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6 घंटे में जल निकासी का दावा फेल, 12 घंटे बाद भी शहर के 150 मोहल्ले पानी पानी

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सिटी पोस्ट लाइव : वर्ष 2019 में पटना डूब गया था. पटना की सड़कें नदियों में तब्दील हो गई थीं. 15 दिनों तक लोग अपने घरों में कैद हो गये थे. लेकिन फिर भी सरकार ने सबक नहीं लिया. इसबार भी मानसून की पहली बारिश में ही राजधानी पानी पानी हो गई. पटना के 150 से अधिक मोहल्ले जलमग्न हो गए हैं. मानसून पहले आया है और अलर्ट सामान्य से अधिक बारिश को लेकर है. ऐसे में पटना में जल जमाव का खतरा आने वाले समय में बढ़ सकता है.2019 से लेकर 2021 के बीच हालात बिगड़े हैं. 2019 में 28, 29 और 30 सितंबर को तीन दिनों में हुई बारिश ने पटना को डुबो दिया था. 28 सितंबर को 158 MM, 29 सितंबर को 227 MM और 30 सितंबर को 91.6 MM बारिश हुई थी. तीन दिनों की बारिश का असर हुआ कि 28 सितंबर से 15 अक्टूबर तक पटना डूब गया.

इस बार 12 घंटे में 145 MM बारिश हुई है. एक दिन में ही पटना में जिस तरह से बारिश हुई है, ऐसे ही आगे भी हुई तो पटना का हाल 2019 से भी खराब होग. मौसम विभाग का जिस तरह से अलर्ट आ रहा है, उससे तय है कि इस बार भी बारिश रिकॉर्ड तोड़ने वाली होगी.2019 में पटना की सड़कों और मोहल्लों में इतनी खुदाई नहीं हुई थी. 2021 में सड़क और गली-मोहल्लों में काफी खुदाई हो गई है. पटना में 76 जगह ऐसी हैं, जहां सड़कों की खुदाई से गड्‌ढा हो गया है. यहां कम बारिश में ही जलजमाव की स्थिति हो जाती है. शुक्रवार की रात बारिश में तो इन मोहल्लों में लोगों का रहना मुश्किल हो गया. घरों में पानी घुस गया और लोगों को इधर-उधर शरण लेनी पड़ी. पटना में एक दिन की बारिश में 150 से अधिक मोहल्लों में जलजमाव हो गया है.

पटना में जल जमाव के कई कारण हैं. नालों से सिल्ट की पूरी तरह से सफाई नहीं होना सबसे बड़ा कारण है, जिन इलाकों में सीवरेज पाइप बिछाया गया, उनको छोटे नालों से लिंक नहीं किया गया है. कई जगह सड़कों से नाले का लेबल ऊपर हो गया है.राजेंद्र नगर, पाटलिपुत्रा की तरह अन्य इलाकों में सीवरेज पाइप के लिए खुदाई कर छोड़ दिया गया है. अधिकतर जगहों पर मेन होल का अता-पता नहीं है.नालियों पर अतिक्रमण को नहीं हटाया जा सका है. ड्रेनेज और सीवरेज के लिए व्यवस्था सही नहीं, कई जगह पाइप डैमेज है.सम्प हाउस बढ़ाया गया, लेकिन व्यवस्था नाकाफी है. 2019 की अपेक्षा 2021 में केवल सम्प हाउस की संख्या बढ़ाई गई है. इसकी संख्या बढ़ाकर 47 कर दी गई है, लेकिन मोहल्लों में सड़कों की खुदाई से ही व्यवस्था चरमरा गई है. सम्प हाउस से भी लोगों को राहत नहीं मिल पा रही है.पटना के निचले इलाकों में हल्की बारिश में ही जलजमाव की स्थिति हो रही थी, लेकिन कोई काम नहीं किया गया और जब बारिश हुई तो पोल खुल गई है.

शुक्रवार को बारिश के बाद इन मोहल्ले में लोगों को बाहर निकलना मुश्किल हो गया. पाटलिपुत्र की हालत देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तरह से ऐसे निचले इलाकों में परेशानी होगी.न्यू पाटलिपुत्र कॉलोनी काफी नीचे है और यहां नालियों की हालत खराब है. नालियां जाम और टूटी पड़ी हैं. पूरी कॉलोनी में किसी भी नाली की स्थिति ठीक नहीं है. मोहल्ले में पानी लगा है और सड़कों पर चलना मुश्किल है. पाटलिपुत्र मुख्य सड़क से सटे इस मोहल्ले में कोई भी ऐसी सड़क नहीं है, जो टूटी नहीं हो और उस पर पानी नहीं लगा हो.

पटना नगर निगम अंतर्गत 9 बड़े नालों में सर्पेंटाइन नाला, योगीपुर नाला, मंदीरी नाला, बाकरगंज नाला, आनंदपुरी नाला, कुर्जी नाला, बाईपास नाला (कंकड़बाग क्षेत्र), बाईपास नाला (नूतन राजधानी क्षेत्र) एवं सैदपुर नाले की उड़ाही का कार्य एजेंसी के माध्यम से होता है. इस वर्ष 2020-21 में 6 कारोड़ की लागत से नालों से सफाई की गई है. इसके बाद भी नालों की सफाई सही ढंग से नहीं हो पाई है. इस बार सफाई के नाम पर घोटाला किया गया है.नगर निगम का दावा था कि बारिश के 6 घंटे बाद पानी शहर से निकल जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. रात में बारिश हुई और मोहल्लों का पानी शनिवार की शाम तक नहीं निकल पाया. ऐसे में नगर निगम के दावे की पूरी पोल खुल गई है.

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