सिटी पोस्ट लाइव : छोटे भाई की भूमिका में JDU को लाने के बाद से ही बिहार में बीजेपी सियासत का नया समीकरण बनाने में जुट गई है. बड़ा भाई बनने की हर मुमकिन कोशिश में पार्टी जुटी हुई है लेकिन उसके पास सीएम नीतीश कुमार के मुकाबले के लिए कोई एक नेता नहीं है. सियासत के जानकारों के अनुसार बीजेपी ऐसे भावी नेताओं की टीम तैयार करने में जुटी हुई है जो नीतीश कुमार का विकल्प बन सके.सूत्रों के भविष्य की राजनीति को देखते हुए बीजेपी अपने पांच अहम नेताओं की ‘फौज’ तैयार कर रही है जो सीएम नीतीश कुमार के बड़े कद के सामने सामूहिक शक्ति के साथ दिखें और भाजपा की भविष्य की राजनीति को बिहार में नई दिशा दिखाएं.
नित्यानंद राय, सम्राट चौधरी, जनक राम और नितिन नवीन ऐसे ही नाम हैं, जिनके दम पर भाजपा बिहार में नई सियासत बुन रही है. इन चेहरों के बूते भाजपा कैसे आगे बढ़ने व पार्टी के जनाधार को विस्तार की योजना पर काम कर रही है. भाजपा की इस रणनीति को हम सभी नेताओं की सामाजिक-राजनीतिक पृष्ठभूमि के आधार पर आकलन कर सकते हैं.नित्यानन्द राय- बिहार की आबादी में करीब 14 प्रतिशत (अनुमान) का हिस्सा वाली यादव जाति से आते हैं. अमित शाह के बेहद करीबी माने जाने वाले नित्यानंद राय वर्तमान में देश के केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हैं. 30 नवम्बर, 2016 को बिहार प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष बने. पार्टी की पकड़ हर गांव एवं बूथ स्तर तक पहुंचायी. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में इनकी अध्यक्षता में एनडीए को 40 में से 39 लोकसभा सीटों पर जीत मिली.
वर्ष 2000 से 2014 के बीच (2005 में दो चुनाव) हाजीपुर सीट से चार बार एमएलए बने. 2014 के लोकसभा चुनाव में बिहार के उजियारपुर लोकसभा सीट पर जीत दर्ज कर पहली बार सांसद बने. यानी सामाजिक पृष्ठभूमि के साथ ही आरएसएस की पसंद भी हैं और लंबा राजनीतिक अनुभव व उपलब्धि भी है. लेकिन इसमे शक की कोई गुंजाइश नहीं कि ईन तमाम गुणों के बावजूद नीतीश कुमार के सामने वो कहीं नहीं ठहरते.यादव जाति पर आज भी लालू परिवार का दबदबा कायम है.अब भी यादवों का 90 प्रतिशत हिस्सा राजद के पाले में माना जाता है. सर्वसमाज में इनकी स्वीकार्यता होगी इसको लेकर भी सवाल हैं.
सम्राट चौधरी- अभी बिहार सरकार में पंचायती राज मंत्री हैं, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार इनकी सबसे बड़ी पहचान इनकी जाति और पिता की सियासी विरासत है. पिता शकुनी चौधरी 1980 से 2015 तक मुंगेर के तारापुर विधानसभा क्षेत्र से विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के टिकट पर चुनाव लड़ते रहे. शकुनी चौधरी 6 बार विधायक और 1 बार खगड़िया से सांसद रहे हैं. 80 और 90 के दशक में शकुनी चौधरी को बिहार का कुशवाहा चेहरा माना जाता था. सम्राट चौधरी भी बिहार सरकार में मंत्री रहे हैं. सम्राट राबड़ी देवी और नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में भी रहे हैं. अब भाजपा के विधान पार्षद हैं और बिहार के पंचायती राज मंत्री भी. सम्राट चौधरी बिहार का बड़ा कुशवाहा चेहरा बन सकते हैं. लेकिन, बड़ी हकीकत यह है कि नीतीश कुमार के मुकाबिल खड़ा होने के लिए उन्हें अभी दशकों मेहनत करनी पड़ेगी, क्योंकि आज भी कुशवाहा समाज सीएम नीतीश कुमार को ही अपना सबसे बड़ा नेता मानता है.
नीतिन नविन को बीजेपी ने पथ निर्माण मंत्री बनाकर उनके कद को बढाने की कोशिश की है.वो बीजेपी के कद्दावर नेता रहे नविन सिन्हा के पुत्र हैं.लगातार चारबार से चुनाव जीतते आ रहे हैं.वो युवा हैं और उनमे नेत्रित्व का कुशल गुण भी है.पार्लेटी में उनकी अलग पहचान है.केन्किद्नरीय नेत्रित्व की पसंद भी हैं. नीतीश कुमार का विकल्प बनने के लिए उन्हें अभी बहुत कुछ सिखना है.वो जिस विरादरी से आते हैं, उनके ऊपर दांव लगाने से बीजेपी को कोई ख़ास फायदा नहीं मिलनेवाला.
जनक राम– एक समय में बहुजन समाज पार्टी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष थे. उस दौर में वे अपना नाम जनक चमार लिखते थे. लेकिन, वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के पहले भाजपा में शामिल हो गए और गोपालगंज से लोकसभा का चुनाव जीते. इसी दौरान इन्होंने अपना नाम जनक राम लिखना शुरू किया. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में गोपालगंज सीट जदयू के खाते में चली गई, लेकिन जनक राम पार्टी के प्रति वफादार बने रहे. वो भाजपा में दलित प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे हैं. लेकिन ये भी नीतीश कुमार का विकल्प नहीं बन सकते.जाहिर है तमाम कोशिशों के वावजूद अभीतक बीजेपी नीतीश कुमार का विकल्प नहीं खोज पाई है.
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