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जातीय जनगणना पर केंद्र की ‘ना’ के बाद CM नीतीश ले सकते हैं बड़ा फैसला

अपने खर्चे पर करा सकते हैं जातीय जनगणना या फिर बोल सकते हैं BJP को 'राम-राम'

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सिटी पोस्ट लाइव :जातीय जनगणना को लेकर जिस तरह से बिहार में बीजेपी-जेडीयू के बीच घमाशान जारी है, राजनीतिक समीकरण गड़बड़ हो सकते हैं.अगर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी मांग पर अड़े रहे तो सरकार खतरे में पड़ सकती है.केंद्र सरकार द्वारा जातीय जनगणना कराये जाने से मना कर दिए जाने के बाद अब नीतीश कुमार के पास दो ही रास्ते बचे हैं . पहला या तो बिहार सरकार खुद राज्य में जातीय जनगणना कराए और दूसरा यदि ये राजनीतिक मुद्दा है तो BJP से रिश्ता तोड़ ले. नीतीश कुमार ने दिल्ली में ये साफ कर दिया था कि अभी हम आपस में बात करेंगे, फिर सारे दलों के लोगों से बात करेंगे और तब आगे क्या करना है ये तय करेंगे.

नीतीश कुमार के इस बयान से साफ है कि आने वाले दिनों में बिहार में बड़ा राजनीतिक उलटफेर होनेवाला है. हालांकि, नीतीश कुमार ने PM नरेंद्र मोदी से मिलने पहले इस बात के संकेत दिए थे कि जरूरत पड़ने पर वह खुद जातीय जनगणना करा सकते हैं.सुप्रीम कोर्ट में केंद्र की सरकार ने अपना पक्ष रखा है. ऐसे में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास दो ही रास्ते रह गए हैं.पहला-बिहार सरकार कर्नाटक की तर्ज पर जातीय जनगणना कराए या फिर बीजेपी से अलग राह ले ले. वैसे राज्य स्तर पर जातीय जनगणना कराना बच्चों का खेल नहीं है.इसमे बहुत ज्यादा खर्च बढ़ सकता है.2015 में जब कर्नाटक में जातीय जनगणना कराई गई थी तो 162 करोड़ रुपए खर्च हुए थे. बिहार में भी यदि उस तरह से जनगणना कराई गई तो ढाई सौ करोड का खर्च आ सकता है.

जातीय जनगणना के मामले को लेकर अगर सभी विपक्षी पार्टियां गोलबंद होती है तो नीतीश कुमार को BJP का साथ छोडना पडेगा. ऐसे में बिहार की सरकार अस्थिर तो होगी ही साथ ही केंद्र से भी JDU के एक मात्र मंत्री आरसीपी सिंह को भी हटना होगा. ऐसे में देश और राज्य में कई राजनीतिक समीकरण बदल जाएंग.गौरतलब है कि जातीय जनगणना कराने के इस अभियान में तेजस्वी यादव लीड लेना चाहते हैं. इसको लेकर तेजस्वी यादव ने 33 नेताओं को चिट्ठी लिख कर गोलबंद करने की बड़ी कवायद शुरु कर दी है. जातीय जनगणना कराने की मांग करने वाले नेताओं को लगता है कि OBC की कटेगरी में जनसंख्या बढ़ी है, जिसका फायदा उन्हें मिल सकता है.

2011 की जनगणना के मुताबिक, बिहार की जनसंख्या 10.38 करोड़ थी. इसमें 82.69 फीसदी आबादी हिंदू और 16.87 प्रतिशत आबादी मुस्लिम समुदाय की थी. हिंदू आबादी में 17 प्रतिशत सवर्ण, 51 फीसदी OBC, 15.7 प्रतिशत अनुसूचित जाति और करीब 1 फीसदी अनुसूचित जनजाति है. राजनीतिक पंडितों के अनुसार जातीय जनगणना होने से देश की राजनीति पूरी तरह से बदल जायेगी. बड़े बड़े नए राजनीतिक क्षत्रप पैदा हो जायेगें और बड़े बड़े राजनीतिक क्षत्रप का वजूद ख़त्म हो जाएगा.

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