नोटिस के वावजूद सुधाकर सिंह के तेवर हैं तल्ख़.
कहा-बिहार में RJD नहीं, नीतीश कुमार की सरकार, एक शब्द भी अनपार्लियामेंट्री नहीं कहा.
सिटी पोस्ट लाइव : पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह को RJD ने नोटिस जारी किया है.CM नीतीश कुमार पर लगातार टिप्पणी करने के कारण 17 जनवरी को जारी नोटिस में कहा गया है कि क्यों नहीं आप पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाए? जवाब के लिए 15 दिनों का वक्त दिया है.नोटिस का जवाब देने से पहले सुधाकर सिंह ने कहा कि किसानों के मुद्दे पर उनके तेवर पहले की तरह ही तल्ख रहेंगे. साफ-साफ कहा कि मैंने एक भी शब्द ऐसा नहीं कहा है, जिससे भाजपा को मजबूती मिले. नीतीश कुमार को भी एक शब्द अनपार्लियामेंट्री नहीं कहा.
नोटिस के बारे में सुधाकर ने कहा कि पार्टी की नीतियों, सिद्धांतों और संविधान से बंधा हुआ हूं. मैं समय सीमा के अंदर अपना पक्ष प्रस्तुत कर दूंगा. मैं इस पर नहीं जाना चाहता हूं कि नोटिस में क्या लिखा है और मेरा जवाब क्या होगा. पार्टी जैसा निर्णय लेगी, हम पार्टी के साथ काम करते रहेंगे.बक्सर में किसानों पर लाठीचार्ज पर सुधाकर सिंह ने कहा कि बिहार सरकार किसान समर्थक या किसान हितैषी तो कतई नहीं है.यह बात सही है कि भूमि अधिग्रहण में राज्य सरकार की भूमिका प्रशासनिक है. पैसे का भुगतान, न्यूनतम दर क्या होगी, इसमें भारत सरकार का भी रोल है. बिहार सरकार का दोष है कि उन्होंने लाठी चार्ज करवाया. अपने ही किसानों पर जो वास्तविक मुद्दों पर लड़ रहे थे.
सुधाकर सिंह ने कहा कि बिहार सरकार को किसानों की मदद करनी चाहिए. लेकिन इसके उलट कंपनियों के प्रभाव में आकर भारत सरकार के निर्देश पर किसानों पर लाठी चलायी गई. समाजवादी पार्टियों की सरकारें ऐसा नहीं करती हैं.यह बिहार सरकार की विफलता है. इसकी जांच करवानी चाहिए. एक सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग इसकी जांच करे. वहां के कलेक्टर और एसपी उन कंपनियों से मिले हुए हैं, जो वहां बिजली घर का निर्माण करवा रही हैं. 2009 में जो जमीन की कीमत तय थी, उसी अनुसार 2023 में भुगतान करना जाहिर तौर पर गलत है. इस बीच जमीन का भाव आसमान पर जा पहुंचा है. कानून नाम की कोई चीज नहीं है क्या?
आप विधान सभा के शीतकालीन सत्र में मंडी कानून को लेकर प्राइवेट मेंबर बिल लेकर आए थे, उसका क्या हुआ, ये पूछे जाने पर सुधाकर सिंह ने कहा कि आश्चर्यजनक रूप से आज तक मुझे विधान सभा द्वारा सूचित नहीं किया गया. तीसरा पत्र मैंने लिखा है कि आनेवाले बजट सत्र में प्राइवेट बिल को ला रहे हैं कि नहीं, हमें समय दे रहे हैं कि नहीं?अगर जबाब नहीं आया तो बजट सत्र में मैं निश्चित तौर पर हमारे पास और भी संवैधानिक उपाय हैं. मैं उसका इस्तेमाल करूंगा. इसे चर्चा में लाने की कोशिश करेंगे. सच यह है कि देश में कहीं भी विधायिका स्वतंत्र नहीं है. कार्यपालिका के दबाव में काम कर रही है.
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