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डीआईजी का पुराना और रटा-रटाया फरमान, पेश किया पुलिस प्रगति रिपोर्ट

थाने को सूचित कर बैंक में राशि जमा करायें कारोबारी

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डीआईजी का पुराना और रटा-रटाया फरमान, पेश किया पुलिस प्रगति रिपोर्ट

सिटी पोस्ट लाइव : कोसी प्रक्षेत्र के डीआईजी सुरेश प्रसाद चौधरी ने मंगलवार को अपने वेश्म में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में साप्ताहिक पुलिस प्रगति रिपोर्ट को सार्वजनिक किया। चौधरी ने मीडिया कर्मियों को 23 जुलाई से लेकर 30 जुलाई के बीच कोसी प्रमंडल में पुलिस द्वारा हुई कारवाई के बारे में जानकारी दी। डीआईजी ने बताया कि सहरसा में कुल 159 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया जिसमें 67 अभियुक्त को जेल भेज दिया जिसमें 11 आरोपी मुख्य अपराध से जुड़े हुए थे। जबकि देशी पिस्तौल 01 कारतूस 01 मोटरसाइकिल 07, टाटा भान 01 भी बरामद किया गया। इसी तरह सुपौल में कुल 41 आरोपियों को हिरासत में लिया गया जिसमें से 02 को जेल भेजा गया। 28 आरोपी मुख्य अपराध से जुड़े हुए थे। एक देशी पिस्तौल एक कारतूस, 01 वाहन भी बरामद किए गए। जुर्माना की राशि के रूप में 52 हजार 600 रुपया वसूला गया।

मधेपुरा में 123 आरोपियों को पकड़ा गया जिसमें 66 को जेल भेजा गया ।इनमें 4 आरोपी मुख्य अपराध से जुड़े हुए थे। देशी मास्केट 02 और देशी पिस्तौल 02, कारतूस 25, मोटरसाइकिल 05 और नगद एक लाख तीन हजार 350 रुपया जुर्माना के रूप में वसूला गया है। शराब के मामले में तीनों जिले मिला कर 471.99 लीटर विदेशी शराब और 341.85 देशी शराब बरामद किया गया। अन्य तरह के बरामदगी के मामले में एक अपहर्ता,मोबाइल 03,विंडोलिया 02 और 50 हजार नगद भी बरामद किया गया। बेहतर कार्य करने एवं अनुसंधान को बारीकी से करने के कारण सहरसा के पुअनि मंगलेश कुमार मधुकर को नगद दो हजार रुपये बतौर पुरस्कार के रूप में दिया गया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि पुलिस अपराध नियंत्रण की दिशा में संवेदनशील बन कार्य कर रही है। आने वाले समय में इसके सकारात्मक परिणाम नजर आएंगे।

आये दिन व्यवसायी और कारोबारी के स्टॉफ या खुद कारोबारी के साथ लूट की वारदात को रोकने के लिए डीआईजी ने कड़ी हिदायत दी। चौधरी ने साफ और तल्ख लहजे में कहा कि बैंक में पैसा जमा कराने से पहले, वे थाने को सूचना दें और पुलिस की मौजूदगी में राशि बैंक में जमा करायें। बड़ी नेक सलाह डीआईजी ने दी है लेकिन उन्हें यह पता ही नहीं है कि यह तकिया कलाम कई एसपी और डीआईजी पहले ही पढ़कर जा चुके हैं। लेकिन पैसा जमा कराते समय आप पुलिस अधिकारी को बुलाते रहिये लेकिन वे समय से कभी नहीं पहुंचेंगे।व्यवसायी और कारोबारी पुलिस की लगातार हीला-हवाली से तंग आकर अपने माध्यम से बैंक में अपनी गाढ़ी कमाई जमा कराने को विवश हैं।

यहाँ गौरतलब है कि जब इतनी भारी मात्रा में अपराधियों को अगर पुलिस जेल भेजने में सफल हो रही है, तो फिर अपराध कम होने की जगह बढ़ क्यों रहे हैं। इसका सच हम आपको बताते हैं। लूट और संगीन अपराधों में पुलिस सही अपराधियों को पकड़ने में पूरी तरह से अक्षम और विवश है। इसलिए पुलिस अधिकारी,निर्दोषों के मत्थे अपराध मढ़कर उन्हें जेल भेजकर, विभिन्य कांडों की प्रगति दिखा रहे हैं। इसी तरीके को अपनाकर वे कोर्ट में फाईनल चार्जसीट जमा कर रहे हैं। जरा आप खुद सोचिए कि अगर सही अपराधी पकड़े जाते, तो बेहिसाब बढ़ रहे अपराध पर लगाम जरूर लगता। हम डंके की चोट पर कहते हैं कि पुलिस अपराध पर नियंत्रण की जगह नए अपराधी तैयार कर रही है।

सहरसा से संकेत सिंह की रिपोर्ट

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