सिटी पोस्ट लाइव : पंचायत चुनाव कराने को लेकर केंद्रीय और राज्य निर्वाचन आयोग के बीच रस्साकशी जारी है.ये रस्साकशी ईवीएम (EVM) के माध्यम से चुनाव कराने को लेकर है.इस रस्साकशी की वजह से बिहार (Bihar) में समय पर पंचायत चुनाव (Panchayat Election) होने की संभावना कम होती जा रही है. पंचायतों का कार्यकाल जून महीने में ही खत्म हो रहा है.
सूत्रों के अनुसार पंचायत चुनाव को लेकर ईवीएम का मामला सुलझ नहीं पाया तो पंचायतों के कामकाज के सुचारू ढंग से संचालन के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जरूरत पड़ेगी. ऐसे में 2006 में बने पंचायती राज एक्ट में संशोधन अनिवार्य होगा. संभावना इस बात की है की सरकार पंचायती राज एक्ट 2006 में संशोधन के लिए अध्यादेश ला सकती है.दरअसल मौजूदा एक्ट में यह प्रावधान नहीं है कि अगर समय पर चुनाव नहीं हुए तो वैकल्पिक व्यवस्था किस तरह की होगी.
अभी विधानसभा का सत्र भी नहीं चल रहा है और हाल फिलहाल में सत्र आहूत होने की संभावना भी नहीं है. सवाल यही है कि अगर समय पर चुनाव नहीं हुआ तो किस प्रकार की वैकल्पिक व्यवस्था अपनाई जाएगी? दूसरे राज्यों के पंचायती राज एक्ट में वैकल्पिक व्यवस्था का प्रावधान है. राज्य निर्वाचन आयोग के पास फिलहाल पंचायती राज एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव विचाराधीन है. ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही पंचायती राज विभाग को निर्वाचन आयोग द्वारा संशोधन से संबंधित प्रस्ताव भेजा जा सकता है.
राजस्थान में 2020 में जनवरी-फरवरी में ही पंचायत चुनाव होना था लेकिन समय पर चुनाव नहीं होने के बाद वहां प्रशासक नियुक्त किया गया था. राजस्थान के पंचायती राज एक्ट में इस तरह का प्रावधान था. इसलिए कोई असुविधा नहीं हुई. उत्तर प्रदेश में भी विलंब से पंचायत चुनाव हो रहा है और वहां भी वैकल्पिक प्रावधान के तौर पर प्रशासक नियुक्त किया गया है. दरअसल बिहार में मौजूदा संकट इसलिए है. क्योंकि ईवीएम बनाने वाली कंपनी पीसीआईएल यानी इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड को ईवीएम की आपूर्ति के लिए केंद्रीय चुनाव आयोग की तरफ से अब तक एनओसी नहीं मिल पाई है.
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