City Post Live
NEWS 24x7

आखिरी चरण से बिहार चुनाव में CAA-NRC की एंट्री, नीतीश और योगी आए आमने-सामने !

-sponsored-

-sponsored-

- Sponsored -

सिटी पोस्ट लाइव : बिहार का चुनाव अब अपने आखिरी दौर में पहुंच गया है। तीसरे और आखिरी चरण के चुनाव प्रचार का शोर आज थम जाएगा। उसके पहले तमाम दिग्गज नेता प्रचार में जोर लगा रहे हैं। इस चरण में सभी का ध्यान सीमांचल पर टिका है। सीएम नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने वहां डेरा डाल दिया है। लेकिन इस बीच बिहार चुनाव के आखिरी चरण में CAA-NRC की एंट्री हो गयी है। वहीं घुसपैठियों के मुद्दे पर NDA के अंदर ही कन्फ्यूजन की स्थिति पैदा हो गयी है।

मुस्लिम बहुल सीमांचल के सियासी समीकरण को साधने के लिए सीएम नीतीश कुमार बुधवार को किशनगंज के कोचाधामन में उतरे थे। नीतीश कुमार ने इस दौरान अल्पसंख्यकों के लिए किए गए कामों का जिक्र करते हुए सीएए और एनआरसी को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने भाषण की शुरुआत में ही कहा, कुछ लोग दुष्प्रचार और ऐसी फालतू बातें कर रहे हैं कि लोगों को देश के बाहर कर दिया जाएगा। यहां से, देश से कौन किसको बाहर करेगा। किसी में दम नहीं है कि हमारे लोगों को देश से बाहर कर दे। सभी लोग हिन्दुस्तान के हैं, कौन बाहर करेगा?’

वहीं दूसरी तरफ किशनगंज से करीब सवा सौ किलोमीटर दूर कटिहार में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ एनडीए की फिर से सरकार बनते ही चुन-चुनकर घुसपैठियों को बाहर खदेड़ने की बात कर रहे थे। योगी ने कहा, प्रधानमंत्री मोदी ने घुसपैठ के मसले का हल तलाश लिया है। सीएए के साथ, उन्होंने पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में यातना का सामना करने वाले अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित की है। योगी ने यह भी कहा कि देश की सुरक्षा को भंग करने की कोशिश करने वाले किसी भी घुसपैठिए को बाहर निकाला जाएगा।

बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर इस सात नवंबर को होने वाले आखिरी चरण के चुनाव में सीमांचल के चार जिलों की 24 सीटों पर भी वोट डाले जाएंगे. पूर्णिया, किशनगंज, कटिहार और अररिया में मुस्लिम आबादी बड़ी है। सबसे खास यह है कि बांग्लादेशी शरणार्थियों की वजह से इलाके का जनसांख्यिकीय संतुलन बिगड़ने की बात सामने आती रही है।

गौरतलब है कि सीमांचल के इलाके में होने वाले मतदान से पहले असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने सीएए और एनआरसी को मुद्दा बना दिया है। मुस्लिम बहुत इलाके में यह मामला छाया हुआ है. बहरहाल, एनडीए के दोनों नेताओं के एक ही मुद्दे पर अलग-अलग बयान से मतदाताओं पर क्या असर पड़ेगा, यह तो 10 नवंबर को ही पता चल पाएगा, लेकिन इन बयानों से गठबंधन सहयोगी बीजेपी और जेडीयू की राय सीएए-एनआरसी के मुद्दे को लेकर एक नहीं लग रही है।

-sponsored-

- Sponsored -

-sponsored-

Comments are closed.