“विशेष” : अठारहवीं शताब्दी से मनाई जा रही, बनगांव की ऐतिहासिक घुमौर होली
सिटी पोस्ट लाइव “विशेष” : आपने ब्रज, वृन्दावन और बरसाने की मनोरंजक और यादगार होली तो जरुर देखी होगी लेकिन हम आपको सहरसा जिले के बनगांव में अठारहवीं शताब्दी से मनाई जाने वाली सामूहिक हुड़दंगी घुमौर होली का अदभुत नजारा दिखाने जा रहे हैं जहां हजारों की तायदाद में विभिन्य गाँवों के लोग एक जगह जमा होकर रंगों में डुबकियां लगाते हैं. हिन्दू-मुस्लिम और विभिन्य वर्ण-जातियों के लोगों का हुजूम किसी किवदंती की तरह एक जगह जमा होकर आपसी भाईचारे और मैत्री का ऐसा परचम लहराते हैं जिसे देखकर पूरे भारतवर्ष को गर्व होगा. इस होली की एक खास बात यह है की यह होली से एक दिन पूर्व ही मनाई जाती है. आज फागुन का आखिरी दिन है. इसलिए बनगांव की इस होली को फगुआ कहा जाता है जबकि और जगहों पर कल होने वाली होली जो चैत मास में होगी इसलिए उसे चैतावर कहा जाता है.बरसाने और नन्द गाँव जहां लठमार होली संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है वहीँ बनगांव की घुमौर होली की परम्परा आज भी कायम है.इस विशिष्ट होली में लोग एक दूसरे के काँधे पर सवार होकर, लिपट-चिपट और उठा-पटक कर के रंग खेलते और होली मनाते हैं.बनगांव के विभिन्य टोलों से होली खेलने वालों की टोली सुबह ग्यारह बजे तक माँ भगवती के मंदिर में जमा होती है और फिर यहाँ पर होली का हुड्दंग शुरू होता है जो शाम करीब छः बजे तक चलता है.
आज हम आपको सहरसा जिला के कहरा प्रखंड अंतर्गत पड़ने वाले बनगांव गाँव लाये हैं. इस गाँव में अठारहवीं शताब्दी से ही अभूतपूर्व होली खेली जाती है.गाँव के भगवती स्थान पर बच्चे-बूढ़े, जवान सभी एक जगह जमा होकर हुडदंगी घुमौर होली खेलते हैं. बनगांव भारत का एकलौता ऐसा गाँव हैं जहां सत्तर हजार से ज्यादा ब्राह्मण जाति के लोग रहते हैं. इस गाँव में तीन पंचायत है.यही नहीं ख़ास बात यह भी है की ब्राह्मणों के साथ-साथ यहाँ विभिन्य जातियों के अलावे मुस्लिमों की भी अच्छी तायदाद है. गाँव के लोगों के अतिरिक्त आसपास के कई गाँवों के लोग भी यहाँ आते हैं और होली का आनंद उठाते हैं. देखिये किस तरह सभी उम्र के लोग इस हुडदंगी होली में जान जोखिम में डालकर होली का मजा उठा रहे हैं. गाँव के लोगों का कहना है की संत लक्ष्मीनाथ गोंसाईं ने होली की परम्परा की शुरुआत की थी जिसे आजतक लोग बाखूबी निभा रहे हैं. इस होली में भारी तायदाद में मुसलमान भाई शामिल होकर ना केवल इसका मजा कई गुना बढ़ा देते हैं बल्कि इसे प्रेरणादाई भी बना डालते हैं.
क्षेत्र के आमलोग और गाँव की बच्चियां भी इस होली की खासियत बता–बताकर थक नहीं रही हैं.लड़कियों का कहना है की ऐसी होली पूरे भारतवर्ष में नहीं खेली जाती है.इस होली में यहाँ MLA, MP, मंत्री सहित देश के विभिन्य क्षेत्रों में ऊँचे पदों पर पदस्थापित क्षेत्रीय लोग भी आते हैं. सभी मिलकर यहाँ आज के दिन खूब मस्ती करते हैं. इस होली में सहरसा के भाजपा के पूर्व विधायक आलोक रंजन, भाजपा के पूर्व विधायक संजीव झा और सोनवर्षा राज के पूर्व निर्दलीय विधायक किशोर कुमार मुन्ना भी आये हैं जिन्हें इस हुड़दंग में खुद को बचाना मुश्किल साबित हो रहा है. देखिये रंगों के झरने में किस तरह वे ग्रामीणों के साथ होली का मजा लूट रहे हैं. रंगों का यह ऐसा त्यौहार है की इसमें मना करने की कोई गुंजाईश नहीं है.
इस मौके पर भाजपा विधायक आलोक रंजन, भाजपा के पूर्व विधायक संजीव झा और सोनवर्षा राज के पूर्व निर्दलीय विधायक किशोर कुमार मुन्ना ने कहा की यहाँ की होली पूरे देश को प्रेम और भाईचारे का सन्देश दे रहा है. देश के स्वाभिमान और समरसता का ऐसा नजारा कहीं भी देखने को नहीं मिल सकता है जहां हिन्दू-मुस्लिम और सभी जातियों के लोग इस तरह मिलकर पर्व का आनंद एक साथ उठा रहे हों. इनकी मानें तो बनगाँव की होली ब्रज की होली पर भी भारी है. प्रेम, भाईचारे और आपसी द्वेष को खत्म कर जिन्दगी की नयी शुरुआत करने का सन्देश देने वाले इस महान पर्व होली के सार्थक और आदर्श रूप सहरसा के बनगांव में निसंदेह आज भी सिद्दत से मौजूद हैं जिससे पुरे देश को सीख लेनी चाहिए. सिटी पोस्ट लाइव परिवार की तरफ से पूरे देशवासियों को होली की ढेर सारी शुभकामनाएं.
पीटीएन न्यूज मीडिया ग्रुप के सीनियर एडिटर मुकेश कुमार सिंह की “विशेष” रिपोर्ट
Comments are closed.