सिटी पोस्ट लाइव :बिहार में H3N2वायरस का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है.जानकारों के अनुसार H3N2 वायरस से बच्चों को बचाने के लिए उनका पूरा ख्याल रखना बेहद जरूरी है. बच्चों को संक्रमण से बचाने के लिए उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जाना जरुरी है. शिशुओं के लिए स्तनपान इसका सबसे सुगम और सुरक्षित साधन है. नवजात बच्चों के लिए तो मां का दूध सुरक्षा कवच और किसी अमृत से कम नहीं है.
एच-3 एन-2 वायरस का बच्चों और अधिक उम्र के लोगों में संक्रमण का खतरा सबसे अधिक है. यह माना जा रहा है कि मजबूत प्रतिरोधक क्षमता वाले बच्चे अथवा कोई भी व्यक्ति संक्रमण से सुरक्षित रह सकते हैं. ऐसे व्यक्ति अथवा बच्चे ज्यादा तेजी से संक्रमण को मात देकर स्वस्थ हो सकते हैं. इसका बड़ा कारण बच्चों को मां के दूध से मिलने वाला पोषण है, जो उनके प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है.चिकित्सकों के अनुसार मां के दूध में फैट, शुगर, पानी और प्रोटीन की सही मात्रा होती है, जो शिशु की सेहत के लिए बेहद जरूरी है.वहीं उम्रदराज व्यक्ति सावधानी बरतकर और अपने दिनचर्या को संयमित कर संक्रमण से सुरक्षित रह सकते हैं.
संक्रमण से नवजातों के बचाव के लिए मां का दूध काफी सहायक सिद्ध हो सकता है. मां के दूध में वायरस और बैक्टीरिया से लड़ने के लिए प्रचुर मात्रा में एंटीबॉडीज होती है. यह एंटीबॉडीज वायरस या बैक्टीरिया को नाक, गले और आंतों में घुसने नहीं देता है. मां के दूध में मौजूद मेक्रोफेज, लाइसोजाइम के साथ ही कॉम्पलिमेंट मौजूद होते हैं. इन सभी गुणों के कारण मां का दूध शिशु का प्रथम टीकाकरण भी माना जाता है. इसलिए जरूरी है कि माताएं अपने शिशु को कम से कम छह माह तक अपना दूध पिलाएं. मां का दूध बच्चों के शारीरिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान निभाता है. इससे बच्चे की इम्यूनिटी भी मजबूत होती है,
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