नीतीश कुमार को मजबूर करने की बीजेपी की क्या है रणनीति?
BJP के इन चार नेताओं ने CM नीतीश के खिलाफ खोला मोर्चा, जानिए वजह
नीतीश कुमार को मजबूर करने की बीजेपी की क्या है रणनीति?
सिटी पोस्ट लाइव : आगामी विधान सभा चुनाव में बिहार का राजनीतिक समीकरण क्या होगा, इसको लेकर अभीतक तस्वीर साफ़ नहीं है. तेजस्वी यादव अपने तमाम वरीय नेताओं की भावनाओं को नजर-अंदाज करते हुए ये साफ़ कर दिया है कि नीतीश कुमार के साथ वो चुनाव लड़ने को तैयार नहीं हैं. गौरतलब है कि आरजेडी के दो बरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह और शिवानन्द तिवारी लगातार नीतीश कुमार से महागठबंधन का नेत्रित्व करने की मांग कर रहे थे. उन्हें लगातार महागठबंधन में आने का न्यौता दे रहे थे. शिवानन्द तिवारी ने तो यहाँ तक कह दिया था कि आज की तारीख में नीतीश कुमार को छोड़कर विपक्ष के पास ऐसा कोई नेता नहीं है, जो मोदी का मुकाबला कर सके. लेकिन तेजस्वी यादव ने अपने ईन वरीय नेताओं के इस भावनाओं की ये कहकर धज्जी उड़ा दी कि नीतीश कुमार का महागठबंधन में नो इंट्री है.रघुवंश सिंह ने तेजस्वी के बयान पर चुप्पी साधने के बजाय उनके बयान को नॉन-पोलिटिकल करार दे दिया.जाहिर है महागठबंधन में में नीतीश कुमार के इंट्री को लेकर आरजेडी के अंदर घमशान छिड़ा हुआ है.
फिर ऐसे में ये सवाल लाजिमी है कि क्या अब नीतीश कुमार के महागठबंधन के साथ जाने का रास्ता बंद हो चूका है? क्या नीतीश कुमार अब बीजेपी के साथ ही चुनाव लड़ेगें. नीतीश कुमार का यह बयान से कि 20 20 का चुनाव जेडीयू NDA के साथ ही लडेगा और 200 सीटें जीतेगा, यहीं संकेत देता है कि नीतीश कुमार भी आरजेडी के साथ नहीं जाने का मन बना चुके हैं.लेकिन बीजेपी के चार बड़े नेता जिस तरह से नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं और बीजेपी का केन्द्रीय नेत्रित्व चुप्पी साधे हुए हैं, यहीं संकेत मिलता है कि बीजेपी नीतीश कुमार के साथ अपनी शर्तों पर चुनाव लड़ना चाहती है या फिर उन्हें अकेले चुनाव मैदान में उतरने को मजबूर करना चाहती है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) बीजेपी के इस रणनीति से परेशान हैं. उन्होंने पार्टी की राज्य परिषद की बैठक में यहाँ तक कह दिया कि हमारे खिलाफ बयान देने वालों का हश्र 2020 के बाद क्या होगा, समझ जाएंगे. इस बयान के बाद तो बीजेपी के नेताओं ने अपना हमला और भी तेज कर दिया है. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह (Giriraj Singh), पूर्व केंद्रीय मंत्री और वर्तमान में एमएलसी संजय पासवान (Sanjay Paswan), बीजेपी के राज्यसभा सांसद सीपी ठाकुर (CP Thakur) और एमएलसी सच्चिदानंद राय (Sachchidanand Rai)ने नीतीश कुमार पर और भी तीखे हमले शुरू कर दिए हैं. भोला पासवान शास्त्री की जयंती समारोह में बीजेपी के ये चारों नेता एक साथ एक मंच पर नजर आए और नीतीश कुमार पर जमकर हमला किया.
बीजेपी के ईन नेताओं ने नीतीश कुमार पर हमला बोलते हुए कहा कि कुछ लोगों को सत्ता का ऐसा नशा छाया हुआ है कि जिनके सहयोग से सरकार चला रहे हैं, उसी पार्टी नेता को धमकी दे रहे हैं. ये ठीक नहीं है. बीजेपी एमएलसी सच्चिदानंद राय ने यहाँ तक कह दिया कि इतना अहंकार ठीक नहीं. अहंकार की ये भाषा बर्दाश्त नहीं हो सकती. किसे 2020 में ठीक करने की धमकी दे रहे हैं. अगर अपने पर इतना ही विश्वास है तो 2020 क्यूं आज ही फैसला कर ले. आलाकमान अगर तय कर ले तो 243 सीटों पर हम चुनाव लड़ने को तैयार हैं.डॉक्टर सीपी ठाकुर तो लगातार ये कहते रहे हैं कि चुनाव के बाद तय होगा कौन मुख्यमंत्री होगा .वहीँ आज गिरिराज सिंह ने ये साफ़ कर दिया कि वो पार्टी लाइन पर ही काम कर रहे हैं. मतलब साफ़ है बीजेपी के ये नेता अपने मन से नहीं बल्कि केन्द्रीय नेत्रित्व के ईशारे पर नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं.
राजनीतिक गलियारे में ये चर्चा भी जोरशोर से चल रही है कि बीजेपी ने तेजस्वी यादव के ऊपर नीतीश कुमार के साथ चुनाव नहीं लड़ने का दबाव बना दिया है.बीजेपी चाहती है कि तेजस्वी यादव की पार्टी जेडीयू को छोड़कर गठबंधन करे ताकि नीतीश कुमार पर वह ज्यादा सीटों पर विधान सभा चुनाव लड़ने का दबाव बना सके.ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने का मकसद जेडीयू से ज्यादा सीट जीतकर अपना मुख्यमंत्री बनाने का दावा मजबूत करना है.अगर नीतीश इसके लिए तैयार नहीं हुए तो बीजेपी उन्हें अकेला या फिर कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ने को मजबूर करना चाहती है ताकि त्रिकोणात्मक संघर्ष हो जाए और बीजेपी उसका फायदा उठा सके.
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