सिटी पोस्ट लाइव : कुछ सालों पहले बिहार में एक चाचा-भतीजा का विवाद शुरू हुआ था. ये तब की बात है जब सीएम नीतीश कुमार ने राजद का साथ छोड़ भाजपा से हाथ मिला सरकार बना ली थी. इसके बाद तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि नीतीश चाचा धोखेबाज निकले. सत्ता पाने के लिए पहले राजद से मिले फिर राजद को छोड़ भाजपा के साथ सरकार बना ली. इस प्रकरण के बाद चाचा-भतीजा प्रकरण लम्बे समय तक चला. आज इस बात की चर्चा इसलिए की जा रही है क्योंकि एक और चाचा अपने भतीजे से धोखेबाजी कर बैठे हैं. ये हम नहीं बल्कि चिराग पासवान कह रहे हैं.
पशुपति पारस का चिराग को छोड़ खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष बन जाना और चार सांसदों को अपने साथ कर लेने का मामला अभी शांत नहीं होने वाला है. भतीजे चिराग ने चाचा को पानी पिलाने के लिए पूरी प्लानिंग कर ली है. चाहे उन्हें कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़े या अपने नेताओं को गोलबंद कर मोर्चा खोलना पड़े. चिराग किसी न किसी तरह चाचा को शिकस्त देने के लिए तैयार हैं. यही वजह है कि जहां कल वे लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से मिलकर अपनी बातों को रखा. वहीं चुनाव आयोग को पत्र लिखकर पारस के नेतृत्व वाले धड़े को उसकी बैठकों में पार्टी का चिह्न और झंडे का इस्तेमाल करने से रोकने का आग्रह भी किया है.
इसके साथ ही आज उन्होंने दिल्ली स्थित कार्यालय में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की. इस बैठक की ख़ास बात ये थी कि उन्होंने अपने जितने भी नेता हैं, उन सबकी आमंत्रित किया था. बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं की भीड़ दिखी. नारे लगे “चिराग तुम आगे बढ़ो हम तुम्हारे साथ हैं. मतलब साफ़ था कि चिराग के साथ उनके पार्टी के कार्यकर्त्ता और नेता साथ हैं. भले उनका साथ छोड़ सभी सांसद और चाचा पार्टी को अपना बात रहे हो. लेकिन असल में चिराग अपनी पार्टी को न छोड़ेंगे और न किसी को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने देंगे. इस बात का संदेश तो उन्होंने पिछले दिनों प्रेस कांफ्रेस कर दे दिया था. लेकिन आज इस बात को पुख्ता करने के लिए राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की.
बताया जा रहा है कि इस इस बैठक में चिराग पासवान ने नेताओं को शपथ भी दिलवाई. लोजपा का कंट्रोल किसके हाथ में होगा और किसके हाथ में नहीं, यह भविष्य के गर्भ में पल रहा है, मगर माना जा रहा है कि इस बैठक से चिराग आगे की रणनीति बनाएंगे. जाहिर है चिराग और पशुपति पारस में पार्टी पर दावा करने को लेकर लड़ाई है. दोनों के बीच वर्चस्व की लड़ाई है, जिसमें दोनों साबित करना चाहते हैं कि लोजपा के असली राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन हैं. देखना होगा कि ये लड़ाई कबतक और कितने दिनों तक चलेगी. कौन पार्टी का असली राष्ट्रीय अध्यक्ष है ये आने वाले समय से साफ़ हो जाएगा.
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