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उतर प्रदेश की तर्ज पर छिनेगा बिहार के इन पूर्व मुख्यमंत्रियों का सरकारी बंगला !

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 उतर प्रदेश की तर्ज पर छिनेगा बिहार के इन पूर्व मुख्यमंत्रियों का सरकारी बंगला 

सिटी पोस्ट लाइव- बिहार में सरकारी बंगला का विवाद थमने का नाम नही ले रहा है. तेजस्वी यादव को बंगला खाली करने का आदेश देने के बाद हाई कोर्ट के तेवर तल्ख़ हैं. अब पटना हाई कोर्ट ने वैसे पूर्व मुख्यमंत्रियों के बारे में राज्य सरकार से पूछा है जो अभी भी सरकारी बंगला में रहते हैं. कोर्ट का साफ़ कहना है की क्यों न इन आवंटनों को रद्द कर दिया जाय. आपको बता दें कि उतर प्रदेश में इस तरह के आदेश कोर्ट के द्वारा दिया जा चुका है.

मालूम हो कि अभी इस तरह की व्यवस्था है कि अगर कोई एक दिन के लिये भी मुख्यमंत्री बनता है तो वह आजीवन बंगला में रहता है. अभी बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी, जगन्नाथ मिश्र और सतीश प्रसाद समेत छह लोगों को ये सरकारी बंगला आवंटित है. सतीश प्रसाद मात्र पांच दिनों के लिए मुख्यमंत्री बने और 1968 से अब तक बंगले की सुविधा भोग रहे हैं. वे 28 जनवरी 1968 से 01फरवरी 1968 तक मुख्यमंत्री रहे थें.  बता दें  7 जनवरी को पटना हाईकोर्ट ने बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव के बंगला विवाद पर दायर अपील खारिज करते हुए उन्हें राहत देने से इंकार कर दिया था. चीफ जस्टिस एपी शाही की खंडपीठ ने पिछले सप्ताह तेजस्वी यादव की अपील पर सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा था.  बंगला पाने वाले लोगों में राज्य के सीएम नीतीश कुमार भी हैं जिनके नाम 7 सर्कुलर रोड बंगला आवंटित है. सीएम को भी पूर्व सीएम की हैसियत से आवंटित एक बंगले का जवाब देना है

आपको बताते चलें कि राज्य के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी के नाम पर भी पटना का 12 एम स्ट्रैेंड रोड बंगला आवंटित है. मांझी पूर्व सीएम बनने के बाद से पटना के इसी बंगले में रह रहे हैं. मांझी हमेशा से सरकारी बंगला/गाड़ी को लेकर सरकार पर निशाना साधते रहे हैं. वहीँ राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की पत्नी और बिहार की पूर्व सीएम राबड़ी के नाम पर भी पटना में बंगला आवंटित है. राबड़ी देवी अपने परिवार के साथ इस समय पटना के 10 सर्कुलर रोड में रह रही हैं. अगर यूपी के तर्ज पर बिहार में भी पटना हाई कोर्ट से पूर्व मुख्यमंत्रियों के बंगला को खाली करने का आदेश मिल जाता है तो यह एक ऐतिहासिक फैसला होगा. इस फैसले से जहां एक तरफ सरकारी बंगलों की कमी दूर होगी तो दूसरी तरफ सरकारी खर्च में भी कमी आएगी. परन्तु इतना तो जरूर है कि कोर्ट इस मुद्दे पर गंभीर है.

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