सिटीपोस्टलाईव: कर्नाटक का नाटक-‘ऑपरेशन MLA बचाओ MLA उडाओ ” जारी है. इस नाटक को देख कर जेहन में कई सवाल उठ रहे हैं. ये कैसी राजनीति है ? क्या ये वहीं राजनीति है जिसका मकसद नीति के राज की स्थापना था ? या फिर ये राजनीति किसी भी कीमत पर राज पाने की नीति बन चुकी है ? कर्नाटक में सरकार बचाने के लिए जो बीजेपी कर रही है और कांग्रेस –जनता जल सेक्युलर द्वारा जिस तरह से अपने विधायकों को बिकने से बचाने के तरकीब अपनाए जा रहे हैं,जेहन में ऐसे सवालों का उठाना स्वाभाविक है.
विधान सभा कहाँ है ? बहुमत कहाँ साबित करना है और विधायक कहाँ हैं ? बेंगलुरु में विधान सभा है .यहीं पर शनिवार को सरकार को बहुमत साबित करना है.लेकिन कांग्रेस .जनता दल सेक्यूलर के विधायकों को ऐसी बस में ठूंस कर बेंगलुरु से हैदराबाद भेंज दिया गया है. फ़्लोर टेस्ट के पहले अपने विधायकों को ‘बचा’ कर रखने में जुटी है कांग्रेस पार्टी और जनता दल (सेक्यूलर).इस डर से कि विधायक हाथ से न निकल जाएं. कहीं 100 करोड़ में बिक ना जाएँ .इसलिए दोनों दलों ने अपने विधायकों को कभी बेंगलुरु-मैसूर रोड पर ईगलटन रिसॉर्ट में छिपा रहे हैं तो कभी शहर के नामचीन शांगरी-ला होटल के लक्जरी कमरे में कैद किये जा रहे हैं.
ख़ास बात ये है कि जिन होटलों में ये कांग्रेस और जनता दल सेक्यूलर के विधायक लक्जरी के मोहमाया में बाँध कर रखे गए हैं.,.होटल में कहीं बीजेपी का कोई ख़ुफ़िया आकर कहीं विधायको के आगे चारा न डाल दे, वहां पार्टी की तरफ से प्राइवेट सिक्योरिटी और बाउंसर्स तक तैनात किये गए हैं.ये बाउंसर किसी भी अपरिचित को विधायकों के पास नहीं जाने दे रहे हैं.कभी कभी तो मिलाने आये विधायकों के परिजनों के साथ भी उनकी कहासुनी हो जा रही है.अगर कोई विधायक कहीं थोड़ी देर के लिए निकल गया तो सबकी साँसे अटक जा रही हैं.ले लोटा ,विधायक गया हाथ से.असा ही हुआ जब होटल से कांग्रेस के एक विधायक बिना किसी को बताए अपनी गाड़ी में बैठे और रिसॉर्ट से शहर की तरफ़ चले गए.कांग्रेस खेमे में हड़कंप मच गया क्योंकि पहले से ही एक विधायक आनंद सिंह के ‘लापता’ रहने से उसे झटका लग चूका है..हालांकि डेढ़ घंटे बाद विधायक लौट आये.पता चला कि विधायक को बुख़ार आ गया था और वे अपने निजी डॉक्टर के पास गए थे.
रिसॉर्ट एक बाहर जैसे ही कोई नया व्यक्ति दीखता है,शुरू हो रही है कानाफूसी . “ये दूसरे खेमे के लगते हैं. यहाँ की टोह ले रहे हैं”.देर शाम ये ख़बर उड़वा दी गई कि विधायक तीन प्राइवेट चार्टर्ड से कोच्चि भेजे जा रहे हैं.और उन्हें धीरे से भेंज दिया गया बस से दूसरी जगह .विधायक चले थे बेंगलुरु के लिए लेकिन पहुंचा दिए गए हैदराबाद .ये विधायक भागते भागते इतना थक चुके हैं लेकिन गनीमत है कि 15 दिन की दो दिन में बहुमत साबित करने का सुप्रीम कोर्ट फैसला आ गया है.यह फैसला आने से पहले एक विधायक कहते हैं – “अब हम हैदराबाद में हैं और उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट विधान सभा में फ़्लोर टेस्ट के लिए दी गई 15 दिन की समय सीमा को घटायेगा. इससे हमारा तनाव भी कम होगा”.विधायक जी की इस बात से उनकी परेशानी का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है.
समय बहुत कम है.फ्लोर पर बहुमत साबित करना है.बीजेपी का हर नेता भाग-दौड़ मचाये हुए है.सब इस फिराक में हैं कि कैसे कोई विधायक हाथ लगे जिसे पार्टी को सौंप कर विधायक को 100 करोड़ का लाभ दिलाने के साथ उनके जीवन भर का खर्च भी निकल जाए.सरकार बनाने में सहयोग करने के लिए पार्टी से ऊपर से जो ईनाम मिलेगा वो अलग.कभी विधायकों को 100 करोड़ देने की खबर हवा में उड़ती है तो कभी मलाईदार मंत्रालय देने का ऑफर सामने आ रहा है.लेकिन ये ऑफर जिनके लिए है वो तो कहीं नजर ही नहीं आ रहे.मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के साथ ही अधिकारियों का ट्रान्सफर पोस्टिंग शुरू हो गया .पता नहीं ये ऑफिसर किस तरह से बहुमत साबित करने में कितना बड़ा रोड़ा बन सकते हैं.या फिर सहायक साबित हो सकते हैं.अभी तो जो कुछ भी हो रहा है ,उसका मकसद बहुमत के जुगाड़ की कवायद ही माना जा रहा है.
कर्नाटक का नाटक-‘ऑपरेशन MLA बचाओ MLA उडाओ ” जारी है.सबका लक्ष्य विधानसभा में होने वाले फ़्लोर टेस्ट पर है. फ़िलहाल दोनों पार्टियों के विधायक कर्नाटक से बाहर पहुँचा दिए गए हैं.भारतीय जनता पार्टी ने ‘हॉर्स-ट्रेडिंग’ जैसी किसी चीज़ से इनकार करते हुए दोनों पार्टियों पर अपने विधायकों को ‘दबा कर रखने’ का आरोप लगाया है.जाहिर है जिस तरह से विधायकों को तोड़ने और जोड़कर रखने की कवायद की जा रही है ,यह उस राजनीति का हिस्सा तो कतई नहीं हो सकती जिसका मकसद निति के राज की स्थापना है.यह तो किसी भी कीमत पर सत्ता पर काबिज होने की नीति है.
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श्रीकांतप्रत्यूष
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