आखिर पीयू के छात्रों के सामने झुक गयी नीतीश की सरकार, पुलिस ने छात्रों को किया रिहा
सिटी पोस्ट लाईव – पटना विवि छात्र संघ का मुद्दा थमने का नाम नही ले रहा है. कोई न कोई विवाद रोज सामने आ रहा है. अभी छात्रों के बीच मारपीट का मामला शांत भी नही हुआ था की एक नया विवाद जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का आ गया. बीती रात सोमवार को छात्रों ने पीके के विवि कुलपति से मिलने पर जोरदार नारेबाजी की थी. साथ ही छात्रों ने पीके के गाड़ी पर पत्थराव भी किया था. बहुत मुश्किल से प्रशांत किशोर को सुरक्षित प्रशासन बाहर लेकर आई थी. पुलिस ने इसी दौरान दस छात्रों को गिरफ्तार भी किया था.पुलिस का कहना है कि उपद्रवी छात्रों में कुछ बाहर के भी थें. लेकिन आज इन दस छात्रों को रिहा कर दिया गया है.
मालूम हो की सोमवार को जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रशांत किशोर पटना विवि के कुलपति से मिले थें.उसके बाद राजनीति गरमा गई थी.कई छात्र संगठनों ने इस मामले पर कुलपति के आवास को चारो तरफ से घेर लिया था. छात्रों ने रोड़ेबाजी भी की थी.जिससे उनका गाड़ी छतिग्रस्त हो गया था.बाद में भाजपा का एक प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मुलाकात किया था और इसे आचार संहिता का उल्लंघन बताया था . इसके बावजूद जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर वीसी से मिलने उनके आवास पर पहुंचे थे. जिसे लेकर गुस्साए छात्रों ने वीसी आवास को घेर लिया था. छात्र पीके के कैंपस में आने का विरोध कर रहे थे. छात्रों की भीड़ को काबू करने को लेकर पांच थानों की पुलिस भी बुलाई गई थी.लेकिन इस मुद्दे पर सभी छात्र संगठनों को एक होते हुए देखा गया.वहीं पीके को भी चोट लगने की बात सामने आई है. इस मामलें में पुलिस ने करीब 10 छात्रों को गिरफ्तार कियार था. जिन्हे आज रिहा कर दिया गया है.
वहीं इस गिरफ्तारी को लेकर भाजपा भी मैदान में आ गई .छात्रों की रिहाई से पहले जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर की गिरफ्तारी की मांग को लेकर बीजेपी के नेता धरने पर बैठे हैं. पीरबहोर थाना परिसर में जमकर नारेबाजी भी हुई है. इस दौरान बीजेपी विधायक अरुण सिन्हा ने कहा कि अगर अन्याय होगा तो हम आवाज जरूर उठाएंगे. अरुण सिन्हा के साथ ही साथ बीजेपी नेता नितिन नवीन भी धरने पर बैठे. इस दौरान भारी संख्या में ABVP कार्यकर्ता भी शामिल थे.वहीं कार्यकर्ताओं ने रिहाई पर खुशी जाहिर करते हुए कहा की हमारा आन्दोलन अन्याय के खिलाफ जारी रहेगा.हम सभी छात्र इस मुद्दे पर एक हैं. यह साफ़ तौर पर चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश है.
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