सिटी पोस्ट लाइव, रांची: झारखंड विधानसभा ने कृषि विभाग से संबंधित इक्कतीस अरब नवासी करोड़ रुपये से अधिक की अनुदान मांगों को मंजूरी प्रदान कर दी। भोजनावकाश के बाद सदन में कृषि विभाग की अनुदान मांगों पर चर्चा शुरू हुई। चर्चा के बाद सरकार की ओर से उत्तर देते हुए कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने पिछली सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ पहले यहां के किसानों को नहीं मिला। मंत्री के उत्तर से नाराज भाजपा के सदस्यों ने सदन का बहिर्गमन किया। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भोजनावकाश के बाद विधानसभा में कृषि विभाग की अनुदान पर हुई चर्चा के दौरान हस्तक्षेप करते हुए कहा कि सरकार पूरी पारदर्शिता के साथ काम कर रही है। उन्होंने कहा कि अधिकारियों के हाथों सभी चीजों को नहीं छोड़ा गया है। मुख्यमंत्री ने विधायकों से भी आग्रह किया कि वह अपना सुझाव लिखित रूप से सरकार को दें। वहीं सरकार की ओर से अनुदान मांग पर जवाब देते हुए कृषिमंत्री बादल ने कहा कि राज्य में वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री फसल बीमा की शुरुआत की गयी और इन चार वर्षों में 493 करोड़ रुपये केंद्र सरकार द्वारा नामित कंपनियों का भुगतान कर दिया गया,लेकिन इसके एवज में राज्य के किसानों को सिर्फ 79 करोड़ 93 लाख रुपये का लाभ मिला। इसलिए सरकार ने इस योजना को बंद कर दिया । कृषि मंत्री ने कहा कि पिछली सरकार ने चार साल में गोशाल के लिए जितनी राशि दी थी, उससे अधिक राशि इस बार गोशालाओं को दी जा रही है। कृषि मंत्री ने बताया कि किसानों को 50 हजार तक की कर्जमाफी के लिए काम किया जा रहा है। अगले वित्तीय वर्ष में भी किसानों की कृषि ऋण की माफी के लिए बजट में आवश्यक राशि का प्रावधान किया गया है। अनुदान मांगों पर चर्चा में विधायक रामचंद्र चंद्रवंशी, रणधर सिंह, राजेश कच्छप, बंधु तिर्की,लंबोदर महतो, विनोद कुमार सिंह, दशरथ गगराई और अमित यादव ने भी हिस्सा लिया। इस बीच भाजपा के राज सिन्हा ने राज्य के सभी मेडिकल काॅलेजों और अस्पतालों के रेजिडेंट डाॅक्टरों के हड़ताल पर चले जाने का मामला उठाया। विधानसभा अध्यक्ष रवींद्र नाथ महतो ने इस मसले पर सरकार को संज्ञान लेने को कहा। वहीं अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर भोजनावकाश के बाद पीठासीन सभापति के रूप में विधायक सीता सोरेन ने सभा की कार्यवाही का संचालन किया।
विस्थापन की समस्या जल्द दूर होगी: मुख्यमंत्री
ध्यानाकर्षण के दौरान बंधु तिर्की ने सदन में विस्थापन के मामले को लेकर सवाल किया। मामला मांडर विधानसभा क्षेत्र का था। लेकिन इस मामले पर विपक्ष के कुछ नेता जैसे ढुल्लू महतो, बिरंची नारायण, राज सिन्हा और प्रदीप यादव भी साथ देते दिखे।
बंधु तिर्की के सवालों का जवाब जोबा मांझी दे रही थीं। बंधु तिर्की ने विस्थापन की समस्या को एक बड़ी समस्या बताते हुए इस पर विस्थापित-पुनर्वास आयोग के गठन की मांग की। सदन में मौजूद कई विधायकों ने मांग का समर्थन किया। इसी बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सदन में दाखिल हुए। जैसे वो अंदर आए विपक्ष और बंधु तिर्की ने मामले पर आयोग गठन की की।
विपक्ष क्रेडिट लेने में पीछे नहीं
पूरे मामले को समझने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि लगता है कि विपक्ष मामले पर क्रेडिट लेने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहता है। इससे पहले विपक्ष को लगातार 10 साल से मामले पर कोई चिंता नहीं थी। अपनी बात रखते हुए हेमंत सोरेन ने कहा कि यही सरकार है, जिसने पहली बार झारखंड में अधिग्रहीत की गई जमीन रैयतों को वापस दिलाई है। उन्होंने कहा कि यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा। विस्थापन पूरे राज्य की समस्या है। बोकारो स्टील प्लांट बने करीब 100 साल होने को हैं, लेकिन अभी तक वहां की विस्थापन की समस्या का समाधान निकल कर सामने नहीं आया है। सरकार इस मामले पर काफी गंभीर है और बहुत जल्दी इस मामले पर निर्णय लिया जाएगा।
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