सिटी पोस्ट लाइव :बिहार विधान सभा की तीन सीटों के लिए उप-चुनाव होनेवाले हैं.इस चुनाव की अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अगर ईन तीन सीटों पर RJD की जीत हो जाती है तो तेजस्वी यादव अकेले सरकार बना सकते हैं.इसीलिए गोपालगंज, मोकामा और कुढ़नी विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव पर सभी दलों की नजरें टिकी हुई हैं. ये चुनावी नतीजे बिहार की आने वाली सियासत को कैसे प्रभावित कर सकते हैं.इन तीनों ही सीटों पर जीत के लिए भाजपा और महागठबंधन के नेता अपनी पूरी ताकत लगाने वाले हैं और इसकी रणनीति भी बननी शुरू हो गई है.
बिहार में तीन विधान सभा की सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर मंथन का दौर शुरू हो गया है.गोपालगंज, कुढ़नी और मोकामा की विधान सभा सीटों पर उपचुनाव होना है. चुनाव की तिथियों की घोषणा अभी नहीं हुई है, लेकिन उपचुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है. एक तरफ महागठबंधन है तो दूसरी तरफ भाजपा, दोनों ही दलों की प्रतिष्ठा इन सीटों पर फंसी हुई है. दरअसल इन तीनों सीटों के चुनाव परिणाम आने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भी बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं.
बिहार सरकार के सहकारिता मंत्री सुभाष सिंह के निधन के बाद इस सीट पर उप चुनाव होने वाला है. सियासी गलियारों से खबर ये भी है कि इस सीट पर भाजपा सुभाष सिंह की पत्नी को मौका देकर सहानुभूति वोट के जरिए सीट बचाने की कोशिश करेगी.दूसरी तरफ महागठबंधन भी गोपालगंज सीट को अपने पाले में करने की कोशिश में पूरी ताकत लगा सकता है. गोपालगंज लालू यादव का गृह जिला भी वर्तमान राजनीतिक हालात में महागठबंधन की स्थिति जातीय समीकरण के लिहाज से थोड़ी ठीक दिख रही है. हालांकि, निर्भर करता है कि महागठबंधन गोपालगंज से किसे उम्मीदवार बनाता है.
मोकामा विधान सभा सीट अनंत सिंह को सजा मिलने के बाद खाली हुई है. इस सीट पर चुनाव परिणाम कई बातों को तय कर सकती है. भाजपा ने विजय सिन्हा को नेता विधायक दल बना कर भूमिहार वोटरों को बड़ा मैसेज देने की कोशिश की है, राजद भी इस सीट को अपने पाले में करने के लिए पूरी ताकत झोंकेगा. तेजस्वी यादव ने साफ कर दिया है कि अब राजद A TO Z की पार्टी है. वहीं जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के लिए भी ये सीट प्रतिष्ठा की सीट बनी हुई है. बिहार मे मोकामा भूमिहार बहुल क्षेत्र माना जाता है और जिस पार्टी के उम्मीदवार की यहां जीत होगी इससे भूमिहारों में बड़ा मैसेज जा सकता है. राजद की तरफ से अनंत सिंह की पत्नी का नाम आ रहा है, वहीं भाजपा ने अपने उम्मीदवार के नाम को लेकर पत्ता नहीं खोला है.
मुजफ्फरपुर की कुढ़नी विधान सभा सीट राजद के अनिल सहनी ने जीत हासिल की थी. मगर LTC घोटाला में सजा सुनाए जाने के बाद उनकी सदस्यता रद्द होने की सम्भावना है, जिसके बाद ये सीट भी खाली होगी. इस पर बाकी दो सीटों के साथ उपचुनाव होने की सम्भावना है. कुढ़नी मल्लाह बहुल क्षेत्र माना जाता है और इस सीट पर मुकेश सहनी भी उम्मीदवार उतारने का मन बना रहे हैं. मुकेश सहनी की तैयारी सभी तीन सीटों पर अकेले लड़कर फिर से अपनी राजनीतिक ताकत दिखाने की है.मुकेश सहनी के मैदान में होने से महागठबंधन को फायदा होगा या फिर बीजेपी को कह पाना मुश्किल है.लेकिन इस चुनाव में दमखम दिखाकर मुकेश सहनी गठबंधन के साथ तोलमोल करने की स्थिति में जरुर आ जायेगें..
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