पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह विधानसभा में लाएंगे प्राइवेट बिल.
ED-CBI को बिहार आने से रोकने के लिए प्राइवेट बिल के लिए CM से नीतीश से समर्थन.
सिटी पोस्ट लाइव : पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह एक बार फिर नीतीश कुमार के लिए बड़ी चुनौती बनते जा रहे हैं.सुधाकर सिंह विधानसभा में ED और CBI के खिलाफ प्राइवेट बिल लाने वाले हैं.उन्होंने इस बिल पर सीएम नीतीश कुमार और JDU का समर्थन माँगा है. सुधाकर सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जल्द सीबीआई को दी गई आम सहमति खत्म करेंगे.उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री विधानसभा में इस विधेयक पर जल्द से जल्द कानून बनाएंगे ताकि बिहार में बीजेपी की ओर से केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग बंद हो.
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार केंद्रीय जांच एजेंसियों की कार्रवाई पर बयान से बचते नजर आए हैं.राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के परिवार और RJD नेताओं पर लगातार ED और CBI कार्रवाई कर रही है. इस कार्रवाई के खिलाफ राजद विधायक सुधाकर सिंह प्राइवेट बिल लाने वाले है. उन्होंने कहा कि वो आज विधानसभा में जांच एजेंसियों पर लगाम लगाने के लिए प्राइवेट बिल पेश करेंगे. सुधाकर सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार DSPE एक्ट का दुरुपयोग कर रही है. राज्य में केंद्रीय जांच एजेंसियां समय-समय पर मनमाने तरीके से बिहार सरकार की अनुमति के बिना छापेमारी कर रही है, जो राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित है.
सुधाकर सिंह ने कहा बिहार सरकार ने दिल्ली स्पेशल पुलिस इस्टेब्लिशमेंट एक्ट (DSPE Act) के सेक्शन 6 के तहत सीबीआई समेत DSPE एक्ट के अधीन आने वाली अन्य जांच एजेंसियों को आम सहमति दी है. इसका नाजायज फायदा सीबीआई के जरिए उठाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि अब रोकने की जरूरत है. राज्य सरकार की अनुमति के बिना सीबीआई और ईडी राज्य में प्रवेश ना करे.केंद्रीय जांच एजेंसियों के खिलाफ सुधाकर सिंह ने बिल पेश करने की बात करते हुए कहा कि वह आज प्राइवेट बिल को विधानसभा अध्यक्ष के सामने प्रस्तुत करेंगे.
सुधाकर सिंह ने कहा कि विपक्षी पार्टियों को परेशान करने के लिए सीबीआई का दुरुपयोग किया जा रहा है. झारखंड, पंजाब, महाराष्ट्र, मेघालय, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मिजोरम आदि राज्य हैं, जहां सीबीआई और ईडी को राज्य सरकार से अनुमति लेनी होती है.सुधाकर सिंह ने यह मांग की कि इन छापों को रोकने के लिए बिहार को भी कदम उठाना चाहिए. सुधाकर सिंह ने कहा कि केंद्रीय जांच एजेंसियों को दी गई आम सहमति को रद्द करने की जरूरत है.
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