पुलिस के डर से आधी रात को टॉर्च की रोशनी में किसान तोड़ रहे सब्जियां.
सिटी पोस्ट लाइव : लॉक डाउन के दौरान भी किसानों को काम करने की, अपनी फसल और पैदावार क बाज़ार ले जाने की छूट है.लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले के किसान पुलिस के डर से रात के अँधेरे में टोर्च की रोशनी में शब्जियाँ तोड़ रहे हैं. खेत उनका है, फसल उन्होंने लगाईं है लेकिन अपनी ही फसल को चोर की तरह छुपकर तोड़ना पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि दिन में लॉक डाउन की वजह से पुलिस उन्हें घरसे बाहर निकालने नहीं देती. शब्जी लेकर दिन में बाज़ार जाने नहीं देती.इसलिए वो रात में ही फसल तोड़ते हैं और रात में ही शब्जी बाज़ार पहुँच जाते हैं.
कोरोना वायरस के संक्रमण (Corona virus infection) के खतरे के बीच पुलिस-प्रशासन सख्ती से लॉक डाउन का पालन करवाने में जुटी है.लेकिन इस सख्ती से ज्यादा परेशान किसान हैं.खेतों में सब्जियों की फसल खड़ी है लेकिन वो उसे लेकर बाज़ार नहीं जा पा रहे हैं.पुलिस-प्रशासन के डंडे का डर उन्हें सता रहा है.इसी वजह से सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के गृह जिले नालंदा (Nalanda) के कुछ इलाकों के किसान आधी रात में टॉर्च की रोशनी में सब्जियां तोड़ते देखे जा रहे हैं.
किसानों का कहना है कि रात में खेतों में जानवर व सांप व बिच्छुओं के काटने का डर रहता है पर टॉर्च की रोशनी में ही फसल तोड़ने के लिए वो मजबूर हैं. किसानों का आरोप है कि हमलोग इसलिए आधी रात को अपनी मेहनत से उगायी गयी सब्जी तोड़ते हैं क्योंकि दिन में तोड़ने के बाद सब्जी मंडी ले जाने और उसके बाद बेचकर वापस लौटने के क्रम में पुलिस पिटाई करती है. कोरोनाबंदी का हवाला देकर लाठी-डंडा चलाया जाता है. जिसके कारण हमलोग पुलिस से बचने और अपने घर का खर्च चलाने के लिए आधी रात को ही सब्जियां तोड़ने को मजबूर हैं.
गौरतलब है कि एक पखवाड़ा पूर्व ही सब्जी बेचकर लौटने के दौरान किसानों की बेरहमी से पिटाई की गई थी. इसके विरोध में किसानों ने सड़क जाम कर आगजनी भी की थी. जिसके बाद पुलिस ने लहेरी थाना में 53 नामजद समेत सैकड़ो किसानों के ऊपर केस दर्ज कर दिया था. 53 नामजद व सैकड़ों अज्ञात किसानों के ऊपर दर्ज केस को वापस लेने की मांग को लेकर अब किसान आन्दोलन शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं.
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