City Post Live
NEWS 24x7

8 साल बाद उपेंद्र कुशवाहा की फिर से JDU में वापसी, आज होगा JDU में RLSP का विलय.

- Sponsored -

- Sponsored -

-sponsored-

सिटी पोस्ट लाइव : रालोसपा के नेता उपेंद्र कुशवाहा की आज 8 साल बाद अपने पुराने घर में वापसी हो रही है.अबतक  दोबार JDU छोड़ चुके उपेन्द्र कुशवाहा का राजनीतिक जीवन का काफी चुनौतीपूर्ण रहा है.लोक सभा और विधान सभा चुनाव में करारी शिकस्त मिलने के बाद आज  उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) अपने पार्टी रालोसपा (RLSP) का JDU में विलय करने जा रहे हैं.गौरतलब है कि JDU  से ही अलग होकर उपेंद्र ने रालोसपा का गठन किया था. आज उनकी पार्टी का JDU  में ही विलय हो जाएगा.

उपेंद्र कुशवाहा इससे पहले भी नीतीश कुमार के साथ लम्बे समय तक राजनीति कर चुके हैं.दो बार नाराजगी की वजह से उपेंद्र कुशवाहा, नीतीश और उनकी पार्टी से अपना रिश्‍ता खत्‍म कर चुके हैं.उपेंद्र कुशवाहा ने 2013 में जब जदयू से नाता तोड़कर अपनी पार्टी बनाई तब वे राज्‍यसभा के सदस्‍य थे. हालांकि उन्‍होंने नीतीश कुमार पर कई आरोप लगाते हुए पार्टी से अलग होने का फैसला लिया. इसके कुछ ही दिनों बाद वे एनडीए में शामिल हो गए. इसका फायदा उनकी पार्टी को हुआ. उन्‍होंने कई सीटों पर अपने प्रत्‍याशियों को जीत दिलाई और केंद्र सरकार में मंत्री भी बने.

लेकिन उपेंद्र कुशवाहा वहां भी ज्यादा दिन नहीं टिक पाए.वो लोक सभा चुनाव  के ठीक पहले RJD के नेतृत्‍व वाले महागठबंधन के साथ चले गए. हालांकि पिछले विधानसभा चुनाव में उन्‍हें यहां भी भाव नहीं मिला और वे अलग होकर चुनाव लड़े.रालोसपा के लिए वोट मांगने वाले असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम तो बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में कई सीटें जीत गई, लेकिन रालोसपा का खाता तक नहीं खुला. उनकी पार्टी का न तो कोई विधायक है और न ही कोई सांसद. विधानसभा चुनाव के बाद से उनके दल के नेता एक-एक कर दूसरी पार्टियों का दामन थाम रहे हैं. ऐसी मुश्किल घड़ी  में उपेंद्र ने फिर से अपने पुराने घर में लौटने का फैसला किया है.

उपेंद्र कुशवाहा का राजनीतिक सफर 1985 में  युवा लोक दल से शुरू हुआ.फिर उन्होंने युवा जनता दल और फिर समता पार्टी में महत्‍वपूर्ण जिम्‍मेदारियां निभाईं. वर्ष 2000 में वे बिहार विधानसभा के लिए चुने गए और सदन में समता पार्टी के उपनेता बनाए गए. वे जदयू का विधायक रहते विपक्ष के नेता भी रहे. लेकिन उपेंद्र यहां संतुष्‍ट नहीं थे और उन्‍होंने राष्‍ट्रीय समता पार्टी नाम से अपनी पार्टी बनाई. इसके कुछ ही महीनों बाद उपेंद्र फिर से नीतीश कुमार के करीब आए और राष्‍ट्रीय समता पार्टी का जदयू में विलय हो गया.उपेंद्र कुशवाहा की कोईरी वोटों पर अच्‍छी पकड़ है. जदयू को उम्‍मीद है कि उपेंद्र के साथ आने से पार्टी का लवकुश (कुर्मी-कुशवाहा) समीकरण फिर से मजबूत होगा.

- Sponsored -

-sponsored-

- Sponsored -

Comments are closed.