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डोली की जगह बुलेट बाईक पर सवार हो दुल्हनिया ससुराल चली

कोशी ईलाके में बाईक पर सवार होकर दुल्हनें जा रही हैं ससुराल, बाईक ही बना पसंदीदा डोली

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सिटी पोस्ट लाईव : शादी व्याह में डोली और बैल गाडी के इस्तेमाल के प्रचालन की कहानी बहुत पुरानी हो गई है. अब शायाद ही कोई बरात बैल गाडी से जाती है और दुल्हन डोली में देखने को मिले. डोली का प्रचालन तो इस कदर ख़त्म हो गया है कि खोजने पर डोली नहीं मिलेगी .अब तो बस और कार  से ही बरात जाती है और दुल्हन ससुराल आती है. लेकिन बिहार में जब मौसम बारिश का हो और ईलाका कोशी का तो दुल्हन ससुराल कैसे जाए ? डोली उपलब्ध नहीं , कार चलाने के लिए सड़क का नामोनिशान नहीं, हर जगह पानी ही पानी .चांचर की पूल से कार पास नहीं कर सकती . ऐसे में कोशी में दुल्हन लाने के लिए  बुलेट ( इनफील्ड बाइक ) सबसे पसंदीदा डोली बन गई है. अब दुल्हे राजा बुलेट बाइक पर ही अपनी दुल्हनिया को बिठाकर ले जा रहे हैं.

बिहार के कोशी ईलाके में जहाँ बारिश के मौसम में कहीं भी चार पहिया वाहन नहीं जा सकता ,ऐसे ही बुलेट पर दुल्हनिया को ससुराल जाना पड़ रहा है. बुलेट ही दुल्हन की डोली बन गई है. आप इस तस्वीर को ध्यान से देखिये . इस तस्वीर में एक बुलेट बाईक पर दुल्हे राजा  सवार हैं और उनके  पीछे दुल्हनियां अपना घूँघट संभाले बैठी है. इस  विवाहिता दुल्हन की विदाईगिरी मोटर साइकिल पर की जा रही है. दुल्हन इसी बाईक से ससुराल पहुंचेगी और ससुराल में इसी पर उसे दुल्हे राजा  के साथ बिठाकर परिछन की रस्म निभाई जायेगी .

कोसी के एक पत्रकार अजय कुमार ने भी अपने  फेसबुक पर एक ऐसी ही तस्वीर पोस्ट किये  हैं. इस पोस्ट में  तस्वीर के बारे में कहा गया है कोसी क्षेत्र में लग्न की धूम है. रेलगाड़ियों में भी भीड़ है. मोटर वाहनों की किल्लत हो गयी है.कई जगहों पर गाड़ियों के जाने का रास्ता ही नहीं है .डोली उपलब्ध नहीं है, ऐसे में  दूल्हा अपनी दुल्हनिया को बाईक पर ही बिठाकर ले जा रहे हैं.इस तस्वीर के बारे में बताया गया है कि सहरसा मानसी रेलखंड के सिमरी बख्तियारपुर रेल परिसर से आए दिन दुल्हन को बाइक से विदा कर घर ले जाया जा रहा है. यह लोग शौक से बाइक की सवारी नहीं कर रहे हैं, बल्कि यह इनकी मजबूरी है.कोसी क्षेत्र में कई ऐसे गांव है जहां तक चार पहिया वाहन का पहुंचना नामुमकिन है, ऐसे में बाईक ही दुल्हनिया की सबसे पसंदीदा डोली बन गई है .

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