सिटी पोस्ट लाइव : केंद्र सरकार की ‘एडॉप्ट ए हेरिटेज’ स्कीम के तहत लाल किला को डालमिया भारत ग्रुप को पांच साल के लिए गोद दे दिया गया है। इससे साफ़ है कि निजीकरण से होने वाली महंगाई का बोझ जनता पर ही पड़ेगा लेकिन, सरकार चुनाव की तैयारी में व्यस्त है।
यह पहली बार हो रहा है कि भारतीय इतिहास में किसी ऐतिहासिक विरासत को किसी कॉर्पोरेट हाउस को गोद दे दिया गया है। इसके लिए डालमिया ग्रुप ने सरकार को 25 करोड़ रुपए का भुगतान किया है। अब से लाल किले के रखरखाव की जिम्मेदारी डालमिया ग्रुप की होगी। लाल किले को गोद दिए जाने पर मोदी सरकार की जमकर आलोचना हो रही है।
कांग्रेस समेत कई दलों ने सरकार के इस कदम का विरोध किया है। कांग्रेस ने इस फैसले को लेकर सरकार पर बड़ा हमला बोला है। कांग्रेस पार्टी ने ट्वीट कर पूछा कि “बीजेपी सरकार अब किस प्रतिष्ठित स्थल को प्राइवेट कंपनी के हवाले करेगी? संसद, सुप्रीम कोर्ट या फिर लोक कल्याण मार्ग (प्रधानमंत्री आवास)।”
वहीं राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर कहा, ”मोदी सरकार द्वारा इसे लाल किले का निजीकरण करना कहोगे, गिरवी रखना कहोगे या बेचना। अब प्रधानमंत्री का स्वतंत्रता दिवस का भाषण भी निजी कंपनी के स्वामित्व या नियंत्रण वाले मंच से होगा। ठोको ताली। जयकारा भारत माता का!”
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