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बिहार NDA में घमशान का क्या है सियासी मतलब, जानिए

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बिहार NDA में घमशान का क्या है सियासी मतलब, जानिए

सिटी पोस्ट लाइव : “आल इस नोट वेल इन बिहार एनडीए “. लोक सभा चुनाव के बाद से जिस तरह से बीजेपी-जेडीयू के रिश्ते में तल्खी आई है ,उससे साफ़ है कि बिहार एनडीए सबकुछ ठीक नहीं है. बीजेपी के नेता मंत्री नीतीश सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते. अपराध हो या विकास या फिर बाढ़-जल-जमाव बीजेपी नेताओं के निशाने पर नीतीश कुमार रहते हैं. बीजेपी के प्रदेश के चार बड़े नेता जिस तरह से नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं और बीजेपी केन्द्रीय नेत्रित्व चुप्पी साधे हुए है, मामला गंभीर लगता है.

पटना में जल-जमाव को लेकर जिस तरह से बीजेपी के नेताओं के निशाने पर नीतीश कुमार रहे और बीजेपी केन्द्रीय नेत्रित्व अपने नेताओं को फटकार लगाने की बजाय रहत बचाव कार्य का सारा श्रेय अपने मंत्री नेताओं को दिया, जाहिर है बीजेपी केन्द्रीय नेत्रित्व नीतीश कुमार को एक नाकाम सीएम साबित करना चाहती है.

विजयादशमी के दिन पटना के गाँधी मैदान में आयोजित रावण दहन कार्यक्रम से जिस तरह से बीजेपी के नेताओं ने दुरी बना ली ,शुशील कुमार मोदी तक समारोह में नहीं पहुंचे, एक बात साफ़ हो गई है कि नीतीश कुमार के कर्यक्रम का बीजेपी नेताओं ने केन्द्रीय नेत्रित्व के ईशारे पर बायकाट किया है.ये पहला मौका था जब राज्य सरकार  में शामिल रहने के बावजूद बीजेपी का कोई नेता रावण बध कार्यक्रम के मंच पर नहीं दिखा. कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, के बगल में सुशील मोदी की जगह प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष मदन मोहन झा नजर आये. सबके जेहन में सवाल उठ रहा है कि क्या बिहार में भविष्य में कोई नया गठबंधन बनने वाला है.

बीजेपी के चार नेता तो नीतीश सरकार पर हमला बोल रहे थे लेकिन अबतक जेडीयू के किसी नेता ने बीजेपी के किसी बड़े नेता को निशाना नहीं बनाया था. लेकिन पहलीबार जल-जमाव को लेकर जेडीयू के नेता ,बिहार सरकार के मंत्री श्याम रजक ने सुशील मोदी पर निशाना साधा ,जाहिर है बात बहुत बिगड़ चुकी है.बाढ़ और जलभराव के मुद्दे पर बीजेपी के नेता जिस तरह से नीतीश कुमार की नाकामी गिना रहे हैं, इससे एक बार फिर एनडीए के भीतर कलह की शुरुआत हो चुकी है.

बीजेपी-जेडीयू के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. कई मुद्दों को लेकर बीजेपी –जेडीयू हाल के दिनों में आमने सामने हैं. तीन तलाक, NRC, 35A और धारा 370 के मुद्दे पर बीजेपी को जेडीयू ने समर्थन नहीं देकर ये जाता दिया है कि बिहार NDA में आल इस वेल नहीं है.पीएम मोदी के शपथ ग्रहण के वक्त ही बिहार में आरएसएस सहित 19 हिंदूवादी संगठनों और उनके सदस्यों से संबंधित सूचनाएं एकत्रित करने के लिए 28 मई को जारी बिहार विशेष शाखा की चिट्ठी पर सियासी घमासान मचा था. नीतीश सरकार की सफाई देने के बावजूद आरएसएस और बीजेपी दोनों ही इस प्रकरण को लेकर बेहद नाराज थे. जून-जुलाई में चमकी बुखार से 180 से अधिक मौतों को बीजेपी-जेडीयू के बीच घमशान मचा था.सीएम नीतीश कुमार द्वारा इस मामले में बीजेपी नेता और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे से इस्तीफा मांगे जाने और बीजेपी द्वारा इस्तीफा दिए जाने से मना कर दिए जाने की खबर भी सामने आई थी.

जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर को नीतीश कुमार ने बीजेपी की विरोधी मानी जाने वाली पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी के लिए काम करने की इजाजत दे दी थी. बताया जा रहा है कि इससे भी भाजपा नेतृत्व बेहद नाराज है. दरअसल बीजेपी बंगाल में पूरा जोर लगा रही है ऐसे में पीके की रणनीति से उसे परेशानी हो सकती है.

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