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अब भी बीजेपी के प्रभाव में बिहार का प्रशासन: दीपांकर.

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सिटी पोस्ट लाइव :सीपीआई एमएल के नेता दीपांकर भट्टाचार्य ने महागठबंधन की सरकार को लेकर बड़ा बयान दिया है.उनका कहना है कि नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव प्रशासन पर बीजेपी के प्रभाव को कम नहीं कर पा रहे हैं.उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकार के साथ साथ जन-आन्दोलन करना होगा. सरकार काम करे और जनता का आंदोलन साथ में काम करे तभी बीजेपी का प्रभाव कम होगा.

 

सदन के अंदर बाहर पार्टी के विरोध को दीपांकर ने साथी ठहराते हुए कहा कि आंदोलन और सरकार का इरादा दोनों मिल कर काम करे. हमारे ऊपर पुल बनाने की भूमिका है.यह विरोध नहीं है. जनता की आवाज उठाना, सच बोलना विरोध का मामला नहीं है. जनता की आवाज ही सर्वोपरि होनी चाहिए. हम जनता की आवाज उठाते रहेंगे चाहे बिहार की बात हो या देश की बात हो.गौरतलब है कि भाकपा माले के पास 12 विधायक हैं. पार्टी ने नीतीश-तेजस्वी सरकार को समर्थन दिया है, लेकिन मंत्रिमंडल में शामिल नहीं हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले माले की ओर से बिहार में महाधिवेशन किया जा रहा है. माले का 11 वां महाधिवेशन 15 से 20 फरवरी तक चलेगा.

 

दीपांकर ने कहा कि हर पांच साल में हम माले का महाधिवेशन करते हैं. 2018 के मार्च में पंचाब के मानसा में हमारा10 वां महाधिवेशन हुआ था. अब 11वां है। 10 वें महाधिवेशन में ही हमने देख लिया था कि मोदी सरकार सत्ता में रहती है तो देश में तबाही और आतंक का राज चलेगा. वह चल रहा है इसलिए इस शासन को हमने फासीवाद के रुप में चिन्हित किया है. इस महाधिवेशन में फासीवाद मिटाओ और लोकतंत्र बचाओ हमारा केन्द्रीय नारा है.इसी के तहत 15 फरवरी को बड़ी रैली पटना के गांधी मैदान में होगी. 16 को महाधिवेशन का उद्घाटन होगा. उद्घाटन में हमने देश की तमाम वामपंथी ताकतों को आमंत्रित किया है.

 

दीपांकर के अनुसार देश में जिस तरह से विपक्षी एकता की जरूरत है उसे गति देने के लिए विशेष सत्र रखा गया है. इसमें नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव, जीतनराम मांझी, हेमंत सोरेन, कांग्रेस से खड़गे, तमिलनाडु से तिरुमावलम जो वीसी की पार्टी के सांसद हैं को आमंत्रित गया किया है.देश में वन पार्टी रुल वर्सेज मल्टी पार्टी डेमोक्रेसी है। बीजेपी चाहती है कि देश में सिर्फ उसका शासन हो जाए, मोदी का शासन हो जाए और अर्थव्यवस्था में सिर्फ अडानी का वर्चस्व हो जाए. सत्ता में और संपत्ति में एकाधिकार के खिलाफ हम चाहते हैं कि बहुदलीय व्यवस्था हो.

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