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भूख हड़ताल में शामिल संविदा कर्मियों का एलान, नियोजन के बदले कुछ नहीं चाहिए

रात में हमने अनशनस्थल का लिया एक्सक्लूसिव जायजा

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भूख हड़ताल में शामिल संविदा कर्मियों का एलान, नियोजन के बदले कुछ नहीं चाहिए

सिटी पोस्ट लाइव, एक्सक्लूसिव : बीती रात 11.30 के बाद हमने सहरसा स्टेडियम के बाहर भूख हड़ताल में शामिल 10 अभ्यर्थियों का एक्सक्लूसिव जायजा लिया। हद की इंतहा हो गयी कि अंधेरे में सभी अनशनकारी बेसुध पड़े हुए थे। उनके कुछ धरनार्थी साथी बगल में बैठे हुए थे। अनशनस्थल पर प्रशासन की तरह से रौशनी की कोई व्यवस्था नहीं थी। सुरक्षा के लिए संतरी और मैजिस्ट्रेट नहीं थे। हमने खुद के साथ ले गए टॉर्च और इमरजेंसी लाईट पर इन अनशनकारियों की मौजूदा स्थिति को कैमरे में कैद किया। बीते 14 सितंबर से शुरू इस अनशन में वे अभागे कार्यपालक सहायक अभ्यर्थी शामिल हैं जो सरकार के हर मानक और कसौटी पर खड़े उतरे और सरकारी पैनल में इनका नाम दर्ज हुआ, लेकिन किसी विभाग में रिक्ति नहीं होने की वजह से इनका नियोजन नहीं हो सका।भूख हड़ताल में शामिल संविदा कर्मियों का एलान, नियोजन के बदले कुछ नहीं चाहिएइनकी कुल संख्यां 170 है। ये वर्ष 2014 से नियोजन के इंतजार में हैं। अभी पंचायती राज्य विभाग में 156 पद की रिक्ति आयी है, तो ये नियोजन के लिए सामने आए। लेकिन जिला प्रशासन के अधिकारी इन्हें बरगलाकर बाहर का रास्ता दिखा रहे हैं। मजबूरी में ये अनशन के लिए बाध्य हुए हैं। हमें तो इस बात का भी आश्चर्य हो रहा है कि जिला प्रशासन का एक भी मुलाजिम और डॉक्टर की टीम यहाँ नहीं पहुंची है। चार अनशनकारी की स्थिति बेहद खराब है। वाकई कुएं में ही भंग पड़ा है। अनशन में शामिल अभ्यर्थियों का कहना है कि हम उनकी आवाज सरकार से लेकर देश और दुनिया तक पहुंचाएं। हम उन्हें इंसाफ दिलाएं। सिटी पोस्ट लाइव लगातार इस खबर पर बना हुआ है। हम इनके हक की लड़ाई के साझीदार हैं। अब फैसला जिला प्रशासन के हाथों में है।

सहरसा से पीटीएन मीडिया न्यूज ग्रुप के सीनियर एडिटर मुकेश कुमार सिंह की रिपोर्ट

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