नीतीश कुमार की घेराबंदी के लिए तीन नेताओं की बन गई है तिकड़ी
प्रशांत किशोर का CM नीतीश पर तंज, 'कोरोना से तबाही है पर सरकारी तंत्र चुनाव की तैयारियां में व्यस्त.
सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में नवंबर के आखिरी हफ्ते से पहले ही सरकार का गठन होना है. निर्वाचन आयोग (Election Commission) भी निर्धारित समय पर बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Elections) कराने की तैयारी में जुटा है. निर्वाचन आयोग जिलाधिकारियों, आरक्षी अधीक्षकों के साथ साथ राजनीतिक दलों के साथ भी बैठक कर चूका है.अब उनके सुझावों के आधार पर चुनाव कार्यक्रम तय करने की कवायद जारी है. राजनीतिक दलों ने भी चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं. लेकिन चुनाव तैयारी के साथ साथ राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस (RJD-Congress) समेत सभी विपक्षी पार्टियाँ कोरोना काल में चुनाव नहीं करवाने की मांग भी जोरशोर से उठा रही हैं.
विपक्ष तो चुनाव की तारीख आगे बढाने की मांग कर ही रहा है साथ ही NDA के सहयोगी दल एलजेपी के नेता चिराग पासवान ने भी इस मांग का समर्थन कर दिया है. जनशक्ति पार्टी ने भी फिलहाल चुनाव टालने का सुझाव दिया है. अब चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor ) ने भी सीएम नीतीश को निशाने पर ले लिया है. उन्होंने भी चुनाव टालने की मांग कर दी है.
प्रशांत किशोर ने अपने ट्वीट में लिखा, देश के कई राज्यों की तरह बिहार में भी कोरोना की स्थिति बिगड़ती जा रही है, लेकिन सरकारी तंत्र और संसाधनों का एक बड़ा हिस्सा चुनाव की तैयारियों में लगा है. नीतीश कुमार जी ये चुनाव नहीं कोरोना से लड़ने का वक्त है. लोगों की जिंदगी को चुनाव कराने की जल्दी में खतरे में मत डालिए.
गौरतलब है कि शुक्रवार को एलजेपी अध्यक्ष चिराग पासवान ने भी फिलहाल चुनाव टालने की मांग की है. उन्होंने ट्वीट में लिखा, कोरोना के प्रकोप से बिहार ही नहीं पूरा देश प्रभावित है. कोरोना के कारण आम आदमी के साथ-साथ केंद्र व बिहार सरकार का आर्थिक बजट भी प्रभावित हुआ है. ऐसे में चुनाव से प्रदेश पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ेगा. संसदीय बोर्ड के सभी सदस्यों ने इस विषय पर चिंता जताई है. गौरतलब है कि तेजस्वी यादव नीतीश कुमार पर राष्ट्रपति शासन के डर से कोरोना के खतरे के बीच लाशों की ढेर पर चुनाव तैयारी करने का आरोप लगा चुके हैं. तेजस्वी यादव की मांग की वजह तो समझ में आती है लेकिन चिराग पासवान द्वारा उनकी मांग का समर्थन किये जाने से बिहार की राजनीति में बड़े बदलाव के संकेत मिल रहे हैं.
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