बड़े खेल का संकेत. उपेन्द्र कुशवाहा से मिलने पहुंचे BJP के नेता.
Upendra Kushwaha Delhi AIIMS में हुए भर्ती, BJP नेताओं ने की मुलाकात | Bihar Latest News |Hindi News
सिटी पोस्ट लाइव : दिल्ली में जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष Upendra Kushwaha से BJP नेताओं की मुलाकात के बाद बिहार की सियासत गरमाने लगी है. BJP नेता प्रेम रंजन पटेल, संजय टाइगर और योगेंद्र पासवान, उपेंद्र कुशवाहा से मिलने के लिए पहुंचे जिसके बाद सियासी पारा इस वक्त गर्म हो गया है. सियासी गलियारे में चर्चा चल रही है की Upendra Kushwaha बीजेपी के साथ जा सकते हैं.उपेन्द्र कुशवाहा ( Upendra Kushwaha )अभी बीमार है और दिल्ली एम्स में उनका इलाज चल रहा है.
राजनीतिक गलियारे में ये चर्चा जोर पकड़ रही है कि बिहार में बीजेपी महाराष्ट्र की तरह बड़े खेल की तैयारी में है?क्या बिहार के लिए उपेन्द्र कुशवाहा के रूप में एकनाथ शिंदे का प्रतिरूप बीजेपी को भी मिल गया है? इसका अंदेशा इसी बात से पुख्ता होता है कि बिहार में मचे सियासी घमासान और पार्टी में अपनी उपेक्षा से आहत उपेंद्र कुशवाहा जेडीयू छोड़ने की अटकलों के बीच सोमवार को दिल्ली पहुंच गये.इतना ही नहीं उनसे मिलने बीजेपी के नेता भी पहुँच गये. कहने के लिए तो वे रूटीन हेल्थ चेकअप के लिए गये हैं, लेकिन जिस तरह से बीजेपी के नेताओं से उनकी मुलाकात हो रही है उसके ख़ास मायने हैं.
उपेंद्र कुशवाहा के लिए पाला बदलना कोई नयी बात नहीं है. अपने राजनीतिक करियर में लोकदल, जेडीयू, बीजेपी, राष्ट्रीय समता पार्टी और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी जैसे राजनीतिक प्लेटफार्म पर वे पलट-पलट कर खेलते रहे हैं. 2019 के बाद अपनी डूबती जा रही नैया को पार लगाने के लिए उन्होंने जेडीयू के साथ फिर जाने का जोखिम तो उठाया, लेकिन एक अदद एमएलसी और जेडीयू संसदीय बोर्ड के चेयरमैन का झुनझुना उनके कद के अनुरूप नहीं था. वह उम्मीद पाले बैठे थे कि एक न एक दिन अनुकूल अवसर आयेगा. लेकिन नीतीश कुमार ने ये बयान देकर कि जेडीयू से अब कोई मंत्री नहीं बनेगा, उनके मंसूबे पर पानी फेर दिया .
जाहिर है कि नीतीश न भी कहें, तब भी कुशवाहा को यह समझने में कोई दिक्कत नहीं हुई होगी कि अब वे डिप्टी सीएम नहीं बन पायेंगे. इसलिए दूसरे दरवाजे पर दस्तक में अब देर नहीं करनी चाहिए.उपेंद्र कुशवाहा पार्टी में अपनी नाराजगी का लगातार इजहार करते रहे हैं. उनके पांच बयानों पर गौर करें तो यह समझने में देर नहीं लगेगी कि वे अपनी वाजिब जगह के लिए कितने बेचैन रहे हैं. नालंदा की सभा में जब नीतीश ने कहा कि तेजस्वी की अगुआई में ही 2025 का विधानसभा चुनाव होगा तो उपेंद्र कुशवाहा ने उस पर आपत्ति जतायी. उन्होंने अपने नेता को सलाह दी कि अभी 2024 प्राथमिकता में रहना चाहिए, 2025 तो दूर की बात है. ऐसा इसलिए उन्हें कहना पड़ा, क्योंकि उन्होंने खुद को नीतीश कुमार का राजनीतिक उत्तराधिकारी मान लिया था.
कुशवाहा ने दूसरा बयान दिया कि पार्टी लगातार कमजोर हो रही है. यह भी नीतीश पर परोक्ष प्रहार था. उनका तीसरा बयान सुधाकर सिंह के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग को लेकर तेजस्वी यादव को लिखे पत्र के रूप में सामने आया. इस बयान से उन्होंने नीतीश के प्रति जितनी वफादारी दिखायी, उतनी ही बड़ी खायी नीतीश के लिए खोद दी.कुशवाहा ने चौथा बयान शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर की टिप्पणी के खिलाफ दिया. कहा- चंद्रशेखर के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. आरजेडी के नेता बीजेपी के एजेंडे पर चल रहे हैं. चंद्रशेखर के बयान से बीजेपी को फायदा होगा. पांचवां सबसे विस्फोटक बयान में उन्होंने कहा कि अपने परिवार के फायदे के लिए तेजस्वी यादव ने बीजेपी से मिलीभगत कर ली है. जाहिर है कि इस बयान के बाद कुशवाहा के खिलाफ कार्रवाई का दबाव आरजेडी की ओर से सीएम नीतीश पर पडेगा. यानी यहां भी कुशवाहा ने नीतीश के सामने गठबंधन धर्म के निर्वाह में परेशानी खड़ी कर दी.
उपेंद्र कुशवाहा ने अब तक अपने बयानों से जो हालात पैदा किये हैं, उससे निपटने में आरजेडी और जेडीयू के पसीने छूट जायेंगे. एक दूसरे के प्रति अविश्वास और कटुता का बीजारोपण कुशवाहा ने कर दिया है. नीतीश अगर महागठबंधन से गुस्से में अलग होते हैं तो उनके सामने भी ठिकाने की कमी है. विपक्ष में अपनी पहचान स्थापित करने के लिए उन्होंने महागठबंधन का साथ तो लिया, लेकिन विपक्ष की गोलबंदी-खेमेबंदी के कारण उन्हें निराशा ही हाथ लगी. ले-देकर बीजेपी का हाथ ही पकड़ना पड़ेगा.
आरजेडी नेता भी आसानी से मिल रहे सत्ता सुख को छोड़ना नहीं चाहेंगे. इसलिए ना-ना करते आरजेडी-जेडीयू का प्यार अभी परवान चढ़ता रहेगा. कुशवाहा महागठबंधन को अलविदा कहें न कहें, उनकी पार्टी जेडीयू बड़े साथी की नाराजगी से बचने के लिए कुशवाहा की कुर्बानी देने से भी नहीं हिचकेगी. कुशवाहा इससे अनजान नहीं हैं. आरजेडी के साथ जेडीयू के जाने पर पार्टी के जो नेता घुटन महसूस कर रहे हैं, वे भी कुशवाहा के साथी हो सकते हैं. बहुत जल्द कुशवाहा की पक रही सियासी खिचड़ी का स्वाद बिहार को मिलने वाला है.
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