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चमकी बुखार से हो रही मौत और सत्ता की ठसक में बौराये नेताओं के बयान

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चमकी बुखार से हो रही मौत और सत्ता की ठसक में बौराये नेताओं के बयान

सिटी  पोस्ट लाइव : बिहार में एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम यानि चमकी बुखार  का कहर बीते 17 दिनों से जारी है. अब तक 140 से अधिक बच्चों की मौत हो चुकी है.सबसे ज्यादा असर मुजफ्फरपुर में है जहाँ 100 से ज्यादा 108 बच्चे काल की गाल में समा चुके हैं. आज इस बिमारी का जायजा लेने SKMCH पहुंचे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भारी विरोध का सामना करना पड़ा. मौत और मातम का कोहराम शुरू होने के 17 दिन बाद जब आज  सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी शहर के SKMCH अस्पताल पहुंचे तो लोगों का आक्रोश फूट पड़ा. उन्हें काले झंडे दिखाए गए और नीतीश कुमार वापस जाओ के नारे लगे.

दरअसल चमकी बुखार  के कारण मुजफ्फरपुर में 108, हाजीपुर में 11, समस्तीपुर में 5, मोतिहारी में 5, पटना के PMCH में एक, शिवहर में में 2 और नवादा में भी 1 बच्चे की मौत हुई है, हालांकि नवादा में हुई मासूम की मौत की आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है. अब मासूमों की मौत का ये आंकड़ा 132 तक पहुंच गया है, लेकिन स्थिति काबू में आती नहीं दिख रही है.

1995 से लगातार मौत का ये सिलसिला जारी है, लेकिन सरकारी सिस्टम फेल है. अब तक सही से इस बीमारी का कारण तक लगा पाने में सिस्टम नाकाम साबित हुआ है. जाहिर है ये आक्रोश सिर्फ सूबे के सीएम के विरुद्ध न होकर पूरे सरकारी सिस्टम के फेल होने के खिलाफ है. शासन-सत्ता की संवेदनहीनता के खिलाफ भी ये गुस्सा है.सूबे के वर्तमान सीएम नीतीश कुमार लगातार 15 वर्षों से शासन में बने हुए. उनके शासनकाल में ही अगर मौत के उपलब्ध आंकड़े गिने जाएं तो ये वर्ष 2009 से 17 जून 2019 तक 1000 से ऊपर पहुंच जाते हैं. साफ है कि 1000 मौतों के जिम्मेदार भी तो नीतीश कुमार के शासन को ही ठहराया जाएगा. इन तथ्यों के साथ यह भी सत्य है कि बीमारी के दौरान शासक दल से जुड़े लोगों ने अपनी संवेदनहीनता जाहिर की है यह आक्रोश उसका भी प्रतिफल है.

बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने 16 जून को AES से होने वाली मौतों के बारे में राज्य के स्वास्थ्य विभाग की बैठक के दौरान क्रिकेट स्कोर पूछा. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन रविवार को बिहार दौरे पर थे और उन्होंने SKMCH हुंचकर हालात का जायजा लिया. इसके बाद उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस भी किया था और इस दौरान स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे सोते हुए दिखे थे.

16 जून को SKMCH पहुंचे केंद्रीय स्वास्थ राज्यमंत्री और बिहार बीजेपी के नेता अश्विनी चौबे के आगे भी बीमारों के परिजनों ने खूब हंगामा किया. जब लोगों ने चौबे का हाथ पकड़कर उन्हें मरीज को देखने को कहा गया तो अपना हाथ झटककर बाहर निकल गए. इस दौरान चौबे के साथ मंगल पांडेय और हर्षवर्धन भी मौजूद थे.

बिहार के नगर विकास एवं आवास मंत्री सुरेश शर्मा ने अजीबो गरीब दावा किया है. उन्होंने कहा कि 128 की मौत की बात कर रहे हैं, लेकिन 200 बच्चे ठीक हो कर गए हैं. जब हीट ज्यादा बढ़ेगा तो मौतें हुईं, पेसेंट ज्यादा आया है. जाहिर है एक मंत्री की अपने 128 बच्चों की मौत का गम नहीं है, लेकिन 200 बच्चों को बचाने की बात कहकर सरकार की पीठ थपथपा रहे हैं. शुक्रवार को जब बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगलवार को मुजफ्फरपुर पहुंचे तो सड़कों पर मंत्री जी का काफिला गुजरने के दौरान एक एंबुलेंस को रोक दिया गया. जाहिर है इससे तो यही सवाल उठते हैं कि आखिर राज्य में लगातार हो रही मासूमों की मौत पर शासन-सत्ता बिल्कुल ही संवेदनशील नहीं है. जाहिर है कुर्सी की हनक और सत्ता की ठसक में संवेदनहीन होती सत्ता के चंद उदाहरण है.

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