25 दिन से मुस्लिम परिवार ने दी है चार हिंदुओं को अपने घर में पनाह.
सिटी पोस्ट लाइव :एक तरफ कोरोना को लेकर सोशल मीडिया के जरिये हिन्दुओं-मुसलमानों के बीच नफ़रत पैदा करने की कोशिश की जा रही हैं.वहीं बिहार के गोपालगंज से जो तस्वीर सामने आ रही है, वह साम्प्रदायिक सौहाद्र और एकता की एक बड़ी मिसाल है. कुछ लोग जहां धर्म और मजहब को लेकर एक दूसरे के ऊपर हमले कर रहे है वहीं कुछ लोग ऐसे भी है जो धर्म और मजहब से ऊपर उठ कर मानवता (Humanity) की सेवा करने में लगे हुए है. गोपालगंज के परवेज आलम ऐसे ही शख्स हैं जिन्होंने लखनऊ के चार ऐसे मजदूरों को अपने घर में पनाह दी है, जो दूसरे धर्म से हैं.
परवेज आलम ने लखनऊ और समस्तीपुर के फंसे चार युवकों की लॉकडाउन के दौरान सिर्फ मदद ही नहीं की, बल्कि उन्हें अपने घर में शरण देकर लॉकडाउन के पहले दिन से खाना भी खिला रहे हैं. हरसंभव उनकी मदद कर रहे हैं. गोपालगंज के जंगलिया मोहल्ले के रहने वाले 28 वर्षीय परवेज ने वह कर दिखाया जो धर्म के नाम पर लड़ने वालों के लिए किसी सबक से कम नहीं. दरअसल लखनऊ के रहने वाले धर्मेन्द्र अपने अन्य साथियों के साथ गोपालगंज में रहकर मिठाई निर्माण का कार्य करते थे. यहां धर्मेन्द्र के साथ उनके दोस्त पंकज, पवन, सुनील कोलकाता मिठाई दुकान में मिठाई का निर्माण करते थे.
कोरोना महामारी को लेकर देश में लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई. इस घोषणा के बाद धर्मेन्द्र भी अपने साथियों के साथ अपने घर लखनऊ लौटना चाहते थे. उनकी दुकान बंद हो गई थी और उनका वेतन भी बंद हो गया था. उनके पास रहने और खाने की लिए पैसे का भी अभाव था. इसकी जानकारी जब परवेज आलम को मिली, तो उन्होंने उन मजदूरों को न सिर्फ अपने घर में पनाह दी, बल्कि उन्हें खाने के लिए सामग्री और दवाओं की भी आपूर्ति की.
मजदूरों की मदद करने वाले युवक परवेज आलम के मुताबिक, जब उन्हें सूचना मिली कि मिठाई कारखाने में काम करने वाले चार लोग अपने घर जाना चाहते है लेकिन उनके पास कोई चारा नहीं है तो उन्होंने अपने घर में इन युवकों को रहने की जगह दी और उन्हें खाने से लेकर दवाई तक हर चीज उपलब्ध करा रहे हैं. कोरोना काल में भी कुछ लोग जब धर्म के नाम पर राजनीति करने से बाज नहीं आ रहे हैं ऐसे में गोपालगंज के परवेज आलम ने धर्म और मजहब की दीवार तोड़कर इंसानियत की मिसाल पेश की है.
Comments are closed.