“चुनाव विशेष” मीडिया का हीरो, जमीन पर जीरो, कन्हैया जीतने की जगह बन रहा करोड़पति
सिटी पोस्ट लाइव : बिहार चुनाव में उतार-चढ़ाव का दौर बदस्तूर जारी है ।लेकिन खबरिया चैनल और अखबारों के विश्लेषण लोगों के बीच तरह-तरह के संसय पैदा कर रहे हैं। बिहार के बेगूसराय लोकसभा सीट को मीडिया ने बेहद गर्म सीट बना डाला है। इस सीट से सीपीआई के कन्हैया कुमार खूब सुर्खियां बटोर रहे हैं। भजपा ने इस सीट से फायर ब्रांड नेता गिरिराज सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है। राजद ने महागठबंधन धर्म का गला घोंटकर यहाँ से तनवीर हसन को लालटेन हाथ में देकर चुनावी समर को बेहद आक्रामक बनाने की कोशिश करी है।
जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार अब डॉक्टर कन्हैया कुमार बन चुके हैं ।छात्र जीवन से ही विवादित कन्हैया को खासकर के खबरिया चैनलों ने बिना किसी मेहनत के ना केवल कन्हैया को हीरो बना डाला बल्कि कन्हैया को देश युवाओं के आईकॉन की तर्ज पर पहचान करा डाली। जेएनयू में हालिया वर्षों में पढ़ाई की जगह वाम विचारधारा को ज्यादा तवज्जो दिया जाने लगा है। कन्हैया इसी वातावरण की उपज हैं। आतंकी सरगना अफजल गुरु की बरसी के समय कन्हैया देश स्तर पर अपनी नकारात्मक छवि के बाबजूद, एक पहचान बनाने में कामयाब जरूर हो गए।
फिर टीवी के डिबेट शोज में उन्हें जगह मिलने लगी, जहां वे अपनी सफाई के साथ-साथ नरेंद्र मोदी पर जुबानी हमले कर के खूब वाहवाही बटोरे ।लोगों को आज यह पता नहीं है कि जेएनयू में धरा समझकर डिग्री हासिल कराने में प्राध्यापकों की लॉबी काम करती है ।पीएचडी के थेसिस भी आसानी से लिखवाए जाते हैं ।आज के समय में कोई व्यक्ति अपार जनसेवा कर के लोगों के दिल में जगह नहीं बना पाते हैं लेकिन भाषा वैज्ञानिक सम्मानित और बड़े ओहदेदारों पर आरोप लगा-लगा कर सितारे की तरह चमक उठते हैं ।
जाहिर तौर पर टीवी और अखबार ने कन्हैया को नेता बनने को विवश कर दिया ।अब कन्हैया चुनावी समर में है ।उनके चुनाव प्रचार के लिए फिल्मी हस्तियों से लेकर कई विवादित चेहरे अभीतक बेगुसराय आकर कन्हैया को लेकर थोक में कसीदे कढ़ गए हैं ।कन्हैया को बेहद गरीब बताकर जनता से वोट मांगे जा रहे हैं ।वाकई कन्हैया के गाँव में आलीशान ईमारत या बंगला नहीं है ।उनकी माँ मिट्टी के चूल्हे पर खाना पकाती हैं ।
यह तस्वीर निसन्देह विचलित करने वाली है ।कन्हैया ने अपने हलफनामे में 6 लाख से ज्यादा राशि बैंक में जमा होने की बात कही है ।कन्हैया आई फोन इस्तेमाल करते हैं ।वाकई कन्हैया जब बेहद गरीब होते,तो उनके संपर्क,इतने बड़े-बड़े महारथियों से नहीं होते ।उनके घर में गैस चूल्हा नहीं है,यह वे अपने भाषण में बोलते हैं ।अपने पिता की मौत पर उन्होंने हिन्दू रीति-रिवाज से कोई कर्म भी नहीं किये ।इस बात को भी उन्हें जनता से साझा करना चाहिए ।
हमने बेगुसराय को बेहद गहराई से पढ़ा है और वहां के चुनावी समर की तटस्थ पड़ताल करी है ।कन्हैया जिस तरह से जीतने की हुंकार भर रहे हैं,वह जमीनी सच नहीं है ।बेगुसराय के कई गाँव ऐसे हैं,जहाँ के लोग कन्हैया को जानते भी नहीं है ।बेगुसराय के चुनाव को राजनीतिक जानकार त्रिकोणीय बता रहे हैं ।लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि यहाँ मुकाबला बीजेपी के गिरिराज सिंह और राजद के तनवीर हसन के बीच है ।कन्हैया यहाँ अभी तीसरे नम्बर पर चल रहे हैं ।
भीड़ बंदर के तमाशे और ग्रामीण नाँच पर भी खूब जुटती है लेकिन वह भीड़ किसी मिशन में तब्दील हो जाएगी,ऐसा अमूमन नहीं होता है ।वैसे बेगुसराय में चुनाव चौथे चरण में आगामी 29 अप्रैल को होने हैं ।बेगुसराय सीट पर बिना किसी खास वजह के पूरे देश की निगाहें टिकी हुई हैं ।अभीतक बीजेपी के गिरिराज सिंह का पलड़ा भारी है ।
हांलांकि अभी चुनाव प्रचार जोरों पर है और हवा का रुख आगे किसके लिए ज्यादा मुफीद होगा,इसपर तुरन्त शब्द देना बेमानी है ।ऐसे कयास यह जरूर लगाए जा रहे हैं कि धीरे-धीरे गिरिराज सिंह की स्थिति काफी मजबूत हो जाएगी और एनडीए यहाँ से जीत हासिल कर लेगी । बेगुसराय का यह चुनाव कन्हैया को लोकसभा के वैभवशाली सदन में तो नहीं पहुँचा पायेगा लेकिन कन्हैया इस चुनाव के दम पर करोड़पति जरूर बन जाएंगे ।
फिल्मी सितारे से लेकर मोदी विरोधी,दिल और तिजोरी खोलकर कन्हैया पर रुपयों की बरसात कर रहे हैं ।यही नहीं कन्हैया को बेबसाईट के जरिये जनता से भी खूब चंदे मिल रहे हैं ।हम ताल ठोंककर कहते हैं कि कन्हैया कुमार सांसद बनने की जगह करोड़पति जरूर बनकर रहेंगे ।लेकिन अभी चुनाव होना और मतगणना होना बांकि है ।परिणाम के लिए अभी 23 मई तक का इंतजार करना होगा ।
पीटीएन न्यूज मीडिया ग्रुप के सीनियर एडिटर मुकेश कुमार सिंह का ‘चुनाव विश्लेषण”
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