बेगूसराय बालिका गृह की लड़की ने शीशा निगल की आत्महत्या की कोशिश, लगाया बड़ा आरोप
लड़की ने शीशे का टुकड़ा निगल कर आत्महत्या का किया प्रयास
बेगुसराय बालिका गृह में लड़की ने शीशा खाकर आत्महत्या करने का किया प्रयास
सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में बालिका गृह को लेकर शुरू हुआ हंगामा थामने का नाम नहीं ले रहा.मुजफ्फरपुर बालिका गृह की 34 लड़कियों के साथ रेप को लेकर हंगामा मचा ही था कि पटना के आसरा होम में एक बड़ा कांड हो गया. आसरा होम की दो संवासिनों की मौत के बाद आसरा होम की संचालिका मनीषा दयाल का जो पोलिटिकल और ब्यूरोक्रेसी कनेक्शन सामने आया, उसने सबको हिलाकर रख दिया. अब बेगूसराय बालिका गृह से एक बड़ी खबर आ गई है. बेगूसराय बालिका गृह में सुर्ख़ियों में है. बेगूसराय के बालिका गृह में एक नाबालिग लड़की ने रविवार को शीशे का टुकड़ा निगल कर आत्महत्या का प्रयास किया है. फिलहाल युवती का इलाज़ सदर अस्पताल में चल रहा है.
लड़की ने वार्डन पर निर्वस्त्र कर पिटाई करने के साथ-साथ अन्य कई गंभीर आरोप लगाए लगाए हैं. वहीं घटना की जानकारी मिलने के बाद एसपी आदित्य कुमार ने दो महिला कांस्टेबल को हॉस्पिटल के बाहर तैनात कर दिया है. इसके साथ ही नगर थाने को मामले की जांच करने का आदेश दिया है.सूत्रों के अनुसार युवती आसाम की रहने वाली है और 4 माह पूर्व सीडब्ल्यूसी लखीसराय से स्थानांतरण होकर यहाँ आयी थी. युवती का कहना है कि – “शैम्पू का पाउच चोरी होने का आरोप लगा कर एक परिचारिका ने उसकी बेरहमी से पिटाई कर दी”, जिसके बाद उसने आत्महत्या करने के उद्देश्य से शीशे के टुकड़ा निगल लिया.
युवती ने बालिका गृह के वार्डन सहित अन्य लोगों पर प्रताड़ना का आरोप लगाया है. वहीं स्थानीय लोगों की माने तो वर्षों से चल रहे इस बालिका गृह में रख-रखाव सहित अन्य सुविधाओं की भी कमी है. बालिका गृह की वार्डन ने अपने उपर लगे सभी आरोपों को गलत बताते हुए कहा कि – “बालिका गृह में बच्चों की सुविधाओं का खास ख्याल रखा जाता है. उन्हें कहीं बाहर निकलने नहीं दिया जाता इसलिए बच्चे इसकी शिकायत कर रहे हैं.लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि अगर बालिका गृह में सबकुछ ठीक ठाक था तो फिर इस लड़की ने आत्म-हत्या करने की कोशिश क्यों की?
बेगूसराय ही नहीं बल्कि टिस की रिपोर्ट के अनुसार बिहार के 15 से ज्यादा बालिका गृह में बच्चियों की हालत ठीक नहीं है.उन्हें जेल से भी बदतर हालत में रखा जाता है. न उनके खाने-पीने की सुविधा है और ना ही मनोरंजन की कोई व्यवस्था. यहाँ रह रही बच्चियों को प्रशिक्षण देने का प्रावधान है. उन्हें समय समय पर बाहर घुमाने ले जाने का भी प्रावधान है. लेकिन सारा फण्ड एनजीओ खुद हजम कर जाते हैं.बच्चियों की सुरक्षा के लिए सरकारी धन से चलाये जा रहे बालिका गृह यातना गृह बन गए हैं.
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