत्रित भीड़ की एक ख़ासियत बन चुका है. वे अयोध्या के आम लोग थे और को वो किसी पार्टी से जुड़े हुए नहीं थे.

 राम भक्तों ने इस अंदाज में जश्न ( celebration) मनाया कि किसी को खले नहीं.कुछ मिनट जश्न मनाने के बाद लोग अपने रोज़मर्रा के कामों पर लौट गए.सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का वास्तव में अयोध्या के सभी लोगों ( hindu-muslims) ने  स्वागत किया. ज्यादातर लोगों का यहीं कहना था कि लोगों में दरार डालने वाला दशकों पुराना यह मुद्दा अब ख़त्म हो गया है. अब हिन्दू-मुस्लिम का खतरा टल गया है.

दो पीढ़ियों से मंदिर-मस्जिद विवाद में पूरा देश बँटा हुआ था लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट की ओर से इस मामले का अंत हो गया. साधू-संतों को जरुर इस बात की खुशी है कि राम मंदिर बनेगा लेकिन उनका भी कहना था वो इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने वाले राजनेताओं से ऊब चुके हैं.ये धार्मिक मुद्दा था. लेकिन अलग-अलग राजनीतिक दलों ने इसे एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बना दिया. सुप्रीम कोर्ट ने अब उनका मुद्दा छीन लिया है.

आम तौर पर ये माना जाता है कि भारतीय जनता पार्टी राम जन्मभूमि आंदोलन के उभार का श्रेय ख़ुद लेती है, जिसे उसके अनुषांगिक संगठनों विश्व हिंदू परिषद और आएसएस ने शुरू किया था. माना जाता है कि बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी ने राम मंदिर के लिए जब अपनी रथ यात्रा निकाली तो उन्होंने बीजेपी को राष्ट्रीय स्तर की पार्टी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.और अंततः बाद के सालों में बाबरी मस्जिद ढहा दी गई. साल 1984 में हुए संसदीय चुनावों में बीजेपी ने केवल दो सीटें जीती थीं. उसी बीजेपी ने 1991 के आम चुनावों में 125 सीटों पर जीत दर्ज की.

मंदिरों के इस शहर में एक भी स्थानीय निवासी ढूंढ पाना मुश्किल है जो इस तथ्य पर ज़ोर न देता हो कि मंदिर-मस्जिद मुद्दे पर हिंदुओं और मुसलमानों के बीच उनके कस्बे में कोई बैर भाव नहीं है.एक स्थानीय पुजारी राम चंद्र पांडे ने कहा कि अयोध्या में रह रहे बड़ी संख्या में मुसलमान बहुत पहले से दर्जनों मंदिरों से जुड़े हुए हैं. उनके पड़ोसी मुस्लिम हैं जिनकी आजीविका उन छोटे कारोबार से पैदा होती है जो श्रद्धालुओं और स्थानीय हिंदुओं से जुड़ा है.

अयोध्या के लोगों ने कोर्ट के फ़ैसले को शांति और भाईचारे के संदेश के रूप में समझा, जैसा वो ये जताना चाहते हों कि फ़ैसला हिंदू मुसलमान के भेद को ख़त्म कर देगा और देश को एक बार और हमेशा के लिए एक सूत्र में जोड़ देगा.कई लोग बात करने को तैयार नहीं थे. ये साफ़ नहीं था कि वो डर के कारण बात नहीं कर रहे थे या वे इस जश्न के माहौल को ख़राब नहीं करना चाहते थे. लेकिन कुछ लोगों ने बोला और उन्होंने कहा कि उन्हें फ़ैसला स्वीकार है. इस मुक़दमे में एक पक्षकार थे इक़बाल अंसारी, जिनको सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड का समर्थन हासिल था. उन्होंने मुझे बताया कि वो ख़ुश हैं कि ये मामला ख़त्म हो गया.उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को मैं स्वीकार करता हूं. मैंने पहले भी कहा था कि मैं कोर्ट के फ़ैसले को स्वीकार करूंगा और अब भी मैं कह रहा हूं कि चूंकि कोर्ट का फ़ैसला आ चुका है मुझे अपना वादा पूरा करना है.”उन्होंने इस तथ्य पर भी ज़ोर दिया कि वो इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ कोई पुनर्विचार याचिका दायर नहीं करने जा रहे हैं.

निर्मोही अखाड़ा इस मुक़दमे का एक और पक्षकार था, जिसके दावे के कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया.निर्मोही अखाड़ा के धार्मिक गुरु ने कहा कि वो इस फ़ैसले से ख़ुश नहीं हैं. लेकिन उन्होंने ये ज़रूर कहा कि आगे क्या कार्यवाही की जाएगी, इस पर संगठन निर्णय लेगा.कोर्ट ने अपने फ़ैसले में आदेश दिया है कि केंद्र सरकार तीन महीने के अंदर एक ट्रस्ट बनाए जिसका काम राम मंदिर बनाना और उसकी देखभाल करना होगा.स्थानीय लोगों की एक बड़ी संख्या ने इस फ़ैसले का स्वागत किया है. मुझसे बात करने वाले क़रीब-क़रीब सभी निवासियों ने कहा कि वो ख़ुश हैं कि ये आदेश उन संगठनों पर रोक लगा सकता है जो मंदिर निर्माण और उसके रख-रखाव के लिए एक दूसरे से होड़ कर रहे थे.

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