विधानसभा चुनाव से पहले विधानपरिषद के लिए चुनाव, जानिए किसे कितना होगा फायदा
सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होना है. लेकिन उससे पहले विधानपरिषद के चुनाव होंगे. अप्रैल में राज्य विधान परिषद की 27 सीटें खाली हो रही हैं. इनमें से 17 सीटों के लिए चुनाव होने हैं. इसमें ज्यादातर सीटें एनडीए कोटे की हैं. वहीं, विधानसभा कोटे से सभी सीटें एनडीए से ही खाली हो रही हैं, लेकिन आरजेडी और कांग्रेस को भी संख्या बल के आधार पर सीटें मिलेंगी. बता दें 17 सीटों पर होने वाले चुनाव में नौ सीटें विधानसभा कोटे से चुनी जाएंगी. इसके लिए विधानसभा में विधायकों की संख्या पर चुनाव होगा. शिक्षक कोटे से चार सीटों पर चुनाव होंगे, वहीं स्नातक की चार सीटों पर भी चुनाव है. दस सीटें राज्यपाल कोटे से खाली हो रही हैं. विधान परिषद की जो 27 सीटें खाली हो रही हैं, उनमें से 9 विधानसभा कोटे से, 4-4 सीटें शिक्षक और स्नातक कोटे से जबकि 10 सीटें राज्यपाल कोटे से हैं। विधानसभा चुनाव से पहले इस चुनाव को सत्ता के सेमीफाइनल के रूप में देखा जा रहा है.
खली होने वाली सीटों में जेडीयू से अशोक चौधरी, हारून रशीद, हीरा प्रसाद बिंद, पीके शाही, सतीश कुमार, सोनेलाल मेहता विधानसभा कोटे से हैं. बीजेपी से कृष्ण कुमार सिंह, राधा मोहन शर्मा, संजय प्रकाश मयूख विधानसभा कोटे से हैं. राज्यपाल मनोनयन कोटा से जावेद इकबाल, ललन सर्राफ, रामचंद्र भारती, राम लखन राम रमण, रामबदन राय, राणा गंगेश्वर सिंह, रणवीर नंदन, संजय कुमार सिंह, शिव प्रसन्न यादव, विजय कुमार मिश्र अपना कार्यकाल पूरा कर रहे है. शिक्षक कोटा से केदार पांडे सारण सीपीआई से, मदन मोहन झा दरभंगा कांग्रेस से, संजय कुमार सिंह तिरहुत सीपीआई से और प्रोफेसर नवल किशोर यादव पटना बीजेपी से अपना कार्यकाल पूरा कर रहे हैं. स्नातक कोटे से नीरज कुमार पटना जेडीयू से, दिलीप कुमार चौधरी दरभंगा जेडीयू से, डॉक्टर एनके यादव कोशी बीजेपी से और देवेश चंद्र ठाकुर तिरहुत निर्दलीय से अपनी किस्मत आजमाएंगे.
बताते चलें इस चुनाव में विधायक प्रत्याशियों के लिए वोट करेंगे. जिस पार्टी का जितना संख्या बल होगा उस पार्टी को उस मुताबिक जीत मिल जाती है. नौ सीटों के लिए जब वोट होंगे उसमें एक सीट के लिए 25 विधायक वोट करेंगे. हालांकि पार्टियों की जो संख्या है उसके हिसाब से इसबार आरजेडी को तीन और कांग्रेस को एक सीट का फायदा होगा. क्योंकि जेडीयू के पास 70 विधायक हैं तो बीजेपी के पास 54 और एलजेपी के पास दो विधायक हैं. वहीं, आरजेडी के 79 और कांग्रेस के 26 विधायक हैं. सीपीआई एमएल के तीन, हम से एक, औवेसी के दल से एक विधायक और पांच निर्दलीय विधायक हैं. इस लिहाज से बीजेपी के पास तीन में से दो ही सीटें बच जाएंगी.
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