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सम्राट अशोक को लेकर BJP-JDU के बीच संग्राम, एक दूसरे को दी नसीहत.

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सिटी पोस्ट लाइव : अब बिहार की राजनीति सम्राट अशोक पर की गई टिप्पणी को लेकर गरमा गई है.बीजेपी नेता दया प्रकाश सिन्हा द्वारा सम्राट अशोक की तुलना औरंगजेब से किये जाने के मामले में राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने सफाई देते हुए कहा कि दया प्रकाश सिन्हा का भाजपा से कोई लेना देना नहीं है. उन्होंने कहा कि प्राचीन भारत के यशस्वी सम्राट अशोक का भाजपा सम्मान करती है.सुशील मोदी लाख सफाई दें लेकिन सत्ता पक्ष के दो बड़े दल BJP और JDU के नेता आपस में ही इस मसले को लेकर उलझ गये हैं. JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह (JDU President Lalan Singh) एवं उपेन्द्र कुशवाहा ने सम्राट अशोक (Samrat Ashok) की औरंगजेब से तुलना करने पर कड़ी आपत्ति जताई है. जेडीयू नेतृत्व ने नाटककार दया प्रकाश सिन्हा (Daya Prakash Sinha) पर कार्रवाई करने एवं पद्मश्री वापस लेने की मांग की तो इसके बाद बीजेपी ने जेडीयू नेताओं पर करारा प्रहार किया है.

बीजेपी की तरफ से प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल और राज्यसभा सांसद सुशील मोदी सामने आये. बीजेपी अध्यक्ष के आक्रामक रूख के बाद जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने जवाब दिया है. इसके बाद पूर्व डिप्टी सीएम और भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी मैदान में कूद गये. उन्होंने कहा कि प्राचीन भारत के यशस्वी सम्राट अशोक का भाजपा सम्मान करती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने उनकी स्मृति में डाक टिकट जारी किया था. हमने ही 2015 में पहली बार सम्राट अशोक की 2320 वीं जयंती बड़े स्तर पर मनायी और फिर बिहार सरकार ने अप्रैल में उनकी जयंती पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की.
मोदी ने कहा कि इसी साल 9 अप्रैल को बिहार सरकार ने सम्राट अशोक जयंती पर सार्वजनिक अवकाश दिया है.

सम्राट अशोक पर जिस लेखक दया प्रकाश सिन्हा ने आपत्तिजनक टिप्पणी की, उनका आज न भाजपा से कोई संबंध है और न उनके बयान को बेवजह तूल देने की जरूरत है. भाजपा का राष्ट्रीय स्तर पर कोई सांस्कृतिक प्रकोष्ठ नहीं है. मोदी ने कहा कि हम अहिंसा और बौद्ध धर्म के प्रवर्तक सम्राट अशोक की कोई भी तुलना औरंगजेब जैसे क्रूर शासक से करने की कड़ी निंदा करते हैं. बिहार में बीजेपी कोटे से मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि लेखक दया प्रसाद सिन्हा के लेख के शीर्षक “औरंगजेब जैसा ही था सम्राट अशोक का खंडन किया.

सम्राट चौधरी ने कहा कि एक चक्रवर्ती सम्राट की तुलना मुगलकालीन सम्राट औरंगजेब से करना मनगढ़ंत असत्य एवं काल्पनिक है. चक्रवर्ती सम्राट अशोक को बौद्ध ग्रंथ के हवाले से कुरूप क्रूर और पत्नी को जलाने वाला बताया जाना आश्चर्यजनक है. यदि सम्राट अशोक औरंगजेब जैसा होते तो तो सम्राट अशोक द्वारा स्थापित चक्र को न तो राष्ट्रीय प्रतीक बनाया जाता न राष्ट्रीय ध्वज में पिरोया जाता और न राष्ट्रपति भवन में अशोका भवन बनता. सम्राट अशोक के संबंध में किसी भी इतिहासकारों ने कभी ऐसी टिप्पणी नहीं की है. सम्राट अशोक के स्वर्णिम शासन के कारण ही नरेंद्र मोदी की सरकार ने सम्राट अशोक के नाम पर डाक टिकट जारी किया. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना के गांधी मैदान के समीप अशोक कन्वेंशन हॉल बनाया और बिहार में जब नगर विकास मंत्री थे तब सभी नगर में सम्राट अशोक भवन बनाने का निर्णय लिया है.

जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने इस मसले पर कहा है कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस प्रकरण में सख्त कार्रवाई की मांग करते हैं. राष्ट्रपति से यह अनुरोध करते हैं कि ऐसे व्यक्ति को मिले पद्मश्री और अन्य पुरस्कार रद्द करें. भाजपा इन्हें निष्कासित करे. वृहत अखंड भारत के एकमात्र चक्रवर्ती सम्राट प्रियदर्शी अशोक मौर्य का स्वर्णिम काल मानवता व लोकसमता के लिए विश्वभर में जाना जाता है. सम्राट अशोक बिहार व भारत के अमिट प्रतीक थे और हैैं. कोई इससे खिलवाड़ करे यह सच्चे भारतीय कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे.

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