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कितनी सफल होगी लालू यादव के “MY ” समीकरण को तोड़ने में BJP-JDU की रणनीति

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कितनी सफल होगी लालू यादव के “MY ” समीकरण को तोड़ने में BJP-JDU की रणनीति

सिटी पोस्ट लाइव : आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव काफी लम्बे समय से चारा घोटाले के सिलसिले में जेल में हैं. उनकी राजनीतिक विरासत के लिए परिवार में जंग जारी है. पार्टी के नेता लालू यादव के राजनीतिक उतराधिकारी तेजस्वी यादव लोक सभा चुनाव के बाद से ही सक्रीय राजनीति से दूर हैं. ऐसे में बीजेपी और जेडीयू की नजर लालू यादव के कोर वोट बैंक पर टिकी है. जेडीयू लालू यादव के साथ आजतक मजबूती के साथ खड़े अल्पसंख्यक समाज को अपने साथ करने में जुटे हैं वहीँ बीजेपी की नजर यादव वोटरों पर है.

BJP बिहार में लालू यादव के साथ भावनात्मकरूप से जुड़े यादव समाज को अपने साथ जोड़ने के लिए लगातार काम कर रही है. बीजेपी अपने यादव नेताओं पर खूब दांव खेल रही है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय को कई महत्वपूर्ण जिम्मेवारियां दी गई हैं. नंदकिशोर यादव को झारखंड का अतिरिक्त भार दे दिया गया है. हालांकि बीजेपी के नेताओं का कहना है कि पार्टी में किसी को जिम्मेवारी जाति के नाम पर नहीं बल्कि योग्यता के आधार पर दी जाती है. आरजेडी के नेताओं का कहना है कि बीजेपी का ये दांव हमेशा की तरह बेकार साबित होगा. यादव और मुसलमान भावनात्मकरूप से लालू यादव से जुड़े हैं और उन्हें उनसे अलग करना नामुमकीन है.

बीजेपी यादवों को ये अहसाश दिलाने के लिए कि बीजेपी भी उनकी पार्टी है पार्टी की तरफ से अपने यादव नेताओं को ज्यादा तरजीह दी जा रही है.नित्यानंद राय बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष है. देश के केंद्रीय गृह राज्य मंत्री भी बन गए हैं और  अब उन्हें दिल्ली विधान सभा चुनाव का सह प्रभारी भी बना दिया गया है. नंदकिशोर यादव बिहार में पथ निर्माण मंत्री तो है ही साथ ही उन्हें झारखंड विधान सभा चुनाव का सह प्रभारी बना दिया गया है.भूपेंद्र यादव लगातार बिहार बीजेपी के प्रभारी बने हुए है.

बीजेपी के इस यादव वोट बैंक की कवायद को लेकर आरजेडी के नेताओं के बीच हडकंप मचा हुआ है. शिवानन्द तिवारी जैसे नेता का भी मानना है कि लालू यादव के लम्बे समय से जेल में होने और तेजस्वी यादव की राजनीतिक निष्क्रियता से पार्टी के विधायक विधान सभा चुनाव को लेकर चिंतित हैं. सूत्रों के अनुसार आरजेडी और बीजेपी के कई नेता विधायक लगातार संपर्क में बने हुए हैं. लेकिन आरजेडी के यादव विधायकों को बीजेपी में तभी ज्यादा मौका मिल पायेगा जब बीजेपी से जेडीयू अलग हो जाएगा.

गौरतलब है कि बीजेपी में जनसंघ के समय से ही यादवों को को ज्यादा तरजीह  मिलती रही है लेकिन कभी यादवों ने लालू यादव का साथ नहीं छोड़ा. लेकिन अभी परिस्थिति अलग है. लालू यादव लम्बे समय से जेल में हैं. परिवार में कलह है और तेजस्वी यादव लोक सभा चुनाव के बाद से ही राजनीतिकरूप से सक्रीय नहीं हैं. अगर बीजेपी यादवों को ये भरोसा दिलाने में कामयाब हो गई कि उनकी सत्ता में भागीदारी बीजेपी के जरिये ही संभव है तो बात बन सकती है वर्ना यादव लालू यादव और उनकी पार्टी का साथ छोड़नेवाले नहीं हैं.

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