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लॉकडाउन बढ़ाने पर मौजूदा हालात को ध्यान में रखकर लेंगे फैसला: हेमंत सोरेन

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सिटी पोस्ट लाइव, रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि राज्य सरकार स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह के तहत लागू पाबंदियों और लॉकडाउन बढ़ाने पर मौजूदा हालात को ध्यान में रखकर फैसला लेगी। उन्होंने बताया कि राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में अगले दस दिनों तक घर-घर टेस्टिंग ड्राइव चलाया जाएगा, ताकि मौजूदा हालात की वास्तविकता का पता चल सके। इसे लेकर मुख्यमंत्री ने रूरल कोविड टॉस्क फोर्स को भी लांच किया गया। टॉस्क फोर्स के सदस्य ग्रामीण क्षेत्रों में हर दूसरे घर तक मेडिकल किट भी पहुंचाने का काम करेंगे। मुख्यमंत्री सोमवार को कोरोना संक्रमण से निपटने को लेकर कैबिनेट मंत्रियों के साथ वर्चुअल बैठक को संबोधित कर रहे थे।

दूसरे लहर काफी घातक साबित हुआ
हेमंत सोरेन ने कहा कि कोरोना संक्रमण का दूसरा लहर झारखंड के लिए इतना घातक साबित हुआ कि पहले लहर से राज्य ठीक से ऊबर भी नहीं पाया था, इस बीच दूसरे लहर ने काफी चोट पहुंचाने का काम किया। इस दौरान राज्य के लोगों ने अपने कई अपने, सगे-संबंधी और परिचितों को खो दिया। लेकिन राज्य की भौगोलिक परिस्थिति, प्राकृतिक वातारण और सामाजिक व्यवस्था इस तरह से बनी है कि यहां के लोग मुश्किलों में भी घबराते नहीं है, बल्कि उसका डटकर सामना करते है।

केंद्र को दूसरे लहर का आभास था, राज्यों को विलंब से निर्देश मिला
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत सरकार को कोरोना संक्रमण के दूसरे लहर के आने का का पूर्व से आभास था, लेकिन राज्यों को दिशा-निर्देश देने में काफी विलंब हुआ। बल्कि राज्यों को तो केंद्र से यहां तक सलाह दी गयी कि लॉकडाउन नहीं लागू करना हैं। परंतु संक्रमण का दर बढ़ने से स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए राज्यों को अपने-अपने तरीके से निर्णय लेना पड़ा, कहीं आंशिक लॉकडाउन लगा, तो कहीं पूर्ण लॉकडाउन लगाया गया। झारखंड में भी 22 अप्रैल से स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह के तहत कई पाबंदियां लगायी गयी और तीन बार इसे बढ़ाया गया। इसके बावजूद संक्रमण का दर बढ़ने पर राज्य सरकार को यह जानकारी मिली कि झारखंड के 24 में से 23 जिले दूसरे राज्यों की सीमा से लगे है और अंतररार्ज्यीय परिचालन लागू रहने के कारण बड़ी संख्या में लोग उन इलाकों से वापस लौट रहे है और वहां की हालात झारखंड से भी खराब है। इसके बाद राज्य सरकार ने परिचालन बंद करने और ई-पास की व्यवस्था लागू करने का निर्णय लिया। हालांकि 10 लाख से अधिक ई-पास जारी हुए, इस दौरान 50 प्रतिशत तक संक्रमण दर घटा। 35दिन पहले जहां प्रतिदिन 15 से 16 हजार संक्रमित मिल रहे थे, वह अब घटकर 2 हजार से ढ़ाई हजार के बीच हो गया है।

मृत्युदर दर का देश में सबसे ऊपर रहना चिंताजनक
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड में संक्रमण का दर घटा है, लेकिन मृत्यु दर अब भी देश में सबसे ऊपर है, यह चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्यों में कई चीजें बड़े पैमाने पर मैनुपुलेट की जाती है, लेकिन झारखंड में कोरोना संक्रमण से मरने वाले, टेस्टिंग और स्वस्थ्य होने वालों का आंकड़ा पूरी पारदर्शिता के साथ बताया जा रहा है,क्योंकि राज्य सरकार का मानना है कि सही आंकड़ा रहेगा, तभी प्रभावी तरीके से इस महामारी से निपटने में सहायता मिलेगी।

कफन खरीदने की जरूरत नहीं होगी, सरकार उपलब्ध कराएगी
हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड देश का पहला राज्य होगा, जो तीसरे वेब से निपटने के लिए अभी से प्रारंभिक तैयारी में जुट गया है। लोगों को संक्रमण से बचाने के साथ ही तीसरे लहर से निपटने के लिए भी आवश्यक कदम उठाये जा रहे है। लॉकडाउन बढ़ाने के मुद्दे पर राज्य सरकार मौजूदा हालात पर विचार-विमर्श कर निर्णय लेगी। वहीं ई-पास व्यवस्था को भी बेहतर बनाने की कोशिश जारी है। कैबिनेट मंत्री डॉ0 रामेश्वर उरांव और बन्ना गुप्ता द्वारा संक्रमण काल में लोगों की मौत होने पर कफन मिलने में हो रही परेशानी मुख्यमंत्री ने यह घोषणा कि अब राज्य में किसी को कफन खरीदने की जरुरत नहीं होगी, राज्य सरकार मुफ्त में कफन मुहैय्या कराएगी।

वैक्सीन की कमी, मिस मैनेजमेंट की बात किसी से छिपी नहीं
वैक्सीन की उपलब्धता पर मुख्यमंत्री ने चिंता जताते हुए कहा कि 18 से 44वर्ष के लिए राज्य सरकार के पास सिर्फ दो-तीन दिनों के लिए वैक्सीन उपलब्ध बचा है, कंपनियों की ओर से वैक्सीन का डोज नहीं उपलब्ध कराया जा सका है। वहीं भारत सरकार 45वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए जो वैक्सीन उपलब्ध कराये है, वह भी 7 से 10 दिनों के लिए पर्याप्त है, इसके बाद वैक्सीन नहीं उपलब्ध होने की स्थिति में वैक्सीनेशन के काम को बंद करना पड़ सकता है। वैक्सीन की कमी के पीछे मिस मैनेजमेंट की बात किसी से छिपी नहीं है, इस संबंध में वे ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहते है।

हर दूसरे घर में कोविड किट उपलब्ध होगा
मुख्यमंत्री ने कहा कि 30-35 दिन पहले शहरों में चारों ओर एंबुलेंस का सायरन गूंजता था, लेकिन आज स्थिति काफी हद तक नियंत्रित हुई है। राज्य सरकार की ओर से आंगनबाड़ी सेविका, सहायिका, मुखिया और नर्सां को मिलाकर गांव-गांव में प्रत्येक घर में कोरोना जांच के लिए विशेष टीम बनायी गयी है। हर पंचायत में ऑक्सीजन, टेस्टिंग किट की सुविधा उपलब्ध करा दी गयी है। राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में हर दूसरे घर में कोविड किट उपलब्ध होगा, दवा की उपलब्धता सुनिश्चित होने से लोग छोटी बीमारियों से भी बच जाएंगे और स्वस्थ रहेंगे, तभी उन्हें टीका लग पाएगा।

4करोड़ वैक्सीन की जरुरत, आयात करेंगे
हेमंत सोरेन ने कहा कि सभी को वैक्सीनेशन के लिए चार करोड़ टीका की जरुरत है, लेकिन राज्य सरकार को अभी सिर्फ 40 लाख टीका ही मिला है, इसलिए राज्य सरकार ने कोविड-19 वैक्सीन आयात करने का भी फैसला लिया है। इस संबंध में जल्द ही आवश्यक प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। मुख्यमंत्री ने राज्य के सभी जिला और अनुमंडल अस्पताल में ऑक्सीजन युक्त बेड की सुविधा उपलब्ध कराने और मैनपावर की कमी को दूर करने का भरोसा दिलाया।

अस्थायी की जगह स्थायी रूप से आधारभूत संरचना सुदृढ़ होगी
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए कई राज्यों में आनन-फानन में जर्मन टेक्निक से अस्थायी कोविड अस्पताल बना दिये गये, दो महीने बाद इसका कोई उपयोग नहीं रह जाएगा, लेकिन राज्य सरकार ने ऐसा करने के बजाय उपलब्ध आधारभूत संरचना को ही मजबूत करने का निर्णय लिया और स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार के लिए स्थायी व्यवस्था पर बल दिया है, ताकि आने वाले समय में भी झारखंड को स्वास्थ्य के लिए किसी के सामने हाथ फैलाने की जरुरत ना हो।

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