सिटी पोस्ट लाईव : अक्सर प्रेम प्रसंग में लड़की को ज्यादा बंदिश झेलनी पड़ती है.लड़का ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है अपनी प्रेमिका को मुक्त कराने में .लेकिन यहाँ कहानी थोड़ी उल्टी है.यहाँ लड़का ही ज्यादा बंदिश में था .परिवार वालों ने उसे बंधक बना रखा.उसे उसकी प्रेमिका से मिलने नहीं दिया जा रहा था.यहाँ प्रेमिका ने अहम् भूमिका निभाई अपने प्रेमी को परिवार के बंधन से मुक्त कराने में.और दोनों ऐसे वैवाहिक बंधन में बंधे किएक हो गए.परिवार्जा ,समाज और जाती के सरे बंधन टूट गए.
दरअसल, उत्कर्ष विशाल से प्रेम करती थी.लेकिन उत्कर्ष के परिजन किसी कीमत पर विशाल के साथ उसकी शादी कराने को तैयार नहीं थे.क्योंकि विशाल दूसरी बिरादरी की थी.नौकरी मिल जाने के बाद भी उत्कर्ष को शादी की ईजाजत नहीं मिल रही थी. फिर क्या था विशाल ने प्रेमी को मुक्त कराने का बीड़ा उठाया.महिला आयोग से गुहार लगाईं.महिला आयोग ने उत्कर्ष को मुक्त कराया और अपने दफ्तर में हे बड़े धूमधाम के साथ इस जोड़े की शादी करवा दी.विशाल और उत्कर्षा के जीवन में खुशी का ये लम्हा लंबी जुदाई और संघर्ष के बाद आया.
दोनों प्रेमी सासाराम के रहने वाले पडोसी हैं. दोनों के बीच एक दशक से अधिक समय से प्रेम-प्रसंग चल रहा था.लेकिन विशाल मध्यप्रदेश के सतना में लोको पायलट की नौकरी पाने के वावजूद अपनी प्रेमिका से शादी नहीं कर पा रहा था.विशाल ने अपनी सहेली के जरिये ये सूचना महिला आयोग को पहुंचा दी और फिर महिला आयोग ने दोनों को छुड़ाकर शादी के बंधन में बाँध दिया.