सिटी पोस्ट लाइव ( Special Report ): शराबबंदी वाले बिहार में, सुशासन वाले बिहार में और बहार के इश्तिहार वाले बिहार में एके-47 से जाने-माने व्यवसायी की हत्या हो गयी. सवाल सुशासन से भी है, सरकार से भी है और बिहार की निजामत वाले ‘सरकार’ से भी है. हुजुर बगैर शराब के अपराधियों में यह कौन सा नशा घर किये बैठा है जहां रोज कई जानें बेजान हो रही है. बिहार अपराध की जद में है और पुलिस अपराधियों से जद्दोजहद में हार रही है. देखिए सीएम साहब आपका सुशासन खुद सवाल बने बैठा है. बहार में बिहार खून-खराबे से बेजार है. इस दौर में वो इश्तिेहार याद आ रहा है जिसमें बहार का दावा था, जो बिहार की हर दरो-दीवार पर चस्पा था. सवाल यह भी है कि सुशासन बिहार के लिए है या फिर सरकार के लिए है. सियासत सीटों की शेयरिंग में उलझी है और अपराधी एके 47 से लोगों को भून रहे हैं. बिहार में लगातार व्यवसायियों की हत्या हो रही है. बिहार में लगातार हो रही हत्याओं के खिलाफ अब आक्रोश सुलगने लगा है. अपराध पर सरकार की नीति, और नियत पर सवाल न भी उठाये जाएं तब भी नियंत्रण सवालों के घेरे में है. घटनाएं बताती हैं कि अपराधी काबू में नहीं है. बहार वाला बिहार अपराध से बेजार है.
एकबार फिर अपराधियों ने बिहार को दहला दिया है. वैशाली जिले के हाजीपुर औद्योगिक क्षेत्र में एक बड़े व्यापारी की अपराधियों ने गोली मारकर हत्या कर दी है. आज सुबह हाजीपुर औद्योगिक क्षेत्र के अपने फैक्ट्री के बाहर खड़े बिहार के जानेमाने कारोबारी और मगध हाॅस्पीटल के मालिक गोपाल खेमका के बेटे गुंजन खेमका के ऊपर अपराधियों ने अचानक अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी. अपराधी एके -47 से लैस थे जिसकी वजह से उन्हें सँभालने का कोई मौका नहीं मिला. कुछ सेकंड्स में ही एके-47 की 47 गोलियां उनके सीने में समा गईं. घटनास्थल पर ही गुंजन खेमका ने दम तोड़ दिया. साथ हीं यह उम्मीद भी दम तोड़ गयी कि बिहार में सुशासन बचा है.
लागातार व्यवसायियों की हत्या के खिलाफ अब व्यवसायी संघों में आक्रोश सुलग रहा है, तैयारी आंदोलन की भी हो रही है. आपको बता दें कि बीते कुछ महीनों में पटना के अनीसाबाद में किराना व्ययवसायी की हत्या, ताजपुर समस्तीपुर में किराना व्ययवसायी की हत्या, बिहार मेें व्यवसायी की हत्या, फिर बाद में बिहटा में हीं सिमेंट व्यवसायी की हत्या, बेतिया में किराना व्ययवसायी के पुत्र का अपहरण, बाद में फिरौती की मांग और हत्या जैसी अपराध की वारदातों से व्यवसायी सकते में हैं और सरकार से स्थायी निदान चाहते हैं.व्यवसायी संघों ने कहा है कि विधि व्यवस्था को चुस्त-दुरूस्त रखना सीएम नीतीश कुमार की प्रतिबद्धता रही है. 2006 मेें नीतीश कुमार की सरकार बनने के बाद आपराधिक घटनाओं पर लगाम लगी थी और व्यवसायियों का पलायन रूका था. लेकिन हाल के दिनों में जो घटनाएं सामने आ रही हैं वो सवाल खड़ा करती हैं कि क्या कानून व्यवस्था को लेकर सरकार की दृढ़ इच्छा शक्ति एवं प्रतिबद्धता में कमी आयी है? बिहार में बढ़ते अपराध की वजह से सीएम नीतीश कुमार की विकास यात्रा भी प्रभावित हो रही है.
व्यवसायी संघों का आक्रोश स्वाभाविक है चुनावी मौसम में नीतीश कुमार के लिए भारी पड़ सकता है क्योंकि विपक्षी पार्टियां पहले हीं बिहार में कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर घेरती रही हैं. कल व्यवसायी संघ इन हत्याओं के खिलाफ पटना में प्रेस काॅन्फ्रेंस करने वाला है. व्ययसायी संघों की प्रेस काॅन्फ्रेंस से पहले आज एक बड़े व्यवसायी की हत्या ने एक तरह व्यवसायियों के आक्रोश को सुलगा दिया है.
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