सिटी पोस्ट लाइव : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था सुधारने का लाख दावा और जातां करें, सच्चाई ये है कि गावं देहात के लोग भी अपने बच्चों को सरकारी विद्यालाओं में भेंजने को तैयार नहीं हैं. सरकारी स्कूलों में बच्चों को स्कूल ड्रेस, भोजन से लेकर साइकिल देने की व्यवस्था है फिर भी बच्चे क्यों ईन सरकारी स्कूलों में नहीं आ रहे? सरकार के शिक्षा विभाग के अधिकारी इस बात को लेकर चिंतित हैं.
सरकारी स्कूलों में नामांकन की रफ़्तार धीमी हो जाने से शिक्षा विभाग बेहद चिंतित है . सर्वेक्षण के अनुसार सरकारी विद्यालाओं में बच्चों का दाखिला नहीं हो रहा है. शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव ने एक अधिसूचना जारी कर सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को दाखिला बढाने के लिए विशेष निर्देश दिया है. अधिसूचना में सरकारी स्कूलों में दाखिला कम होने पर चिंता जताई गई है. सवेक्षण के अनुसार पहला और दूसरा क्लास में दाखिला बहुत ही कम हुआ है.
शिक्षा विभाग ने सभी जिला शिस्खा पदाधिकारियों को निर्देश जारी कर सभी टोला सेवकों को दाखिले के काम में लगाने का निर्देश दिया है. कहा गया है कि सभी टोला सेवक अपने अपने तोले के बच्चों का स्कूलों में दाखिला सुनिश्चित करेगें .अगर किसी तोले का कोई छात्र स्कूल में दाखिला नहीं लेता है तो टोला सेवकों के खिलाफ कारवाई की चेतावनी दी गई है. सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को दाखिला अभियान चलाने का निर्देश देते हुए कहा है कि छात्रों से दाखिले के लिए तुरत आधार कार्ड या कोई कागजात नहीं माँगा जाए. इसके साथ ही दाखिला अभियान में स्थानीय लोगों की मदद लेने को कहा गया है.
गौरतलब है कि बिहार के ज्यादातर स्कूलों में शिक्षकों की कमी है. जहाँ शिक्षक है, वो योग्य नहीं हैं. ऐसे शिक्षकों की संख्या बहुत ज्यादा है जो टीचर का और एप्पल का स्पेलिंग तक नहीं जानते. लोगों का कहना है कि ऐसे योग्य शिक्षकों के हवाले अपने बच्चों को कौन करेगा?
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