VIDEO : नये-नये SP साहब का बाथे-सेनारी जैसे नरसंहार से हो गया सामना, वो मंजर याद कर कांप उठते हैं गुप्तेश्वर पांडेय
सिटी पोस्ट लाइव : बिहार के डीजीपी के पद से गुप्तेश्वर पांडेय ने इस्तीफा दे दिय़ा है। वे राजनीति में अपनी नयी पारी शुरू करने जा रहे हैं। पुलिस की नौकरी छोड़ने के बाद वे रिलैक्स महसूस कर रहे हैं उनका कहना है कि पिछले दो महीनों से मेरा जीना मुश्किल हो गया । रोज हजारों फोन आ रहे थे लोग पूछते थे कि कब इस्तीफा दे रहे हैं। बहरहाल गुप्तेश्वर पांडेय अब इस्तीफा देने के बाद खुल कर बोल रहे हैं। उन्हें पुलिस महकमे से जुड़ी वो तमाम बातें याद आ रही हैं जिस दौर से वे गुजरे हैं। गुप्तेश्वर पांडेय ने बाथे और सेनारी के उन चर्चित नरसंहारों को याद किया जिसके बारे में सोच कर आज भी उनकी रुह कांप उठती है।
गुप्तेश्वर पांडेय ने बाथे और सेनारी नरसंहार की भयावह यादों को सिटी पोस्ट लाइव से शेयर करते हुए बताया कि तब उन्होंने नयी-नयी नौकरी ज्वाइन की थी। 90 के उस दौर में बिहार में जात के नाम पर लोग लड़ रहे थे । उसी दौर में जहानाबाद का बाथे नरसंहार हुआ । औरंगाबाद में नयी-नयी ज्वाइनिंग की थी तभी पुलिस मुख्यालय से फोन आया कि जल्दी दौड़ों बाथे पहुंचों। गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा कि मैं सीधा- सादा था या यू कहें कि बेवकूफ था। उस जिले के एसपी-कलक्टर से बात करने की कोशिश की लेकिन नहीं हो सकी तो वे सीधे गांव पहुंच गये। जहां कुत्ते भौंक रहे थे। गांव में घुसा तो वहां का भयावह मंजर देख कर एक बारगी कांप गये। जिधर देखते उधर लाशे ही लाशें बिछी थी। कसाई की तरह लोगों को काट दिया गया था। लाशे गिनते-गिनते मैं बेहोश होने लगा । फिर पुलिस मुख्यालय को फोन किया और वहां की स्थति की जानकारी दी जिसके बाद दो घंटे के अंदर पटना से पुलिस के तमाम आलाधिकारी वहां पहुंच गये। तमाम मीडिया के लोग वहां पहुंचे। इसके बाद तो फिर वो मंजर इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया।
आगे चर्चा करते हुए उन्होनें सेनारी नरसंहार का भी जिक्र किया। उस वक्त गुप्तेश्वर पांडेय औरंगाबाद के एसपी थे। जहानाबाद के सेनारी में उस वक्त बड़ा नरसंहार हुआ । गुप्तेश्वर पांडेय भी जहानाबाद के सेनारी पहुंचे।वहां नरसंहार के बाद 10-20 हजार लोगों को हुजूम उमड़ा हुआ था। पुलिस की इतनी हिम्मत नहीं थी कि गांव में घुस सके। जो नेता गांव में जाने की कोशिश कर रहे थे उन्हें खदेड़-खदेड़ कर भगाया जा रहा था। ऐसे संकट की घड़ी में एक बार फिर गुप्तेश्वर पांडेय़ पुलिस-प्रशासन के तारणहार बन कर सामने आए। जहानाबाद के एसपी रह चुके थे उनका संपर्क सभी लोगों से था। बताते हैं कि पुलिस-प्रशासन की तरफ से वो अकेले शख्स थे जिसने गांव में घुसने की हिम्मत की। गांव में घुसने के बाद आक्रोशित लोगों को उन्होनें भरोसे में लिया । गुप्तेश्वर पांडेय की इस पहल के बाद ही पुलिस-प्रशासन की एंट्री गांव में हो सकी। उसके बाद प्रशासन ने आगे की कार्रवाई की।
गुप्तेश्वर पांडेय ने इस्तीफा देने के बाद इन तमाम बातों की चर्चा की है। उन्होनें सोशल मीडिया के जरिए लोगों से जुड़कर उस वक्त की तल्ख हकीकत को सांमने रखा है जब बिहार में जातीय गोलंबदी कर नरसंहारों को अंजाम दिया जा रहा था। इसके अलावे उन्होनें सिटी पोस्ट लाइव से कई मुद्दों पर खुलकर बातचीत की है जिसे हम आपको आज ही बताएंगे।
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