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चिराग पासवान को अभी भी मंजूर नहीं है नीतीश कुमार का अजेंडा.

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सिटी पोस्ट लाइव : एलजेपी सुप्रीमो चिराग पासवान और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच भले ही अब बातचीत शुरू हो गई है लेकिन अभी भी चिराग पासवान अपने अजेंडे पर कायम हैं. चिराग पासवान ने फिर से दुहराया है कि बिहार में अब किसी एक व्यक्ति का एजेंडा नहीं चलने वाला है. एनडीए की तीन पार्टियां अगर साथ मिल कर चुनाव लड़ने जा रही हैं तो एजेंडा तीनों का होगा. यानि कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बनाना होगा. वह भी चुनाव से पहले. चिराग ने फिर कहा कि बिहार में अभी चुनाव कराने का वक्त नहीं है, लिहाजा चुनाव टाल देना चाहिये.

चिराग पासवान ने कहा कि बिहार में NDA या ऐसे किसी गठबंधन की सरकार बनेगी जिसमें लोक जनशक्ति पार्टी शामिल होगी तो कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के आधार पर बनेगी और चलेगी. देश में हर गठबंधन सरकार कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर चलती रही है. ये अलग बात है कि बिहार में रातों रात मुख्यमंत्री ने महागठबंधन छोड़कर एनडीए का दामन थाम लिया. अब सरकार उसी एजेंडे पर चल रही है जो आरजेडी-कांग्रेस और जेडीयू यानि महागठबंधन का एजेंडा था.

चिराग पासवान ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का 7 निश्चय योजना उनका एजेंडा नहीं हो सकता. ये एनडीए का भी एजेंडा नहीं है. ये वो एजेंडा है जिसे आरजेडी, जेडीयू और कांग्रेस ने मिलकर बनाया था. यही मेरे लिए चिंता का कारण है. मैं अपना एजेंडा चाहता हूं जो एनडीए का एजेंडा हो. हालत तो ये है कि बिहार में एनडीए की सरकार है और केंद्र सरकार के CAA-NRC के फैसले के खिलाफ नीतीश कुमार ने विधानसभा से प्रस्ताव पास करा लिया.

चिराग पासवान ने कहा कि वे ऐसी किसी सरकार में क्यों शामिल होंगे जिसमें उनके एजेंडे का नोटिस ही नहीं लिया जाये या उनकी उपेक्षा की जाये. वे बिहार में उसी गठबंधन के साथ रहेंगे जो चुनाव से पहले कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बनाये. चुनाव बाद की कौन जानता है. जो आज नहीं पूछ रहे हैं वो चुनाव होने के बाद क्या पूछेंगे. चिराग पासवान ने कहा कि वैसे तो बिहार में चुनाव कराने को लेकर आखिरी फैसला चुनाव आयोग को लेना है. लेकिन एक जिम्मेदार पार्टी होने के नाते वे आयोग को जमीनी हकीकत से अवगत करा रहे हैं. चिराग ने कहा कि उन्होंने चुनाव आयोग को लिख कर दे दिया है कि वे बिहार के करोड़ों लोगों को खतरे में नहीं डाल सकते. चुनाव होगा तो उससे पहले चुनाव प्रचार होगा. सोशल डिस्टेंसिंग के बीच चुनाव प्रचार, रैली, नुक्कड सभा कैसे होगा ये मेरी समझ से परे की बात है. हर जन प्रतिनिधि जनता से मिलना चाहेगा, इसके लिए सभा-रैलियां होंगी और फिर बड़ी आबादी कोरोना के संकट में फंसेगी.

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