प्रवासी श्रमिकों की घर वापसी के लिए हेमंत सरकार खर्च का कर रही है वहन
सिटी पोस्ट लाइव, रांची: लॉकडाउन के बीच हफ्ते भर से झारखंड में प्रवासी श्रमिकों की घर वापसी का सिलसिला जारी है। प्रारंभ में प्रवासी श्रमिकों को ट्रेन टिकट को लेकर काफी परेशानियों का वहन करना पड़ा लेकिन झारखंड सरकार की पहल के बाद अब इन सभी प्रवासी श्रमिकों को टिकट का भुगतान नहीं करना पड़ रहा है और सभी की घर वापसी सुनिश्चित हो रही है। कोरोना संकट में फंसे मज़दूरों की सहायता के लिए झारखंड सरकार द्वारा नियुक्त मुख्य नोडल अधिकारी अमरेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि जिन राज्यों ने हमारे प्रवासी मज़दूरों की वापसी का ख़र्च माँगा, राज्य सरकार ने उन्हें पैसे भेजे।इस क्रम में हमने राजस्थान सरकार को 16 लाख रुपये भेजे ताकि कोटा से छात्रों को वापस लाया जा सके।
वहीं पेयजल स्वच्छता मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर ने बताया कि पंजाब के जलांधर से विशेष ट्रेन की व्यवस्था की गयी, इसके लिए राज्य सरकार की ओर से 7.20लाख रुपये का भुगतान किया जाएगा। झारखंड सरकार सभी प्रवासी श्रमिकों को सुरक्षित वापस लाने के लिए प्रयासरत है। इधर, लॉकडाउन के चलते दूसरे राज्यों में फंसे झारखंड के क़रीब 3 लाख प्रवासी लोगों ने घर वापसी के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है। इनमें से अधिकतर मज़दूर हैं। ये रजिस्ट्रेशन राज्य सरकार द्वारा वापसी के लिए जारी वेबसाइट लिंक और गूगल डॉक्यूमेंट पर उपलब्ध फ़ार्म के जरिए कराए गए हैं। इधर,मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बताया कि जितने भी प्रवासी घर लौटना चाहेंगे, सरकार उनकी हर तरह से मदद करेगी। गुरुवार अब तक लगभग 20 हजार मजदूर लौट चुके हैं.। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रवासी मज़दूर जबतक वापस आना चाहें, हम उनकी मदद करेंगे. झारखंड वापसी पर उनके लिए रोजगार का भी इंतजाम कराया जाएगा। इसके लिए हम तीन महत्वपूर्ण योजनाओं की शुरुआत कर रहे हैं। इन योजनाओं पर पांच साल में 20 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। झारखंड सरकार ने कहा है कि उनके किसी मज़दूर को रेल किराया नहीं देना होगा। यहां फँसे दूसरे राज्यों के लोगों को भी सरकार अपनी ख़र्च पर वापस उनके घर भेजेगी।
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