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पत्रकार को एक मामूली चूक की चुकानी पड़ सकती है भारी कीमत.

मुज़फ़्फ़रपुर के बीजेपी सांसद अजय निषाद ने किया पत्रकार पर केस, कुर्की के आदेश.

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पत्रकार को एक मामूली चूक की चुकानी पड़ सकती है भारी कीमत.

सिटी पोस्ट लाइव :कोरोना वायरस के कारण फैली महामारी से लड़ाई के लिए मुज़फ़्फ़रपुर के बीजेपी सांसद अजय निषाद द्वारा  अपनी सासंद निधि (MPLAD fund) से एक करोड़ रुपये जारी करने के एलान पर सवाल उठाने वाले एक स्थानीय पत्रकार पर मुक़दमा दर्ज हो गया है. सांसद अजय निषाद ने जैसे ही अपने सांसद निधि से एक करोड़ देने की घोषणा की तो  मुज़फ़्फ़रपुर के ही एक स्थानीय पत्रकार ने अपने यूट्यूब न्यूज़ पोर्टल से इस पर दावा किया कि “सांसद महोदय ने एक करोड़ रुपये का ऐलान तो कर दिया, मगर उनकी सांसद निधि खाते में हैं केवल 54 लाख रुपये.”

इस खबर के बाद विरोधियों ने सांसद पर हमले तेज कर दिए.जब यह यह मामला तूल पकड़ने लगा तो स्थानीय सांसद अजय निषाद ने ग़लत तथ्य प्रसारित करने और इससे उनकी छवि ख़राब करने को लेकर पत्रकार के ख़िलाफ़ एफ़आइआर दर्ज करा दिया.स्थानीय पत्रकार ने दावा किया कि जब उन्होंने यह ख़बर चलाई थी तब mplads.gov.in की साइट पर वही आंकड़े दिए गए थे जो ख़बर में दिखाई गई थी.

सांसद की शिकायत को नगर डीएसपी ने अपने सुपरविजन रिपोर्ट में आरोप को सही पाया है.पुलिस अब पत्रकार की गिरफ़्तारी के लिए छापेमारी कर रही है, लेकिन वे फरार बताए गए हैं लिहाजा उनकी संपत्ति की कुर्की जब्ती पर विचार कर रही है.बीजेपी सांसद अजय निषाद ने 27 मार्च 2020 को मुज़फ़्फ़रपुर के डीएम के नाम एक पत्र लिखा. जिसमें दर्ज है, “मैं अपने सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास निधि से कोरोना वायरस (COVID-19) के रोकथाम एवं इलाज में प्रयुक्त होने वाले उपस्करों एवं सामग्रियों के लिए एक करोड़ रुपये की राशि विमुक्त करने की अनुशंसा करता हूं.”इसके बाद 29 मार्च 2020 को स्थानीय पत्रकार लोकेश पुष्कर ने अपने यूट्यूब पोर्टल ‘बिहार दस्तक’ पर रिपोर्ट प्रकाशित की. उस रिपोर्ट को पत्रकार ने अपने व्यक्तिगत सोशल मीडिया एकाउंट से भी शेयर किया.

29 मार्च की दोपहर एक बजे के क़रीब प्रकाशित इस रिपोर्ट का शीर्षक था, “मुज़फ़्फ़रपुर के सांसद अजय निषाद के विकास निधि खाते में मात्र 54 लाख रुपये, फिर कैसे की गई एक करोड़ रुपये की अनुशंसा?”mplads.gov.in की वेबसाइट पर जारी आंकड़ों के स्क्रीनशॉट को वीडियो के जरिए दिखाते हुए वह रिपोर्ट तैयार की गई थी.

लेकिन उसी दिन शाम को सात बजकर तेरह मिनट पर पत्रकार के सोशल मीडिया टाइमलाइन से ख़बर का खंडन भी छाप दिया गया. पत्रकार ने लिखा “छानबीन में ज्ञात हुआ कि सांसद फंड से दिया गया एक करोड़ ही जनता को मिलेगा.”पत्रकार लोकेश पुष्कर का कहना है कि जब उन्होंने  रिपोर्ट तैयार की थी तब वेबसाइट पर सांसद के विकास निधि खाते में अनस्पेंट (जो खर्च नहीं हुआ) बैलेंस 54 लाख रुपये ही दिखा रहा था. बाद में वेबसाइट पर अपडेट हुआ तो उसके बाद बाकायदा खंडन भी प्रकाशित किया गया.”

लोकेश पुष्कर के मुताबिक रिपोर्ट प्रकाशित करने से पहले भी उन्होंने और उनके संस्थान ने सांसद से संपर्क करने और जवाब लेने की बीसीयों बार कोशिश की थी. कॉल, मैसेज सब किया गया लेकिन सांसद की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया.”भारत सरकार के सांख्यिकी एवं योजना क्रियान्वयन मंत्रालय की ओर से चलाए जा रहे mplads फंड की वेबसाइट पर जो ताज़ा आंकड़े हैं, उनके अनुसार सांसद अजय निषाद का अनस्पेंट बैलेंस 3.04 करोड़ रुपये है.आंकड़े बताते हैं कि सांसद अजय निषाद के एमपीलैड फंड के प्रत्येक वर्ष की पांच करोड़ पूरी राशि दो इंस्टॉलमेंट में जारी की जा चुकी है.

26 मार्च 2020 को दूसरे इंस्टॉलमेंट में ढाई करोड़ रुपये की राशि जारी हुई है, जिससे उनका अनस्पेंट बैलेंस 3.04 करोड़ रुपये हो गया है. इस हिसाब से दूसरा इंस्टॉलमेंट जारी होने के पहले तक उनका अनस्पेंट बैलेंस 54 लाख रुपये ही था.देखा जाए तो अजय निषाद के एमपीलैड फंड रिलीज़ के रिकॉर्ड के हिसाब से 29 मार्च को प्रकाशित इसको लेकर वह रिपोर्ट ग़लत थी.दरअसल, पूरा विवाद वेबसाइट पर अपडेट होने में देर की वजह से पैदा हुआ.. जैसा कि रिपोर्ट एमपीलैड की वेबसाइट के स्क्रीनशॉट और उसके आंकड़ों के आधार पर तैयार किया गया था और वह 29 मार्च को प्रकाशित हुआ था. जबकि 26 मार्च को ही निषाद के विकास निधि खाते में दूसरी इंस्टॉलमेंट की राशि जारी होने की बात अब दर्ज़ है. इसलिए बहुत संभव है कि दूसरा इंस्टॉलमेंट जारी होने के दो-तीनों बाद वह वेबसाइट पर अपडेट हुआ हो लेकिन रिपोर्ट उसके पहले प्रकाशित हो गई.”

लेकिन इस मामले को इतना तूल नहीं देना चाहिए क्योंकि यह टेक्निकल गड़बड़ियों के कारण हुआ है. हमारे अनुभव में ऐसा अकसर होता है. दरअसल हम भी जब काम कर रहे थे तो वेबसाइट के इस डैशबोर्ड से कई शिकायतें थीं.यह सारा मामला केवल वेबसाइट पर अपडेट नहीं होने का है जो कि सिस्टम की तकनीकी खामी के कारण हो सकता है. और बाद में ख़बर चलाने वाले पत्रकार ने खंडन भी चलाया और माफ़ी भी मांगी.लेकिन, फिर भी सांसद ने पत्रकार के ख़िलाफ़ मुक़दमा क्यों कर दिया, ये सबसे बड़ा सवाल है.

सांसद अजय निषाद का कहना है कि आरोपी पत्रकार उनके ख़िलाफ़ पिछले पांच सालों से लगातार ग़लत और फर्जी सूचनाएं और जानकारियों का प्रचार सोशल मीडिया और दूसरे माध्यमों से कर रहा था. लेकिन फिर भी उन्होंने उसके ख़िलाफ़ कुछ नहीं किया. मगर ऐसे वक्त में जब सारी दुनिया एक महामारी से लड़ रही थी, वह इस तरह की ख़बरें फ़ैलाकर बतौर जन प्रतनिधि उनकी  छवि ख़राब करने और मुझे बदनाम की कोशिश कर रहा था.सांसद कहना है कि उन्हें लगा कि अब उनके ख़िलाफ़ शिकायत करनी चाहिए, इसलिए उन्होंने मुक़दमा दर्ज़ कराया है. अब आगे जो करना होगा वो पुलिस करेगी.

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