कांग्रेस नेता का बड़ा सवाल- महागठबंधन है या महा-खेल बंधन
सिटी पोस्ट लाइव : महागठबंधन में वीआइपी पार्टी के मुकेश सहनी की तीन सीटें फाइनल हो चुकी हैं. वो खुद खगड़िया से चुनाव लड़ेगें और मुजफ्फरपुर और मधुबनी से अपना उम्मीदवार उतारेगें. हम पार्टी के सुप्रीमो गया से चुनाव लड़ेगें . उनकी पार्टी औरंगाबाद और नालन्दा से चुनाव लडेगी. लेकिन सबसे बड़ा पेंच आरजेडी और कांग्रेस के बीच सीटों के चयन को लेकर फंस गया है. बिहार में लोकसभा की सीटों के चयन को लेकर महागठबंधन में आरजेडी और कांग्रेस के बीच पेंच फंस जाने की वजह से रालोसपा सुप्रीमो उपेन्द्र कुशवाहा भी बुरे फंस गए हैं. उनकी सीट अभीतक फाइनल नहीं हो पाई है. कांग्रेस और आरजेडी के बीच सीट फाइनल हो जाने के बाद ही उनकी सीटें तय होगीं.
तीनों दलों द्वारा एक ही सीट पर अड़ जाने की वजह से मामला उलझ गया है. आरजेडी कांग्रेस और रालोसपा को मनचाही सीटें देने को तैयार नहीं है. इस लड़ाई में कई दिग्गज कांग्रेसियों का भविष्य दावं पर लग गया है.कीर्ति आजाद की सीट दरभंगा हाथ से निकल ही चूका है और शत्रु की पटना साहिब सीट भी अभीतक फाइनल नहीं हुई है.यहीं वजह है कि आज शत्रुघ्न सिन्हा कांग्रेस में शामिल नहीं हो पाए. आज दिल्ली पहुंचे .राहुल गांधी के साथ बैठक की और कहा कि अपने दोस्त लालू यादव की सलाह पर नवरात्र में 6 अप्रैल को शामिल होगें.
एक दुसरे की सीट पर दावे की वजह से महागठबंधन में टूट के आसार दिखने लगे हैं. सीट शेरयिंग को लेकर सबसे ज्यादा पेंच कांग्रेस और राजद में फंसा है और दोनों दलों के नेता लगातार एक दूसरे पर जुबानी हमले और सीटों को लेकर दावे कर रहे हैं.औरंगाबाद से शुरू हुई सीट शेयरिंग की खींचतान दरभंगा, मधुबनी, सुपौल, काराकाट और शिवहर तक आ पहुंची है. बिहार कांग्रेस के नेताओं ने आलाकमान को गठबंधन तोड़ने तक की सलाह दे डाली है. ऐसा माना जा रहा है कि राहुल गांधी के साथ मुलाकात में बिहार कांग्रेस के नेता अपनी राय रखेंगे. बिहार में सहयोगियों की हठधर्मी रवैये से कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता हलकान हैं.
निखिल कुमार, शकील अहमद, कीर्ति आजाद, रंजीत रंजन, कौकब कादरी, लवली आनंद, सदानंद सिंह,अवधेश सिंह समेत दर्जन भर नेताओं ने आरजेडी और सहयोगियों के रवैये से आलाकमान को अवगत कराया है. गुरुवार को शाम में उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की जानी थी लेकिन आखिरी क्षण में प्रेस वार्ता रद्द हो गई. आरजेडी और कांग्रेस के बीच तल्खी इस कदर बढ़ गई है कि कांग्रेस की सांसद रंजीत रंजन ने तो यहां तक कह दिया कि पार्टी हर परिस्थिति के लिए तैयार है. ये चुनाव लोकसभा का है विधान सभा का नहीं. उन्होंने कहा कि हम किसी भी परिस्थिति से निपटने को पूरी तरह तैयार हैं ऐसे में अब आलाकमान को तय करना है की वो क्या फ़ैसला लेते हैं.
कांग्रेस विधायक अजित शर्मा ने कहा कि अभी काफी देर हो चुकी है. कांग्रेस बिहार में मजबूत स्थिति में है और आगामी चुनाव में भी कांग्रेस मजबूत रहेगी. कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ती है तो इसका फायदा होगा और बिहार विधान सभा मे सरकार बनाने में उसे मदद मिलेगी. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधायक रामदेव राय ने भी मामले में नाराजगी जताई और कहा कि सीटों का बंटवारा कांग्रेस के लिए नुकसान दायक है. राय ने कहा कि सुपौल जैसी सीटिंग सीटों पर भी चर्चा हो रही है जबकि आज तक सीटिंग सीटों पर कभी भी कोई चर्चा नहीं हुई है. उन्होंने इस महागठबंधन को महा-खेलबंधन बता दिया है.औरंगाबाद सीट छीन जाने से भी कांग्रेसी बेहद आहत हैं.
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