चुनावी रणनीतिकार JDU नेता प्रशांत किशोर बने सबसे बड़े राजनीतिक पहेली
सिटी पोस्ट लाइव : देश के जानेमाने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की जब JDU में इंट्री हुई थी तो सबको लगा कि नीतीश कुमार ने अपना राजनीतिक उतराधिकारी चुन लिया है. प्रशांत किशोर को जब राष्ट्रिय उपाध्यक्ष की कुर्सी दी गई तो ये माना जाने लगा कि प्रशांत किशोर का स्थान पार्टी में दुसरे नंबर के नेता की हो गई है. लेकिन ईन तमाम अटकलों पर नीतीश कुमार ने ये खुलासा करके विराम लगा दिया कि प्रशांत किशोर की इंट्री पार्टी में बीजेपी के राष्ट्रिय अध्यक्ष अमित शाह की सिफारिश पर हुई है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक कार्यक्रम में पत्रकारों से कहा कि आप लोगों को कुछ पता ही नहीं है. मैं आपको ब्रेकिंग न्यूज देता हूं. दरअसल बहुत लोग सवाल करते हैं कि JDU में पीके की इंट्री कैसे हुई. मैं आपको बता दूं मैंने बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह के कहने पर जेडीयू में पीके की इंट्री कराई है.
अब सबके जेहन में यह सवाल उठने लगा है कि आखिर अमित शाह ने प्रशांत किशोर की जेडीयू में इतरी के लिए सिफारिश क्यों की ? अगर प्रशांत किशोर से उन्हें इतना ही प्यार था तो फिर उन्हें बीजेपी में ही क्यों नहीं ले लिया? क्या जेडीयू में प्रशांत किशोर अमित शाह के प्रतिनिधि हैं. क्या गठबंधन के तहत बीजेपी और जेडीयू के बीच नेताओं की अदला बदली भी हो रही है ? या फिर प्रशांत किशोर को जेडीयू में मिल रही अहमियत से नाराज कुछ बड़े नेताओं को शांत करने के लिए नीतीश कुमार ने ये शिगूफा छोड़ा है.
लेकिन इस सवाल का ऐसे जबाब अमित शाह ने दिया है, कि माजरा किसी की समझ में नहीं आ रहा. प्रशांत किशोर की जेडीयू में इतरी के राज के नीतीश कुमार के खुलासे पर अमित शाह ने कहा कि प्रशांत किशोर के बारे में नीतीश कुमार से की गई बात सार्वजनिक नहीं करनी चाहिए थी. नीतीश जी ने कर दिया तो तो ये उनकी सोच थी. मैं निजी बातों को सार्वजनिक नहीं करता. नीतीश जी ने सार्वजनिक कर दी तो हमें दिक्कत नहीं.क्या है नीतीश कुमार के खुलासे और अमित शाह के इस जबाब का मतलब. आज प्रशांत किशोर एक पहेली बन गए हैं. वैसे प्रशांत किशोर इतने बड़े चुनावी रणनीतिकार हैं कि उन्हें किसी दल में शामिल होने के लिए किसी की सिफारिश की दरकार नहीं.
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