आज जेपी के चेले मना रहे उनकी जयंती, मकसद उनके नीति-सिद्धांत पर चलना नहीं सत्ता पर काबिज होना
सिटी पोस्ट लाइव : आज लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती पुरे देश भर में खासतौर पर बिहार में बड़े धूमधाम से मनाई जा रही है. स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर स्वतंत्र भारत की राजनीति में अहम् भूमिका निभानेवाले नायकों में लोकनायक जयप्रकाश नारायण का नाम सबसे ऊपर है. सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान उन्हें ब्रिटिश शासकों ने प्रताड़ित किया तो आजाद हिंदुस्तान की सरकार ने जेल में डाल दिया.आपातकाल के दौरान देश की राजनीति की दिशा बदल देनेवाले जयप्रकाश नारायण देश और देश की जनता के उत्थान के लिए हमेशा समर्पित रहे. हमेशा लोकतांत्रिक मूल्यों के स्थापना की लड़ाई लड़ते रहे.
आजादी के बाद बड़े-बड़े पद को ठुकरा देनेवाले जेपी गांधीवादी आदर्शों के अनुसार जीवन जीते रहे. जब उन्हें लगा कि सत्ता निरंकुशता और भ्रष्टाचार से ग्रस्त हो रही है, तो वे फिर एकबार मैदान में कूद पड़े. आजादी के बाद जनआंदोलन चलाने वाले जयप्रकाश नारायण ने 1973 में महंगाई और भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग का ऐलान किया. उन्होंने एक बार फिर संपूर्ण क्रांति का नारा दिया. इस बार उनके निशाने पर अपनी ही सरकार थी. सरकार के कामकाज और सरकारी गतिविधियां निरंकुश हो गई थीं. गुजरात में सरकार के विरोध का पहला बिगुल बजा. बिहार में भी बड़ा आंदोलन खड़ा हो गया.
1974 में ही पटना में छात्रों ने आंदोलन की शुरुआत की. यह शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक रहेगा, इस शर्त पर जेपी ने उसकी अगुवाई करना मंजूर किया. गिरते स्वास्थ्य के बावजूद जेपी इस आंदोलन से जुड़े और यह आंदोलन बाद में बिहार में सरकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ा आंदोलन बनकर उभरा. और आखिर में जेपी के कारण ही यह आंदोलन ‘संपूर्ण क्रांति’ आंदोलन बना. इस आंदोलन से केन्द्र में कांग्रेस को सत्ता से हाथ धोना पड़ गया था.
राष्ट्रीय जनता दल के लालू प्रसाद यादव, जनता दल यूनाइटेड के नीतीश कुमार और भारतीय जनता पार्टी के सुशील मोदी, ये तीनों जेपी आंदोलन में विद्यार्थी नेता के रूप में उभरे और बुलंद मुक़ाम हासिल किया. सुशील मोदी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से आए थे. आपातकाल के बाद वहीं लौट गए. लालू और नीतीश ने बिहार से होते हुए केंद्र की सियासत में भी अपना सिक्का जमाया. राम विलास पासवान जेपी आंदोलन में शामिल नहीं हुए लेकिन आपातकाल के विरोध में जेल जाने वालों में उनका भी नाम आता है.तब से लेकर अबतक जेपी के दायें बाएं खड़े रहनेवाले इन्हीं दो चेलों के हवाले बिहार की सत्ता रही. आज यहीं दोनों चेलों के बीच सत्ता का संघर्ष चल रहा है.
इसके बाद देश में जो सरकार विरोधी माहौल बना और इंदिरा गांधी का सत्ता में रहना मुश्किल होने लगा तो 1975 में इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा की, जिसके अंतर्गत जेपी सहित 600 से भी अधिक विरोधी नेताओं को बंदी बनाया गया और प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी गई. जेल मे जेपी की तबीयत और भी खराब हुई. 7 महीने बाद उनको मुक्त कर दिया गया.
11 अक्टूबर, 1902 को जन्मे जयप्रकाश नारायण भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता थे. वे समाज-सेवक थे, जिन्हें ‘लोकनायक’ के नाम से भी जाना जाता है. 1999 में उन्हें मरणोपरांत ‘भारत रत्न’से सम्मानित किया गया. इसके अतिरिक्त उन्हें समाजसेवा के लिए 1965 में मैगससे पुरस्कार प्रदान किया गया था. पटना के हवाई अड्डे का नाम उनके नाम पर रखा गया है. दिल्ली सरकार का सबसे बड़ा अस्पताल ‘लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल’भी उनके नाम पर है. लोकनायक जयप्रकाश जी की समस्त जीवन यात्रा संघर्ष तथा साधना से भरपूर रही.आज एकबार फिर से उनके चेले उन्हें जन्म दिन के बहाने याद कर रहे हैं. लेकिन मकसद उनकी नीतियों और सिद्धांतों पर चलाना नहीं बल्कि उनके नाम पर राजनीति कर सत्ता पर काबिज होना भर है.
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