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Congress का नीतीश प्रेम और मिशन बिहार 2019 से बढ़ गई है RJD की चुनौती

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Congress का नीतीश प्रेम और मिशन बिहार 2019 से बढ़ गई है RJD की चुनौती

सिटी पोस्ट लाइव ( सोमनाथ ) : लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के ज्यादा सक्रीय हो जाने से सबसे ज्यादा परेशान एनडीए नहीं बल्कि आरजेडी है. कांग्रेस के कद बढ़ाओ अभियान ने आरजेडी की चिंता बढ़ा दी है. चुनाव मैदान में जाने से पहले कांग्रेस ने बिहार में अबतक दो महत्वपूर्ण कदम उठाकर अपने को आरजेडी की बी टीम होने की पहचान से मुक्त करने की कोशिश की है.

मदन मोहन झा को प्रदेश की कमान और अखिलेश सिंह को चुनाव अभियान का अध्यक्ष बनाकर  और तारिक अनवर को पार्टी में शामिल कराकर कांग्रेस ने सवर्णों के साथ साथ दलितों और अल्पसंख्यकों को साधने की कोशिश शुरू कर दी है. आगे भी कई फैसले लिए जाने हैं. बीजेपी-जेडीयू  के खिलाफ बिहार में आरजेडी-कांग्रेस और  हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) का गठबंधन है. लेकिन ज्यादा से ज्यादा सीटों पर अभी से दावेदारी शुरू हो गई है. सबकी मांग बहुत ज्यादा है. मांझी ओ 20 सीट की मांग कर ही चुके हैं और कांग्रेस भी सम्मानजनक समझौते की बात कर रही है. दरअसल, संगठन में फेरबदल करके सामाजिक समीकरण साधने की कोशिश के बाद बराबरी के आधार पर सीटों की मांग कांग्रेस कर सकती है.

कांग्रेस के नेता कह रहे हैं कि पिछले पांच वर्षों में कांग्रेस का कद पूरे देश में बढ़ा है. फिर बिहार में क्यों नहीं बढ़ सकता है? जाहिर है कांग्रेस पार्टी मोलभाव करने के मूड में है.सोनिया गांधी की भारतीयता के मुद्दे पर पिछले 22 वर्षों से कांग्रेस से अलग होकर बिहार में विश्वसनीय तरीके से राजनीति कर रहे राकांपा सांसद तारिक अनवर की कांग्रेस में वापसी का जो फायदा कांग्रेस को मिलेगा उसका सीधा असर आरजेडी पर होगा.

तारिक अनवर को साथ लेकर कांग्र्रेस खुद को बिहार में नए रूप  में देखने लगी है. राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि तारिक के जरिए कांग्र्रेस बिहार में अपने पुराने जनाधार खासतौर पर अल्पसंख्यकों को साधने की कोशिश करेगी, जिसका सीधा असर आरजेडी की सेहत पर पड़ेगा.लालू प्रसाद पिछले तीन दशकों से बिहार में मुस्लिम-यादव (माय) समीकरण के बूते राजनीति में अपनी खास वजूद बनाए हुए हैं. मुस्लिमों में अनवर की पैठ और विश्वसनीयता दोनों है.। ऐसे में तारिक की ताकत जैसे-जैसे बढ़ेगी, वैसे-वैसे आरजेडी की चुनौती बढ़ेगी.

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