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अमित शाह के एक बयान से बदल गई है 5 सीटों के उप-चुनाव की लड़ाई

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अमित शाह के एक बयान से बदल गई है 5 सीटों के उप-चुनाव की लड़ाई

सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में पांच विधान सभा और एक लोक सभा सीट के लिए उप-चुनाव हो रहा है. इस चुनाव से पहले जिस तरह की नोंकझोक बीजेपी-जेडीयू नेताओं के बीच चल रही थी उसको लेकर उप-चुनाव भी प्रभावित हो रहा था. बीजेपी-जेडीयू के कार्यकर्त्ता खुलकर काम नहीं कर पा रहे थे.इतना ही नहीं बल्कि बीजेपी के कुछ उम्मीदवार बतौर बागी उम्मीदवार चुनाव मैदान में खड़ा होकर जेडीयू की चुनौती बढ़ा रहे थे.सिवान में जेडीयू के प्रत्याशी के खिलाफ बीजेपी के पूर्व सांसद ओमप्रकाश यादव मोर्चा खोले हुए थे.एक बीजेपी का नेता चुनाव में खड़ा भी हो गया था.

दरअसल, जिस तरह से बीजेपी के प्रदेश स्तर के चार बड़े नेता गिरिराज सिंह, डॉक्टर सीपी ठाकुर, सच्चिदानंद राय और संजय पासवान नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए थे. उनके नेत्रित्व को लेकर सवाल उठ रहे थे बीजेपी-जेडीयू दोनों के कार्यकर्त्ता दिग्भ्रमित हो गए थे.जेडीयू के उम्मीदवारों के पक्ष में दिल से खुलकर काम नहीं कर रहे थे. लेकिन अमित शाह ने नीतीश कुमार के नेत्रित्व में आगामी विधान सभा चुनाव लड़ने का एलान कर सारा भ्रम दूर कर दिया. दोनों दलों के कार्यकर्त्ता इस बात को लेकर आश्वस्त हो गए कि नीतीश कुमार ही बिहार NDA के सर्वमान्य नेता हैं. जाहिर है उप-चुनाव पर इसका बहुत असर पड़ेगा.

अमित शाह के एक बयान ने बिहार की पूरी राजनीति बदल दी है. जेडीयू के साथ मतभेद की अटकलों पर अमित शाह ने पूरी तरह से विराम लगाकर उप-चुनाव में सभी चार सीटों पर जेडीयू के उम्मीदवारों की जीत पक्की कर दी है.

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के इस बयान के बाद कि  दोनों पार्टियों का गठबंधन ‘अटल’ है. जनता दल यूनाइटेड और बीजेपी चुनाव में एक साथ नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही उतरेंगी, तेजस्वी यादव की चुनौती बढ़ गई है जो बीजेपी-जेडीयू के बीच के मतभेद से उप-चुनाव में फायदा की उम्मीद लगाए बैठे थे. अमित शाह के  एक स्टेटमेंट ने अविश्वास और असमंजस के बीच फंसी बिहार एनडीए की राजनीति  को एक झटके में तमाम कयासबाजियों और बयानबाजियों के भंवर से निकाल दिया है. अमित शाह के इस घोषणा के बाद यह भी एक बार फिर साबित हो गया कि नीतीश कुमार न सिर्फ एनडीए का चेहरा हैं बल्कि बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व भी अभी यही चाहता है कि उनके नेतृत्व में ही विधानसभा चुनाव लड़ा जाए.

बिहार में बीते कई महीनों से अटकलों का बाजार गर्म था कि बीजेपी नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू से अलग होकर विधानसभा चुनाव लड़ना चाहती है. कयास लगाए जा रहे थे कि केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, संजय पासवान और सच्चिदानंद राय जैसे नेताओं को इसी कारण आगे किया गया था ताकि दोनों ही पार्टियों के बीच दूरी बढ़े और मौका देखकर अलग हो जाया जाए. हालांकि यह अटकलें निराधार साबित हुईं हैं.बिहार बीजेपी ने सीवान जिले के अपने दो बागी नेताओं पर निलंबन की कार्रवाई कर अपने कार्यकर्ताओं को मैसेज दे दिया है कि बिखरे महागठबंधन का मुकाबला एकजुट एनडीए के साथ है.

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के बयान से बिहार बीजेपी में भी एक संदेश गया है कि सुशील मोदी केंद्रीय नेतृत्व के अधिक करीब है.बाकी दुसरे नेताओं के बयान का कोई खास मतलब नहीं है.गौरतलब है कि सुशील मोदी ने एक महीने पहले ही साफ़ कर दिया था कि बिहार में एनडीए का चेहरा सीएम नीतीश कुमार ही होंगे.

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