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बीजेपी के बेगूसराय से सांसद भोला सिंह का निधन, कार्यकर्ताओं में शोक की लहर

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बीजेपी के बेगूसराय से सांसद भोला सिंह का निधन, कार्यकर्ताओं में शोक की लहर

सिटी पोस्ट लाइव : बेगूसराय के सांसद और बीजेपी के कद्दावर नेता भोला सिंह का शुक्रवार को निधन हो गया. वह 82 साल के थे. उन्होंने दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में अंतिम सांस ली. वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे और पिछले तीन दिनों से राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती थे. भोला सिंह के निधन से स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं में शोक की लहर दौड़ गई है. भोला सिंह के देहांत पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी से लेकर तमाम बड़े नेताओं ने दुःख व्यक्त किया है.

वही भोला सिंह के निधन की खबर सुन बीजेपी के तमाम बड़े नेता राम मनोहर लोहिया अस्पताल पहुंचे. जिनमें सबसे पहले केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह अस्पताल पहुंचे. बीजेपी के कद्दावर नेता के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि भोला सिंह की मृत्यु हमारे लिए अपूर्णीय छति है. जिसे कभी पूरा किया नहीं जा सकता. भाजपा के राष्ट्रिय अध्यक्ष अमित शाह ने भी ट्वीट कर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है अमित शाह ने कहा कि बेगूसराय से भाजपा सांसद भोला सिंह जी के निधन की दुःखद सूचना प्राप्त हुई. भोला सिंह जी का जीवन बिहार की जनता के विकास व उनकी समस्याओं के निवारण के लिए समर्पित रहा. वह बेगूसराय विधानसभा से आठ बार चुने गये. मैं दुख की इस घड़ी में उनके परिजनों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूँ.

बताते चलें कि बिहार के शहरी विकास मंत्री भी रह चुके भोला सिंह लेफ्ट के समर्थन से पहली बार 1967 में बेगूसराय से निर्दलीय विधायक चुने गए थे. भोला सिंह 8 बार बेगुसराय से विधायक चुने गए. 2009 में नवादा और 2014 में बेगुसराय से सांसद बने. वह बिहार के शिक्षा मंत्री और विधान सभा के उपाध्यक्ष भी रहे. सन् 2000 से 2005 के बीच वे बिहार विधान सभा के डिप्टी स्पीकर भी रहे थे. आगे वे भाजपा से सांसद बने. उन्होंने नवादा संसदीय क्षेत्र से चुनाव जीता. वे इतिहास के प्रोफेसर भी रह चुके थे। उनके निधन पर भाजपा सहित विभिन्न राजनीतिक दलों ने शोक व्यक्त किया है.

3 जनवरी 1939 को बेगूसराय गढ़पुरा के दुनही गांव में जन्मे भोला बाबू बीजेपी में आने से पहले दूसरे दलों में भी रहे. एक प्रवासी राजनेता के तौर पर उन्होंने घर बदलते हुए अपनी राजनीतिक यात्रा पूरी की. अपने पांच दशक से ज्यादा के राजनीतिक सफर में वह पहली बार 1967 में वाम दलों के समर्थन से निर्दलीय विधायक निर्वाचित हुए. डाॅ भोला सिंह किसी भी मुद्दे को अपने ढंग से सदन में रखते थे. उनके भाषण को मुख्यमंत्री हो या प्रधानमंत्री बड़े गौर से सुनते थे. भोला सिंह के कार्यक्रम को लोगों एक एक शब्द को याद रखते थे. उन्होंने एक बार सदन में किसी समस्या को रखते हुये कहा था कि किसी सभा में एक बकरे को ढोलक की थाप की आवाज़ खिंच कर ले आयी और उस ढोलक को देखकर बकरे ने रोना शुरू कर दिया, जब ढोलक ने पुछा बकरे को क्यों रो रहे हो तो बकरे ने कहा कि जब ढोलक पर थाप परती है तो हमारे आत्मा पर चोट पहुंचती है, क्योंकि जिस का आवाज़ मधुर सुनाईं पडता है वो कभी हमारे आपने थे.

1972 में वह सीपीआई से विधायक बने. लेकिन 1977 में उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम कर जीत दर्ज़ की। भोला सिंह ने जनता दल में आकर लालू प्रसाद के साथ भी राजनीति की. नब्बे के दशक में लालू के साथ रहने के बाद वर्ष 2000 में उन्होंने बीजेपी का दामन थामा. बिहार में एनडीए सरकार के दौरान वह मंत्री भी रहे। बाद में वह बीजेपी से सांसद भी बने. लेकिन हाल के वर्षों में मोदी सरकार की नीतियों का भी उन्होंने खुलकर विरोध किया था.

 

जीवन के अंतिम क्षण में अपने लोगों से उन्होंने कहा था. मैं बेगूसराय के अवाम के आशीर्वाद का राजनीतिक पुत्र हूं.  मेरे माँ बाप की कहाँ वह हैसियत थी कि आसमां को स्पर्श करूँ.  मैं जानता हूँ जिंदगी और मौत खुदा की मेहरबानी है. मैं बहुत जी चुका हूँ , पर अब भी मेरे कुछ कार्य बेगूसराय के आवाम के लिए शेष हैं. मैं अपने शरीर के कण कण को शहादत की मिट्टी में मिला देना चाहता हूँ. इस दुखद बीमारी में लाखों लोगों का आशीर्वाद मुझे प्राप्त हुआ है. इससे मेरी जिंदगी और मजबूत हुई है और ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि मुझे जनता के बीच ले चलें. मैं उनके गले का हार हूं. उनके निधन पर भाजपा सहित विभिन्न राजनीतिक दलों ने शोक व्यक्त की है.

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