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“विशेष” : पूर्व सांसद आनंद मोहन का हल्ला बोल, जेल अधिकारियों की मनमानी के खिलाफ 400 से ज्यादा बंदियों के साथ गए भूख हड़ताल पर

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“विशेष” : पूर्व सांसद आनंद मोहन का हल्ला बोल, जेल अधिकारियों की मनमानी के खिलाफ 400 से ज्यादा बंदियों के साथ गए भूख हड़ताल पर

सिटी पोस्ट लाइव : सहरसा जेल कई कारणों से लगातार सुर्खियों में बना रहा है। इसबार जेल प्रशासन के द्वारा 15 बंदियों को एक साथ दूसरे जेल भेज जाने से बंदियों में बौखलाहट और भय का माहौल बन गया है। जेल प्रशासन की तानाशाही के खिलाफ जेल के एक साथ चार सौ से ज्यादा बंदी पूर्व सांसद आनंद मोहन के नेतृत्व में भूख हड़ताल पर चले गए हैं। भूख हड़ताल पर गए कैदी सुबह से ही जेल अधीक्षक के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं और जेल आईजी को बुलाने की मांग पर अड़े हुए हैं। अनशन पर गए बंदियों का समवेत कहना है कि जब तक जेल के बड़े अधिकारी नहीं आएंगे, उनकी भूख हड़ताल जारी रहेगी। कैदियों का आरोप है कि उनको तीन साल से परिहार और पारिश्रमिक नहीं मिला है।

इंस्पेक्टिंग जज और जिला जज के आदेश के बावजूद,जेल के भीतर अभीतक कैंटीन नहीं खुला है और ना ही आयरन मुक्त स्वच्छ पानी की व्यवस्था ही की जा सकी है। इस भीषण गर्मी में भी जेल में पर्याप्त पंखे नहीं लगाए गए हैं। बंदियों का आरोप है कि इस मामले को लेकर जब उन्होंने सहरसा जेल अधिकारियों के सामने आवाज उठाई, तो उन्हें ना केवल धमकाया गया बल्कि कुछ बंदियों को इस माह के शुरुआत में ही सेंट्रल जेल पूर्णिया भेज दिया गया था। एक बार फिर जेल अधिकारियों ने लाल फीताशाही दिखाते हुए बीते 25 मई को भी अहले सुबह बिना कोर्ट के आदेश लिए 6 कैदियों को कैम्प सेंट्रल जेल भागलपुर और 9 कैदियों को केंद्रीय कारा पूर्णिया भेज दिया गया गया। अनशनकारी बंदी ‘मेडिकल जांच‘ की भी मांग कर रहे हैं। साथ ही बंदियों की यह भी मांग है कि कारा अधीक्षक के सम्पूर्ण कार्यकाल में हुई लूट, अनियमितता और मनमानी की उच्चस्तरीय जांच हो।

गौरतलब है कि कारा अधीक्षक सुरेंद्र प्रसाद गुप्ता अगले माह रिटायर होने वाले हैं। बंदियों का कहना है कि कारा प्रशासन ने अगर अपना रवैया नहीं बदला और उनकी यह दादागिरी जारी रही,तो उनके परिजन सहरसा कलेक्ट्रिएट पर सामूहिक अनशन देंगे और 30 मई को ‘सहरसा बंद’ करवाएंगे। ऐसा करने से बाहर की जनता और अन्य अधिकारियों को भी पता चलेगा कि सहरसा जेल में जेल प्रशासन डंडा के दम पर एक तरफ लूट मचाये हुए है, वहीं दूसरी तरफ बंदियों के साथ जानवरों की तरह व्यवहार कर रहे हैं ।इस बाबत हमने जेल अधीक्षक सुरेंद्र प्रसाद गुप्ता से बात कर,पूरा मामला जानना चाहा तो उन्होंने बताया कि सजायाफ्ता 15 बंदियों को,सजा काटने के लिए भागलपुर और पुर्णिया जेल भेजा गया है।

जब हमने बंदियों की भूख हड़ताल को लेकर उनसे पूछा, तो वे हमें गोल-गोल घुमाने लगे। उनके मुताबिक बंदियों के बीच किसी बात को लेकर आक्रोश है लेकिन भूख हड़ताल जैसी कोई बात नहीं है। जेल अधीक्षक की उलझी हुई भाषा इस बात की तकसीद कर रही है कि जेल के अंदर कुछ भी ठीक नहीं हैं और बंदी हड़ताल पर हैं पूर्व सांसद आनंद मोहन इस भूख हड़ताल का नेतृत्व कर रहे हैं लेकिन उनके हवाले से अभीतक कोई जानकारी हमसे साझा नहीं की गई है। मोटे तौर पर जेल की स्थिति सामान्य नहीं है। समय रहते अगर स्थिति पर काबू नहीं पाया गया, तो बंदियों के परिजन बड़ा हंगामा खड़ा कर सकते हैं, इसकी पूरी आशंका है। लोकसभा चुनाव में अपनी ताकत और असीमित जनाधार का एनडीए को अहसास कराने वाले पूर्व सांसद आनंद मोहन के समर्थक,इस भूख हड़ताल को लेकर कतई चुप बैठने वाले नहीं हैं।

पीटीएन न्यूज मीडिया ग्रुप के सीनियर एडिटर मुकेश कुमार सिंह की रिपोर्ट

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