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बीजेपी MLC ने लिखा खुला खत, कहा-CM से हो चुकी थी बात, लेकिन शिक्षक नेताओं ने दिया धोखा.

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बीजेपी MLC ने लिखा खुला खत, कहा-CM से हो चुकी थी बात, लेकिन शिक्षक नेताओं ने दिया धोखा.

सिटी पोस्ट लाइव  : बीजेपी एमएलसी नवल किशोर यादव ने शिक्षक संघ के नेताओं पर बड़ा आरोप लगाने के बाद अब उनके नाम एक हूला पत्र लिखा है. नवल किशोर यादव ने कहा है कि शिक्षक संघ पर शिक्षकों के साथ धोखा और अपने मतलब के हिसाब से इस्तेमाल कर रही है. इसे लेकर उन्होंने शिक्षकों के नाम एक खुला खत लिखा है.

बीजेपी एमएलसी के पत्र का मजमून कुछ इस प्रकार है…..

आदरणीय शिक्षक साथियों!

यह बहुत ही दुखद है कि कुछ शिक्षक संघ नेताओं ने शिक्षकों को बंधुआ मजदूर बनाकर सरकार के सामने अपनी जरूरतों के हिसाब से इस्तेमाल करते रहने का ठान लिया है. इन शिक्षक नेताओं ने शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर शिक्षकों के मान- सम्मान- ईमान से सौदा कर राजनीति चमकाने की कोशिश की है वह नींदनीय है. क्या इन शिक्षक नेताओं का मकसद शिक्षकों का कल्याण नहीं बल्कि सुर्खियाँ बटोरकर राजनीति चमकाना और खेल को बिगाड़ देना था?

मैं बहुत आहत हूँ क्योंकि मेरी बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी और उपमुख्यमंत्री श्री सुशील कुमार मोदी जी से इस मामले में सार्थक बातचीत हुई थी. दोनों नेताओं ने सभी माँगों को लेकर काफी पॉजिटिव रूख दिखाया था और उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री जी के स्तर पर इन मामलों को निपटाया जायगा.

आश्चर्य होता है कि जब बिहार सरकार ने नियोजित शिक्षकों के सेवाशर्त तैयार कर लिया था और उसको लागू भी करने को भी इच्छुक थी लेकिन पता नहीं क्यों इन शिक्षक नेताओं ने किस राजनीति के तहत उसको लागू कराना तो दूर उसपर भी बात तक नहीं की. लेकिन बीच में घुसकर इन शिक्षक नेताओं ने अपनी पीठ थपथपाने के लिए कुछ खास अधिकारियों से मिलीभगत कर शर्मनाक परिणति की उसकी जितनी निंदा की जाय कम होगा.

मेरा स्पष्ट मानना है और बिहार सरकार से माँग भी है कि शिक्षकों को हड़ताल से वापस आने परसंबंधित पदाधिकारी के समक्ष शारीरिक उपस्थिति दर्ज कराने का नियम बिलकुल ही अमान्य है. लॉकडाउन में गाँव- घर और दूर- दराज के शिक्षकों, जिनमें बड़ी संख्या महिलाओं की है यह एक गलत और असंवेदनशील निर्णय है. सरकार इसमें अविलंब संशोधन करे और वाट्सऐप, ऑनलाइन या ई-मेल से उपस्थिति सुनिश्चित कराई जाये.

दूसरी बात की हड़ताल पहले से भले ही चल रहा हो लेकिन लॉकडाउन के प्रारंभ को हड़ताल की आधिकारिक समाप्ति माना जाय. जब लॉकडाउन में स्कुल- कॉलेज- शिक्षण संस्थान सभी बंद थे तो इस दौरान नियोजित शिक्षकों को हड़ताल पर मानकर उनका वेतन रोकना या काटना कहाँ तक उचित है.

बिहार सरकार एक ओर दलित- पिछड़ो- गरीब- शोषित वर्ग को खाते में जीवनयापन के लिए पैसे, खाद्यान्न आदि से हरसंभव मदद करना चाहती है और नियोजित शिक्षकों का वेतन काट रही है। नियोजित शिक्षक गरीब निम्न वर्ग से ही आते हैं.

मेरी सरकार से माँग है कि शिक्षकों को बिना कटौती पूरा वेतन दिया जाय और बाद में उसका समायोजन किया जाय साथ ही लॉकडाउन को हड़ताल में न माना या जोड़ा जाय.मेरी नीति- नीयति स्पष्ट है कि छात्रों एवं शिक्षकों के हित से परे सोचना मेरे उसूल में नहीं है. उपर्युक्त दो तात्कालीक माँगों के अलावा मेरी बिहार सरकार से माँग है कि समान काम के लिए समान वेतन की तर्ज पर पूर्ण वेतनमान देने पर विचार करें. लेकिन किसी भी समझौते को सरकार के अधिकारी और तथाकथित शिक्षक नेता अंतिम रूप दें तो इतना तो सुनिश्चित होना ही चाहिए कि शिक्षकों का ईमान बेचकर और मान- सम्मान से कम पर कोई भी समझौता स्वीकार नहीं होगा, पूर्णत:अमान्य होगा.

गौरतलब है कि फरवरी माह से समान काम के बदले समान वेतन की मांग को लेकर प्रदेश के नियोजित  शिक्षक हड़ताल पर थे. इस दौरान शिक्षक संघ द्वारा बार-बार सरकार पर हमले किये गये थे और सरकार के सामने किसी सूरत में नहीं झुकने की बात की गई थी. वहीं पिछले दिनों संघ की ओर से कहा गया  कि सरकार से उनकी बात हो गई है. लॉकडाउन खत्म होने के बाद उनकी मांगों पर विचार किये जाने का आश्वासन दिया गया है। इसलिए हड़ताल को खत्म किया जाता है.

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